Post Traumatic Stress: बीएमसी मेडिसिन में प्रकाशित शोध में कहा गया है कि वीडियो गेम मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद कारगर उपाय है.
आज के समय में तनाव की समस्या काफी देखने को मिलती है. लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि गेम के द्वारा इसे कम किया जा सकता है. एक शोध में यह बात सामने आई है कि अगर आप भी पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर से जूझ रहे हैं, तो वीडियो गेम आपकी बहुत मदद कर सकता है. बीएमसी मेडिसिन में प्रकाशित शोध में कहा गया है कि वीडियो गेम मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद कारगर उपाय है. यह दिमाग में आने वाली बेकार की चीजों को रोक देता है. स्वीडन के उप्साला विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने कहा कि इसका उपयोग रोगियों द्वारा सुरक्षित रूप से भी किया जा सकता है.
पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस के लक्षण- Symptoms Of Post-Traumatic Stress:
पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस में व्यक्ति को अत्यधिक तनाव, नींद की समस्या,एकाग्रता की समस्या के साथ पुरानी यादें घेर लेती हैं.
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टीम ने इसके लिए 64 प्रतिभागियों में इसका टेस्ट किया. एक टीम को पुरानी यादों के सहारे छोड़ दिया गया वही अन्य टीम के लोगों को टेट्रिस नामक वीडियो गेम खेलने के लिए कहा गया, जबकि टीम अन्य लोगों को रेडियो सुनने के लिए कहा गया. टेट्रिस के केंद्र में मेंटल रोटेशन की अवधारणा है. जब कोई व्यक्ति किसी वस्तु को एक कोण से देखता है, तो वह कल्पना कर सकता है कि वह वस्तु कैसी दिखेगी, अगर इसे एक अलग तरीके से देखा जा सके तो यह कैसे दिखेगी. उप्साला विश्वविद्यालय की प्रोफेसर एमिली होम्स ने कहा कि केवल एक निर्देशित उपचार सत्र से सकारात्मक प्रभाव दिखाई दिए. इससे पता चलता है कि वीडियो गेम खेलने से व्यक्ति के भीतर की पुरानी यादों को दिमाग में आने से रोका जा सकता है. होम्स ने कहा कि यदि वीडियो गेमिंग जैसे रोजमर्रा के उपकरण से तनाव को कम किया जा सकता है, तो यह कई लोगों की मदद करने का एक सुलभ तरीका हो सकता है.
शोध की शुरुआत में प्रतिभागियों को औसतन हर सप्ताह 15 फ्लैशबैक आते थे. एक सप्ताह बाद वीडियो गेम ग्रुप में औसतन सिर्फ एक फ्लैशबैक आया, जबकि नियंत्रण ग्रुप में हर सप्ताह पांच फ्लैशबैक आए. इसके अलावा इसका प्रभाव छह महीने बाद भी जारी रहा और गेमिंग समूह ने सभी लक्षणों में भी महत्वपूर्ण कमी का अनुभव किया.
होम्स ने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि उपचार पद्धति इतनी प्रभावी थी और लक्षणों में सुधार छह महीने तक बना रहा.
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