अदालत ने कहा है कि अगर गिरफ्तारी की आशंका है, तो पक्षकार राहत के लिए एफआईआर दर्ज हुए बिना कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि GST और कस्टम एक्ट के तहत गिरफ्तार लोगों पर भी BNSS/CrPC प्रावधान लागू होंगे. GST और कस्टम एक्ट के तहत गिरफ्तारी की शक्तियों को लेकर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया. गिरफ्तार व्यक्तियों के अधिकारों पर दंड प्रक्रिया संहिता (अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता) के प्रावधान सीमा शुल्क अधिनियम और GST अधिनियम दोनों पर समान रूप से लागू होते हैं.
अदालत ने कहा है कि अगर गिरफ्तारी की आशंका है, तो पक्षकार राहत के लिए एफआईआर दर्ज हुए बिना कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं. भारत के मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने फैसला सुनाते हुए कहा कि कोई भी व्यक्ति भुगतान करने के लिए तैयार है, वह रिट कोर्ट में जा सकता है और आदेश प्राप्त कर सकता है. न्यायालय ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी के संबंध में GST विभाग द्वारा जारी परिपत्रों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने दो सहमति वाले फैसले सुनाए हैं, जिनमें से एक CJI द्वारा लिखा गया है और दूसरा जस्टिस बेला त्रिवेदी द्वारा लिखा गया है.CJI ने कहा कि उन्होंने इस फैसले में अरविंद केजरीवाल मामले का संदर्भ दिया है. भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टिस एमएम सुंदरेश, बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने सीमा शुल्क अधिनियम, GST अधिनियम आदि में दंडात्मक प्रावधानों को सीआरपीसी के साथ असंगत बताते हुए चुनौती देने वाली 279 याचिकाओं के एक समूह में फैसला सुनाया है.
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि सीआरपीसी, बीएनएसएस के तहत आरोपी को मिलने वाली सुरक्षा GST, सीमा शुल्क के तहत अभियोजन का सामना करने वालों को भी मिलेगी. सुप्रीम कोर्ट ने माना कि GST, सीमा शुल्क के तहत अभियोजन का सामना करने वाले लोग अग्रिम जमानत मांग सकते हैं, यहां तक कि उन मामलों में भी जहां FIR दर्ज नहीं की गई है. सुप्रीम कोर्ट GST, सीमा शुल्क अधिनियम के तहत गिरफ्तारी, अन्य दंडात्मक शक्तियों को चुनौती देने वाली 279 याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था.
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