TIRUPATI LADDU: आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर के प्रसाद (लड्डू) में जानवरों की चर्बी और मछली के तेल का इस्तेमाल होने की बात सामने आने के बाद पूरे देश में बवाल मचा हुआ है. लेकिन इस बीच लड्डू की बिक्री के चौंकानेवाले आंकड़े सामने आ रहे हैं. इसे देख ऐसा लग रहा है कि विवाद पर आस्था भारी पड़ रही है.
तिरुपति मंदिर के प्रसाद (लड्डू) में मिलावट के मुद्दे पर देशभर में जमकर राजनीति हो रही है. लड्डू में मिलावट का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. लेकिन ऐसा लगता है कि भगवान वेंकटेश्वर के प्रसादम् में लोगों की आस्था पहले की तरह कायम है. तिरुपति मंदिर में लड्डू की बिक्री इस बात की गवाही दे रही है. लड्डू में मिलावट की खबर सामने आने के बाद भी बिक्री में कोई खास फर्क नहीं देखने को मिला है. बीते 4 दिनों में लगभग 14 लाख लड्डू की बिक्री हुई है.
लड्डू बनाने में रोजाना 15 टन गाय के घी का इस्तेमाल
तिरुपति मंदिर में दोस्तों, रिश्तेदारों को लड्डू उपहार में देने की प्रथा बदस्तूर जारी है. लड्डू बनाने के लिए प्रतिदिन 15 टन गाय के घी का इस्तेमाल हो रहा है. बीते 4 दिनों में लगभग 14 लाख लड्डू बेचे गए हैं. मंदिर में रोजाना 3 लाख से ज्यादा लड्डू बनाए जा रहे हैं और लगभग इतने ही लड्डू की बिक्री भी हो रही है. दरअसल, तिरुपति मंदिर में लड्डू में जानवरों की चर्बी और मछली के तेल का इस्तेमाल होने की बात सामने आने के बाद पूरे देश में बवाल मचा हुआ है. आरोप लगाया जा रहा है कि प्रसाद में मिलावट कर हिंदुओं की आस्था से छेड़छाड़ की गई है. रिपोर्ट में जब इस बात का खुलासा हुआ, तो लोग हैरान हैं कि आखिर ये आग लगी कहां से, कैसे पता चला कि लड्डू में चर्बी वाला घी मिलाया जा रहा है!
किस दिन बिके कितने लड्डू?
प्रसाद के लड्डू में जानवरों की चर्बी मिली होने का आरोप
तिरुपति मंदिर प्रशासन के मुताबिक, 19 सितंबर को 3.59 लाख लड्डू की बिक्री हुई, 20 सितंबर को 3.17 लाख, 21 सितंबर को 3.67 लाख और 22 सितंबर को 3.60 लाख लड्डू बेचे गए. हाल ही में आई एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी मिली है. यह चौंकाने वाला खुलासा तब हुआ, जब प्रयोगशालाओं में किए गए परीक्षणों से लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में पशुओं की चर्बी मिले होने की पुष्टि हुई. लड्डू में मिलावट के आरोपों के मद्देनजर एफएसएसएआई ने तिरुमला तिरुपति देवस्थानम को कथित रूप से घटिया घी की आपूर्ति करने के लिए तमिलनाडु स्थित एक कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. नोटिस में खाद्य नियामक ने ‘ए आर डेरी फूड प्राइवेट लिमिटेड’ से पूछा कि खाद्य सुरक्षा एवं मानक विनियमन 2011 के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए उसका केंद्रीय लाइसेंस निलंबित क्यों न कर दिया जाए.
लड्डू में मिलावट पर ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य भड़के
उत्तराखंड स्थित ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर में भक्तों को दिये जाने वाले ‘प्रसादम्’ में कथित रूप से जानवरों की चर्बी मिली होने की घटना पर तल्ख टिप्पणी करते हुए इसके लिये सम्पूर्ण मंदिर प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है. अपनी देशव्यापी गौरक्षा यात्रा को लेकर सोमवार को लखनऊ पहुंचे सरस्वती ने एक कार्यक्रम के दौरान संवाददाताओं से बातचीत में तिरुपति मंदिर में भक्तों को प्रसाद के रूप में दिये जाने वाले लड्डू में कथित रूप से जानवरों की चर्बी मिली होने के बारे में पूछे गये सवाल पर इस घटना के लिये मंदिर प्रशासन को दोषी ठहराया. उन्होंने कहा, ‘इतनी बड़ी घटना हो गयी… जो तिरुपति मंदिर के ट्रस्टी हैं, पदाधिकारी हैं, नियुक्त बड़े-बड़े अधिकारी हैं, वो सब दोषी हैं. जांच में भले ही कोई तीसरा व्यक्ति निकल आये लेकिन प्रथम दृष्ट्या सब दोषी हैं. अभी उनको वक्तव्य देकर दिखावा करने का अधिकार नहीं है, क्योंकि उनके जिम्मेदार पद पर रहते हुए यह सब कुछ हुआ है.’
कैसे पकड़ में आई लड्डू में हो रही मिलावट?
तिरुपति के लड्डू पर विवाद तब शुरू हुआ, जब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने एनडीडीबी (राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड) की एक रिपोर्ट के आधार पर चिंता जताई. इसमें कहा गया था कि मंदिर में इस्तेमाल किया जाने वाला घी शुद्ध नहीं है. जांच में पुष्टि हुई कि घी आपूर्तिकर्ताओं में से एक, एआर डेयरी फूड प्राइवेट लिमिटेड ने मंदिर को आपूर्ति किए जाने वाले घी में पशुओं की चर्बी मिलाई थी. मंदिर को घी सप्लाई करने वाले निर्माता जब बाजार भाव से काफी कम दाम पर घी सप्लाई कर रहे थे, तब मंदिर संगठन से जुड़े लोगों को शक होने लगा. ऐसे में घी की गुणवत्ता की जांच कराने की मांग उठने लगी. संदेह गहराने पर मंदिर को घी की आपूर्ति करने वाली सभी डेयरियों के घी की जांच कराई गई. बता दें कि प्रीमियर एग्री फूड्स, कृपाराम डेयरी, वैष्णवी, श्री पराग मिल्क और एआर डेयरी फूड तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) को घी सप्लाई करते थे.
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