जम्मू-कश्मीर में 90 विधानसभा सीटों के लिए वोटों की गिनती मंगलवार यानी आज सुबह से शुरू होगी. इस चुनाव के नतीजों से 2019 में अनुच्छेद 370 को खत्म कए जाने के बाद केंद्र शासित प्रदेश में पहली निर्वाचित सरकार के गठन का रास्ता साफ हो जाएगा. विधानसभा चुनाव में मुकाबले में मुख्य रूप से कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) हैं. यह चुनाव पूर्ववर्ती राज्य को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किए जाने के पांच साल बाद हो रहा है.
जम्मू-कश्मीर के सभी मतगणना केंद्रों पर थ्री लेयर सुरक्षा व्यवस्था की गई है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सीमावर्ती केंद्र शासित प्रदेश में सब कुछ ठीक रहे. कश्मीर घाटी और जम्मू क्षेत्र के सभी केंद्रों पर सुरक्षाकर्मियों ने मोर्चा संभाल लिया है. वर्ष 2014 के बाद से जम्मू-कश्मीर में पहली बार विधानसभा चुनाव तीन चरणों में हुए. कश्मीर घाटी और जम्मू क्षेत्र की 90 सीटों में से पहले चरण में 24, दूसरे चरण में 26 और तीसरे चरण में 40 सीटों पर मतदान हुआ.केंद्र शासित प्रदेश की 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनावी मुकाबले में उतरे 873 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला मंगलवार यानी आज शाम तक होने की संभावना है. इस बार मतदान 63.45 प्रतिशत रहा, जो 2014 के विधानसभा चुनाव में दर्ज 65.52 प्रतिशत से कम है.चुनाव मैदान में उतरने वाले प्रमुख उम्मीदवारों में नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला बडगाम और गंदेरबल, दो विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ रहे हैं. पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के सज्जाद गनी लोन- हंदवाड़ा और कुपवाड़ा सीटों से, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष तारिक हामिद कर्रा बटमालू और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र रैना नौशेरा सीट से चुनावी मैदान में हैं.अन्य उम्मीदवारों में कांग्रेस महासचिव गुलाम अहमद मीर (डूरू), पीडीपी नेता वहीद पारा (पुलवामा), इल्तिजा मुफ्ती (बिजबेहरा), ‘जम्मू एंड कश्मीर-अपनी पार्टी’ के अध्यक्ष अल्ताफ बुखारी (चनापुरा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के वरिष्ठ नेता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी (कुलगाम) और पूर्व उपमुख्यमंत्री मुजफ्फर हुसैन बेग तथा तारा चंद शामिल हैं.एग्जिट पोल में नेकां-कांग्रेस गठबंधन को बढ़त हासिल होती दिखाई गई है. क्षेत्रीय पार्टियों को भी कुछ सीटें मिलने की संभावना जताई गई है. बीजेपी के 2014 के विधानसभा चुनावों में जीती गई 25 सीटों की संख्या में थोड़ा सुधार होने की उम्मीद है, वहीं 10 साल पहले हुए चुनावों में 28 सीटें जीतने वाली पीडीपी को इस बार 10 से भी कम सीटें मिलने का अनुमान है.नतीजों से पहले ही जम्मू-कश्मीर की राजनीति गरमा गई है. क्या जरूरत पड़ने पर कांग्रेस-नेकां, पीडीपी की मदद लेगी, इस सवाल पर नेकां अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने सोमवार को कहा कि उनकी पार्टी केंद्र शासित प्रदेश में सरकार बनाने के लिए महबूबा मुफ्ती की पार्टी का समर्थन लेने पर विचार को लेकर तैयार है. उन्होंने जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पांच आरक्षित सीटों पर सदस्यों को नामित करने का अधिकार उपराज्यपाल को देने के कदम की आलोचना करते हुए कहा कि यदि बीजेपी नीत केंद्र सरकार इस पर आगे बढ़ती है तो उनकी पार्टी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी.अब्दुल्ला ने खुद को मुख्यमंत्री पद की दौड़ से बाहर बताया और कहा कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल किया जाना चाहिए, ताकि नई सरकार के पास लोगों की समस्याओं का समाधान करने की शक्ति हो.बीजेपी की जम्मू-कश्मीर इकाई के प्रमुख रवींद्र रैना ने कहा कि उनकी पार्टी 35 सीटें हासिल करके क्षेत्र में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरेगी और समान विचारधारा वाले और निर्दलीय उम्मीदवारों की मदद से सरकार बनाएगी.रवींद्र रैना ने यह भी कहा कि उपराज्यपाल द्वारा पांच विधायकों का मनोनयन पुनर्गठन अधिनियम के अनुसार किया जा रहा है. पीडीपी नेता इल्तिजा मुफ्ती ने कहा कि उपराज्यपाल को विधानसभा में पांच सदस्यों को मनोनीत करने का अधिकार देना चुनावों में परिणाम पूर्व धांधली है.बारामूला से लोकसभा सदस्य शेख अब्दुल रशीद उर्फ इंजीनियर ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘कल चाहे किसी को भी बहुमत मिले, ‘इंडिया’ गठबंधन, पीडीपी और अन्य क्षेत्रीय दलों से मेरा विनम्र अनुरोध है कि उन्हें राज्य के दर्जे के लिए एकजुट होना चाहिए.
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