ईडी की ओर से आईएएस संजीव हंस के ठिकानों पर छापेमारी का ये पहला मामला नहीं है. ईडी की टीम ने आईएएस और उनके करीबियों के ठिकानों पर पिछले महीने भी छापेमारी की थी.
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के बिहार कैडर के अधिकारी संजीव हंस को बिहार बिजली मंत्रालय में कथित टेंडर घोटाला मामले में गिरफ्तार किया है. वहीं राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के पूर्व विधायक गुलाब यादव को भी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया है. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि हंस को पटना से गिरफ्तार किया गया, जबकि यादव को एजेंसी ने धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की धाराओं के तहत दिल्ली से हिरासत में लिया.
1997 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी हंस बिहार ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव रह चुके हैं. जबकि यादव राजद के पूर्व विधायक हैं. उन्होंने 2015 से 2020 तक मधुबनी जिले की झंझारपुर विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया था. दोनों के खिलाफ धनशोधन का मामला बिहार पुलिस की एक प्राथमिकी से संबंधित है.
ईडी ने इन लोगों की गिरफ्तारी से पहले शुक्रवार को छापेमारी भी की थी. प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने संजीव हंस के ठिकानों पर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ये कार्रवाई की. आईएएस संजीव हंस के पटना और दिल्ली स्थित ठिकानों पर रेड किया गया. ईडी की विभिन्न टीमों ने संजीव हंस के तीन ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की.
जानकारी के अनुसार, कुछ दिन पहले ही संजीव हंस के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत एक नया मामला दर्ज किया गया था. जांच के दौरान ईडी को संजीव हंस की पत्नी और उनके कई रिश्तेदारों के खिलाफ भी ठोस सबूत मिले हैं. इस मामले की गंभीरता को देखते हुए ईडी तेजी से कार्रवाई कर रही है.
संजीव हंस के ठिकानों पर छापेमारी के दौरान ईडी की टीम दस्तावेज खंगालने के साथ-साथ संपत्तियों और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियों की तलाशी ली. इस दौरान किसी भी व्यक्ति को घर के अंदर या बाहर जाने की इजाजत नहीं थी.
गौरतलब है कि, ईडी की ओर से आईएएस संजीव हंस के ठिकानों पर छापेमारी का ये पहला मामला नहीं है. ईडी की टीम ने आईएएस और उनके करीबियों के ठिकानों पर पिछले महीने भी छापेमारी की थी. इस दौरान ईडी को भारी मात्रा में सोने-चांदी के आभूषण और नकदी मिले थे.
आईएएस अधिकारी संजीव हंस ऊर्जा विभाग में एक पावर कंपनी के प्रधान सचिव रह चुके हैं. उन पर पद का दुरुपयोग कर काली कमाई करने का आरोप है.
हंस पर सरकारी पैनल में पद दिलाने में मदद करने के बहाने एक महिला का यौन शोषण करने का भी आरोप लगाया गया था. लेकिन अगस्त में पटना उच्च न्यायालय ने मामले को रद्द कर दिया था.
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