April 2, 2025
ट्रंप की धमकी का ईरान पर नहीं पड़ा कोई असर, अमेरिकी राष्ट्रपति के इस प्रस्ताव को किया खारिज 

ट्रंप की धमकी का ईरान पर नहीं पड़ा कोई असर, अमेरिकी राष्ट्रपति के इस प्रस्ताव को किया खारिज ​

ट्रंप ने इससे पहले मार्च में ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को चिट्ठी लिखकर चेतावनी दी थी कि तेहरान को या तो नए सिरे से बातचीत के लिए सहमत होना पड़ेगा वरना सैन्य टकराव झेलना पड़ेगा.

ट्रंप ने इससे पहले मार्च में ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को चिट्ठी लिखकर चेतावनी दी थी कि तेहरान को या तो नए सिरे से बातचीत के लिए सहमत होना पड़ेगा वरना सैन्य टकराव झेलना पड़ेगा.

अमेरिका और ईरान एक बार फिर आमने-सामने दिख रहे हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जहां एक तरफ ईरान को धमकी देते हुए न्यूक्लियर डील पर साइन करने को कहा है वहीं अब ईरान ने भी इसे लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है. ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान ने परमाणु कार्यक्रम को लेकर अमेरिका से सीधी बातचीत से इनकार कर दिया है. हालांकि, अपनी कैबिनेट को संबोधित करते हुए मसूद ने संकेत दिया कि तेहरान अमेरिका से इनडायरेक्ट टॉक्स करने के लिए तैयार है.

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ट्रंप ने क्या दी थी चेतावनी

एनबीसी न्यूज के मुताबिक, ट्रंप ने एक इंटरव्यू में कहा कि अगर ईरान डील नहीं करता है, तो अमेरिका ऐसी बमबारी करेगा, जो पहले कभी नहीं देखी होगी. इसके साथ भी टैरिफ भी लगाया जाएगा. ट्रंप ने ये चेतावनी ऐसे समय में दी है, जब ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर वाशिंगटन और तेहरान के बीच तनाव बढ़ गया है. ट्रंप ने इससे पहले मार्च में ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को चिट्ठी लिखकर चेतावनी दी थी कि तेहरान को या तो नए सिरे से बातचीत के लिए सहमत होना पड़ेगा वरना सैन्य टकराव झेलना पड़ेगा.

अमेरिका-ईरान के बीच कब से है तनाव?

बता दें कि 1979 में ईरानी क्रांति के बाद से, ईरान के संबंध अमेरिका और उसके सहयोगियों के साथ तनावपूर्ण हो गए हैं. बंधक संकट के बाद दोनों देशों ही देशों ने रिश्ते तोड़ लिए. दोनों देशों के बीच 1980 के बाद से कोई औपचारिक राजनयिक संबंध भी नहीं रहे. अमेरिका से 1995 से ईरान के साथ व्यापारिक संबंधों पर प्रतिबंध लगा दिया था.

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ईरान के खिलाफ अमेरिका का एक और कदम

अमेरिका ने इजरायल को ईरान और उसके प्रॉक्सी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार दे दिया है. इजरायल के पास अब ये अधिकार है कि वह अमेरिका से पूछे बिना ईरान और उसके प्रॉक्सी के खिलाफ हमले कर सकता है. ट्रंप ने न सिर्फ ईरान के साथ युद्ध के दरवाजे खोल दिए, बल्कि वह अयातुल्ला खुमैनी के सामने जंग का बिगुल भी फूंक रहे हैं.

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