April 2, 2025

ज्योतिषाचार्य से जानिए 5 या 6 अप्रैल कब करें कन्या पूजन और क्या है सही मुहूर्त​

इस बार लोगों के मन में कन्या पूजन की तिथि को लेकर थोड़ी कंफ्यूजन है. कुछ का कहना है कि अष्टमी तिथि को कंजक पूजन किया जाएगा जबकि कुछ का नवमी. ऐसे में आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य डॉ. गौरव दीक्षित से चैत्र नवरात्रि कन्या पूजन की सही तिथि और मुहर्त क्या है.

इस बार लोगों के मन में कन्या पूजन की तिथि को लेकर थोड़ी कंफ्यूजन है. कुछ का कहना है कि अष्टमी तिथि को कंजक पूजन किया जाएगा जबकि कुछ का नवमी. ऐसे में आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य डॉ. गौरव दीक्षित से चैत्र नवरात्रि कन्या पूजन की सही तिथि और मुहर्त क्या है.

Chaitra navratri Kanya Pujan mahurat 2025 : चैत्र नवरात्रि पर्व का शुभारंभ 30 मार्च से हो गया है. आज मां के तीसरे रूप माता चंद्र घंटा की घरों और मंदिरों में पूजा की जा रही है. आपको बता दें कि नौ दिन के इस पर्व में कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है. इस पूजा के साथ ही नवरात्रि का समापन होता है. आपको बता दें कि इस पूजन में कन्याओं को देवी दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक मानकर उनकी पूजा की जाती है. इस बार लोगों के मन में कन्या पूजन की तिथि को लेकर थोड़ी कंफ्यूजन है. कुछ का कहना है कि अष्टमी तिथि को कंजक पूजन किया जाएगा, जबकि कुछ का मानना है नवमी. ऐसे में आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य डॉ. गौरव कुमार दीक्षित से चैत्र नवरात्रि कन्या पूजन की सही तिथि और मुहर्त क्या है.

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चैत्र नवरात्र 2025 में कन्या पूजन की तिथि

ज्योतिषाचार्य डॉ. गौरव कहना है कि कन्या पूजन अष्टमी और नवमी दोनों तिथियों में की जा सकती है.

चैत्र नवरात्र अष्टमी तिथि कन्या पूजन मुहूर्त 2025

अष्टमी तिथि 4 अप्रैल को रात 8 बजकर 12 मिनट से शुरू होगी, जो अगले दिन यानी 5 अप्रैल को शाम 7 बजकर 26 मिनट तक रहेगी. ऐसे में कन्या पूजन 5 अप्रैल को 11:59 से 12:49 तक किया जा सकता है.

चैत्र नवरात्र नवमी तिथि कन्या पूजन मुहूर्त 2025

वहीं, नवमी तिथि की शुरुआत 5 अप्रैल को रात 7 बजकर 26 मिनट से होगी, जो अगले दिन यानी 6 अप्रैल को रात 7 बजकर 22 मिनट पर तक रहेगी. नवमी के दिन कन्या पूजन के लिए अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक रहेगा. इस अवधि में आप कन्या पूजन करके मां का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं.

कन्या पूजन में क्या करें

  • इस पूजा में आप कन्याओं को माता की चुनरी उढ़ाएं.
  • कन्याओं को सिंगार की सामग्री चढ़ाएं.
  • वहीं, भोजन में हलुवा, पूड़ी और चना दीजिए.
  • साथ ही कन्याओं को इस पूजा में नारियल भी भेंट किया जाता है.
  • पूजा के अंत में दक्षिणा भी दी जाती है.
  • कन्या पूजन में 2 से 10 वर्ष की लड़कियों को ही भोज कराना चाहिए.

जरूरी बात

साथ ही, अगर आपके घर में नवरात्रि की अष्टमी या नवमी तिथि के दौरान बच्चे का जन्म हुआ है या घर में किसी की मृत्यु हो जाती है, तो फिर आप पूर्णमासी तिथि पर भी कन्या पूजन कर सकते हैं. वहीं, आप अगर किसी यात्रा में हैं अष्टमी और नवमी तिथि के दौरान तो भी आप पूर्णमासी तिथि पर कन्या पूजन कर सकते हैं.

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