अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की आमद के एक दिन बाद भारत ने वह इशारा कर दिया है, जो चीन को आने वाले दिनों में बेचैन करेगा. भारत चीन के हाथ से और भी ‘ऐपल’ छीनने की तैयारी में है. सिडनी में बुधवार को CEO और बिजनेस लीडर्स को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्रंप को इशारा कर दिया कि जिस चीन की नकेल कसने की हुंकार वह भरते रहे हैं, उसके लिए भारत अपनी ‘सप्लाई चेन’ के साथ पूरी तरह तैयार है.
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की आमद के एक दिन बाद भारत ने वह इशारा कर दिया है, जो चीन को आने वाले दिनों में बेचैन करेगा. भारत चीन के हाथ से और भी ‘ऐपल’ छीनने की तैयारी में है. सिडनी में बुधवार को CEO और बिजनेस लीडर्स को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्रंप को इशारा कर दिया कि जिस चीन की नकेल कसने की हुंकार वह भरते रहे हैं, उसके लिए भारत अपनी ‘सप्लाई चेन’ के साथ पूरी तरह तैयार है.
चीन इस वक्त ग्लोबल सप्लाई चेन का बादशाह है. चार दशक से उसका राज चल रहा है. हर कोई चीन पर पूरी तरह से निर्भर है. भारत भी चीन की सप्लाई चेन के जाल में एक हद तक जकड़ा हुआ था, लेकिन अब वह खुद इसमें ग्लोबल प्लेयर बन रहा है. ऐपल इसका उदाहरण है. चीन के हाथ से फिसलकर अब भारत ऐपल की सप्लाई चेन का हिस्सा है.
एस जयशंकर ने ऐपल का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि ट्रंप सरकार में सप्लाई चेन नए सिरे से बनने की प्रक्रिया और तेज होगी, जो भारत के लिए बड़ा मौका होगा. जयशंकर ने कहा कि दुनिया में सप्लाई चेन नए सिरे से बन रही है. अमेरिका में कल आए चुनाव नतीजों से यह बहुत संभव है कि आने वाले दिनों में यह रफ्तार पकड़ेगी. कुछ लोग इससे बेचैन होंगे. लेकिन हम भारत में उससे बहुत उम्मीदों से भरे हुए हैं. जयशंकर ने कहा कि 1990 से साल 2000 की शुरुआत तक इसमें काफी झोलमाल था. उन्होंने इशारों-इशारों में कहा कि भारत को उम्मीद है कि सप्लाई चेन की रि-ऑडरिंग से हमें ऐपल की दूसरी ‘बाइट’ मिलेगी.
मजबूत सप्लाई चेन के लिए कोशिशें करता रहा है भारत
भारत की अपनी मजबूत सप्लाई चेन को लेकर महत्वाकांक्षा पुरानी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र में कहा था कि, “जब भारत और अमेरिका सेमीकंडक्टर और महत्वपूर्ण खनिजों पर एक साथ काम करते हैं, तो यह दुनिया की सप्लाई चेन को अधिक विविध, लचीला और विश्वसनीय बनाने में मदद करता है.”
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भारत ने गुणवत्ता और लागत से संबंधित चिंताओं और कई बाधाओं को दूर कर लिया है. उदाहरण के लिए, कपड़ा क्षेत्र में एक ऐसा इको-सिस्टम बना गया है जो कम्पलीट ट्रेसेबिलिटी, ऑटोमेशन और एक स्किल्ड वर्कफोर्स का निर्माण करता है. वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बनने की भारत की क्षमता स्पष्ट है. भारत जिन चीजों पर पहले चीन पर निर्भर था, उनमें से ज्यादातर का अब भारत में निर्माण करना संभव हो रहा है.
बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था में आपूर्ति श्रृंखला बहुत महत्वपूर्ण
भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती सप्लाई चेन में डिस्ट्रप्शन और एक्सटेंडेड समय सीमा है. यह लागत राशि और योजना को प्रभावित करता है. भारत में बड़े अवसर हैं. भू-राजनीतिक मुद्दों के कारण आने वाले व्यवधानों को दूर करने की जरूरत है.
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भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था में आपूर्ति श्रृंखला बहुत महत्वपूर्ण है. भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, जिसमें कम लागत, प्रशिक्षित मेनपॉवर, अनुमानित 250 मिलियन उपभोक्ताओं वाला मध्यम वर्ग और व्यापार और निवेश के लिए यहां बढ़ता खुलापन है. इसी तरह की स्थितियों ने चीन को एक आकर्षक सप्लाई चेन का केंद्र बना दिया था. लेकिन अब चीन-केंद्रित वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला जो कि पूर्वी एशिया में समृद्धि लाती है, भू-राजनीतिक तनाव, हड़ताल के खतरों और मौसम संबंधी आपदाओं सहित कई वैश्विक झटकों से बाधित हो रही है.
सप्लाई चेन का क्या होता है मतलब?
सप्लाई चेन या आपूर्ति श्रृंखला किसी उत्पाद या सेवा को वितरित करने के लिए जुड़े सभी संगठनों, व्यक्तियों, टेक्नालॉजी, गतिविधियों, और संसाधनों का नेटवर्क है. इसमें आपूर्तिकर्ता से लेकर अंतिम उपयोगकर्ता तक की पूरी प्रक्रिया शामिल होती है. आपूर्ति श्रृंखला में सोर्सिंग, कच्चे माल या उपकरण की खरीद, विनिर्माण, बिक्री, लॉजिस्टिक्स और ट्रांसपोर्टेशन शामिल होता है. यानी की सप्लाई चेन में किसी भी वस्तु के निर्माण से जुड़ी प्रक्रिया में शामिल सभी पक्ष शामिल होते हैं. सप्लाई चेन जितनी मजबूत होगी उत्पादन और वितरण उतना ही आसान और सस्ता होगा.
इसमें सप्लाई चेन मैनेजमेंट भी काफी अहम होता है. इसमें आपूर्ति श्रृंखला की प्रक्रियाओं का कंट्रोल और कस्टमाइजेशन करना और उत्पादन से लेकर अंतिम डिलीवरी तक की सभी गतिविधियों का प्रबंधन शामिल होता है. बेहतर सप्लाई चेन मैनेजमेंट के जरिए लागत घटाई जा सकती है और कस्टमर सेटेसफेक्शन बढ़ाया जा सकता है. अच्छे प्रबंधन से ऑटोमेशन और आपरेशनल खर्च कम होता है. वास्तविक समय की निगरानी और पूर्वानुमान से संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल होता है. अपशिष्ट कम होता है, जिससे पर्यावरण को फायदा होता है.
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