रूस यूक्रेन युद्ध को खत्म करने की दिशा में अमेरिका और रूस ने आज पहला कदम उठाया. दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने मंगलवार को सऊदी अरब के रियाद में बातचीत की. आइए जानते हैं कि यह बातचीत सऊदी अरब में क्यों हो रही है और इसमें किसका क्या हित छिपा हुआ है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 12 फरवरी को यह कहकर पूरी दुनिया को चौंका दिया था कि उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात की है. उसी दिन उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से भी बात की थी. उन्होंने कहा था कि वो और पुतिन रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए बातचीत करने के लिए तैयार हो गए हैं.ट्रंप ने यह भी कहा था कि सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान भी बातचीत में शामिल हो सकते हैं. उसी समय यह खबर आई कि यह बातचीत सऊदी अरब में होगी.इन दोनों नेताओं के मुलाकात की भूमिका तैयार करने के लिए मंगलवार को दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडलों ने रियाद के दिरियाह पैलेस में मुलाकात की. ऐसे में बहुत से लोगों के मन में यह सवाल आया कि अमेरिका ने रूस से बातचीत के लिए सऊदी अरब का ही चुनाव क्यों किया. यहां हम आपको इसी सवाल का जवाब देने की कोशिश करेंगे.
क्या सऊदी अरब भी बनेगा बातचीत का हिस्सा
सऊदी अरब ने इस पहल का स्वागत किया. शुक्रवार को सऊदी अरब की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि ट्रंप-पुतिन की बातचीत और सऊदी अरब में वार्ता होने की संभावना की हम सराहना करते हैं.इसके साथ ही यह भी कहा गया कि रूस-यूक्रेन के बीच शांति के प्रयासों में सऊदी अरब अपना सहयोग देना जारी रखेगा. इस संभावित बातचीत की मेजबानी का प्रस्ताव चीन और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की भी तरफ से आया था.
सऊदी अरब को कोशिश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वही भूमिका निभाने की है, जो कतर, यूएई और ओमान पहले से निभा रहे हैं.
इस बातचीत के लिए सऊदी अरब का चुनाव उसकी तटस्थता को देखते हुए किया गया है. दरअसल 2023 में इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (आईसीसी) ने यूक्रेन पर रूसी आक्रमण को देखते हुए पुतिन को युद्ध अपराधों का दोषी मानते हुए उनके खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया था. दुनिया के कई देशों में पुतिन की गिरफ्तारी की आशंका है. ऐसे में सऊदी अरब पुतिन के लिए एक सुरक्षित देश है, क्योंकि उसने आईसीसी के साथ हुई संधि पर दस्तखत नहीं किए हैं. ऐसे में सऊदी अरब जाने पर गिरफ्तारी की आशंका नहीं सताएगी. पुतिन जब 2023 में सऊदी अरब की यात्रा पर गए थे तो क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने उन्हें सऊदी अरब और सऊदी जनता का विशेष मेहमान बताया था.
रूस-अमेरिका की दोस्ती में सऊदी अरब का हाथ
यहां यह जान लेना भी जरूरी है कि रूस की जेलों में बंद कई अमेरिकी नागरिकों की रिहाई में भी सऊदी अरब ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई है. राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से रूसी राष्ट्रपति पुतिन से बातचीत की जानकारी देने के पहले ही रूस और अमेरिका ने एक-एक कैदियों की अदला-बदली की थी. रूस ने पहले ड्रग तस्करी के दोष में सजा काट रहे अमेरिकी नागरिक को रिहा किया था. इसके बाद अमेरिका ने भी धोखाधड़ी के एक आरोपी को रिहा किया था. अमेरिकी अधिकारियों का कहना था कि इस रिहाई में सऊदी के क्राउन प्रिंस ने बड़ी भूमिका निभाई थी.
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 2023 में सऊदी अरब की यात्रा की थी.
ट्रंप की इस पहल पहले सऊदी अरब ने कई बार रूसी राष्ट्रपति पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को युद्ध खत्म करने की संभावना तलाशने के लिए आमंत्रित किया था. उसने कुछ दूसरे देशों के साथ मिलकर जेद्दा में एक बैठक की थी. दरअसल सऊदी अरब अंतरराष्ट्रीय अब वही भूमिका निभाना चाहता है, जैसी ओमान,कतर और यूएई पहले से ही निभा रहे हैं.
डोनाल्ड ट्रंप का पहला विदेश दौरा
पहली बार राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी पहली विदेश यात्रा सऊदी अरब की थी.
डोनाल्ड ट्रंप जब 2017 में राष्ट्रपति बने थे तो वे अपनी पहली विदेश यात्रा पर सऊदी अरब गए थे. अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की पहली विदेश यात्रा भी सऊदी अरब की ही होगी. अगर ऐसा होता है तो सऊदी अरब की अहमियत बढ जाएगी. इसलिए ट्रंप केवल रूसी राष्ट्रपति से बातचीत के लिए ही सऊदी अरब नहीं जाना चाहते हैं.वो सऊदी अरब की यात्रा के दौरान वहां व्यापार भी करना चाहते हैं. इसकी इच्छा भी वो जता चुके हैं. उन्होंने राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद कहा था कि अगर सऊदी अरब 450-500 अरब अमेरिकी डॉलर का सामान हमसे खरीदना चाहता है तो मैं सऊदी अरब जरूर जाऊंगा.इसके बाद सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने कहा कि वो अमेरिका में अगले कुछ सालों में सैकड़ों अरब डॉलर का निवेश करना चाहते हैं.इसके बाद ट्रंप ने सऊदी क्राउन प्रिंस को शानदार व्यक्ति बताया था.
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