भारतीय अमेरिकी वकील रवि बत्रा ने कहा है कि अमेरिकी कानून को किसी दूसरे देश में लागू नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इसको लेकर अमेरिका के पूर्व चीफ जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स पहले ही एक फैसला सुना चुके हैं.
एक भारतीय-अमेरिकी वकील ने अमेरिका में अदाणी ग्रुप पर लगे आरोपों पर सवाल उठाए हैं. इस मशहूर वकील ने इस मामले को अमेरिकी कानूनों को दूसरे देश में लागू करने का मामला बताया. उनका कहना है कि इस मामले में जिन लोगों पर आरोप लगाए गए हैं, वो अमेरिका में निवास नहीं करते हैं. भारतीय अमेरिकी वकील रवि बत्रा ने यह बात न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में कही. उन्होंने कहा कि हमारे घरेलू कानून समान हैं, लेकिन अमेरिकी कानूनों के बाहरी क्षेत्र में इस्तेमाल के बारे में शुरुआती तौर पर मामला बनता है. उन्होंने कहा कि डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद यह मामला खत्म किया जा सकता है.
अमेरिका के चीफ जस्टिस पहले ही दे चुके हैं फैसला
रवि बत्रा ने कहा कि अमेरिका के चीफ जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स ने बहुत पहले ही एक फैसले में कहा था कि दूसरे देशों में अपने कानूनों को लागू करने को दूसरे देश पसंद नहीं करते हैं.इसलिए इसके खिलाफ एक धारणा बनती है.भले ही वह मामला हमारे क्रिमिनल या सिविल कानूनों के उल्लंघन का क्यों न हो, इससे शासन में अराजकता आएगी. बत्रा ने कहा कि जिस व्यवहार की शिकायत की गई है, अगर वह अमेरिका में हुआ है तो आपराधिक आरोपों और दीवानी दावों पर मुकदमा चलाया जा सकता है.
क्या है कानूनी प्रक्रिया
उन्होंने कहा,”अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग (एसईसी) की ओर से दायर दीवानी के मामले में भी किसी दूसरे सिविल मामले की ही तरह पहले प्रतिवादियों को समन भेजना होगा और शिकायत की प्रति देनी होगी. इसके बाद उन्हें आरोपों पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए पर्याप्त समय देना होगा.अगर वो चाहें तो शिकायत या आरोपों को खारिज करने के लिए कदम उठाएं,जो अकाट्य सबूत की जगह केवल धारणा के आधार पर लगाए गए हैं.”
डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद खत्म हो जाएगा मामला?
बत्रा ने कहा कि अदाणी समूह के खिलाफ लगाए गए आरोप अगर गलत और दोषपूर्ण पाए जाते हैं तो उन्हें डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद वापस लिया जा सकता है. उन्होंने कहा कि हर नए राष्ट्रपति के पास उनकी नई टीम होती है. नए चुने गए 47वें राष्ट्रपति ट्रंप अपनी कैबिनेट के लिए एफबीआई की जांच से गुजर रहे हैं.वे मामले को निष्प्रभावी बना देंगे. यह माममा अच्छी भावना से नहीं शुरू किया गया है. उन्होंने इसे कानून का उल्लंघन बताया है. बत्रा ने कहा कि निश्चित रूप से अपने विरोधियों को निशाना बनाने के लिए यह मामला चुनिंदा लोगों पर बनाया गया है. यह मामला संघीय संविधान में दिए गए कानून के समान संरक्षण के लक्ष्य से इनकार करता है.
ये भी पढ़ें;अदाणी ग्रुप के फ़ंडामेंटल मज़बूत, शेयरों में उछाल, विरोध करने वालों को बाज़ार का करारा जवाब
NDTV India – Latest
More Stories
पनीर असली है या नकली इन 5 तरीकों की मदद से करें पहचान, वरना सेहत को उठाना पड़ सकता है गंभीर नुकसान
सबकुछ जल गया लेकिन मां गंगा पर कम नहीं हुआ विश्वास, जानिए महाकुंभ में लगी आग पर क्या बोले चश्मदीद
Budget 2025: संसद के बजट सत्र में आ सकता है नया आयकर कानून, जानें क्या हो सकते हैं बदलाव