November 24, 2024
जिंदा रही तो कोर्ट जरूर जाऊंगी...; साध्वी प्रज्ञा का कांग्रेस पर टॉर्चर करने का आरोप

जिंदा रही तो कोर्ट जरूर जाऊंगी…; साध्वी प्रज्ञा का कांग्रेस पर टॉर्चर करने का आरोप​

साध्वी प्रज्ञा ने लिखा कि ब्रेन में सूजन, आंखों से कम दिखना, कानों से कम सुनना बोलने में असंतुलन स्टेरॉयड और न्यूरो की दवाओं से पूरे शरीर में सूजन एक हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है. जिंदा रही तो कोर्ट अवश्य जाउंगी.

साध्वी प्रज्ञा ने लिखा कि ब्रेन में सूजन, आंखों से कम दिखना, कानों से कम सुनना बोलने में असंतुलन स्टेरॉयड और न्यूरो की दवाओं से पूरे शरीर में सूजन एक हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है. जिंदा रही तो कोर्ट अवश्य जाउंगी.

भोपाल की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा ने अपनी एक्स पोस्ट के जरिए कांग्रेस पर निशाना साधा है. साध्वी प्रज्ञा ने एक्स पर लिखा कि कांग्रेस का टॉर्चर सिर्फ ATS कस्टडी तक ही नहीं, मेरे जीवन भर के लिए मृत्यु दाई कष्ट का कारण हो गए. ब्रेन में सूजन, आंखों से कम दिखना, कानों से कम सुनना बोलने में असंतुलन स्टेरॉयड और न्यूरो की दवाओं से पूरे शरीर में सूजन एक हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है. जिंदा रही तो कोर्ट अवश्य जाउंगी.

#कांग्रेस_का_टॉर्चर सिर्फ ATS कस्टडी तक ही नहीं मेरेजीवन भर के लिए मृत्यु दाई कष्ट का कारण हो गएl ब्रेन में सूजन,आँखों से कम दिखना,कानो से कम सुनना बोलने में असंतुलन स्टेरॉयड और न्यूरो की दवाओंसे पूरे शरीर में सूजन एक हॉस्पिटल में उपचार चल रहा हैl जिंदा रही तो कोर्ट अवश्य जाउंगीl pic.twitter.com/vGzNWn6SzX

— Sadhvi Pragya Singh Thakur (@sadhvipragyag) November 6, 2024

साध्वी प्रज्ञा के चेहरे पर आई सूजन

साध्वी प्रज्ञा ने अपनी इस पोस्ट के साथ जो फोटो शेयर किया है, उसमें उनके चेहरे पर सूजन नजर आ रही है. साध्वी प्रज्ञा 2008 के मालेगांव ब्लास्ट मामले में आरोपी हैं. वो पिछले कुछ महीनों से मेडिकल के आधार पर अदालत में पेश नहीं हुई है. जिसके बाद से मालेगांव ब्लास्ट मामले में NIA ने भोपाल की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को जमानती वारंट जारी किया है. इस मामले में कोर्ट का कहना है कि मामले की फाइनल बहस चल रही है और आरोपी का कोर्ट में होना आवश्यक है, क्योंकि वह सुनवाई के दौरान कोर्ट में मौजूद नहीं थी.

नेमप्लेट विवाद पर भी सुर्खियों में आई थी प्रज्ञा

इससे पहले साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने हिंदू दुकानदारों से कहा था कि वे अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर अपना नाम लिखें ताकि हिंदुओं और गैर-हिंदुओं में अंतर किया जा सके. भोपाल से पूर्व सांसद ने यह अपील बीजेपी शासित उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड द्वारा कांवड़ यात्रा मार्गों पर स्थित भोजनालयों के मालिकों और कर्मचारियों के नाम उजागर करने के निर्देश जारी करने के विवाद के बीच की. हालांकि उच्चतम न्यायालय ने इन निर्देशों पर बाद में रोक लगा दी थी.

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