December 21, 2024
'दंगल' का अखाड़ा बनी ताइवान की संसद, खूब चले लात घूंसे, कुर्सियों से हमला

‘दंगल’ का अखाड़ा बनी ताइवान की संसद, खूब चले लात-घूंसे, कुर्सियों से हमला​

तस्वीरों और वीडियो में विधायकों को ताइवान की संसद में धक्का-मुक्की करते और नेशनलिस्ट पार्टी के सदस्यों को समूह में प्रवेश करते हुए दिखाया गया. उनका उद्देश्य अध्यक्ष हान कुओ-यू को उनकी कुर्सी पर बैठाना था.

तस्वीरों और वीडियो में विधायकों को ताइवान की संसद में धक्का-मुक्की करते और नेशनलिस्ट पार्टी के सदस्यों को समूह में प्रवेश करते हुए दिखाया गया. उनका उद्देश्य अध्यक्ष हान कुओ-यू को उनकी कुर्सी पर बैठाना था.

ताइवान की संसद में शुक्रवार को उस समय हंगामा हो गया जब एक प्रमुख राजनीतिक दल के सदस्यों ने रातभर भवन में रहकर अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा कर लिया. इसके बाद दूसरे प्रमुख दल के सदस्य उन्हें हटाने के लिए जबरन अंदर घुस गए, जिससे दोनों पक्षों के बीच झड़प हो गई. ताइवान के मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस झड़प में कुछ विधायक घायल भी हुए हैं.

तीन विवादित विधेयकों को लेकर तनाव
यह विवाद तीन विधेयकों को लेकर है, जिन्हें नेशनलिस्ट पार्टी (कुओमिंतांग या केएमटी) द्वारा आगे बढ़ाया जा रहा है. इनमें से एक विधेयक के आलोचकों का कहना है कि यह संवैधानिक अदालत को कमजोर कर देगा. डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (डीपीपी) के विधायकों ने गुरुवार रात खिड़कियां तोड़कर संसद भवन में प्रवेश किया और अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा कर लिया. उन्होंने कुर्सियों की दीवार बनाकर रास्ता अवरुद्ध कर दिया.

शुक्रवार सुबह की झड़प के दौरान की तस्वीरों और वीडियो में विधायकों को धक्का-मुक्की करते और नेशनलिस्ट पार्टी के सदस्यों को समूह में प्रवेश करते हुए दिखाया गया. उनका उद्देश्य अध्यक्ष हान कुओ-यू को उनकी कुर्सी पर बैठाना था.

डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (डीपीपी) इन विधेयकों पर मतदान रोकने की कोशिश कर रही थी. हालांकि, न तो डीपीपी और न ही केएमटी ने पिछले चुनाव में बहुमत जीता था, लेकिन केएमटी ने एक छोटे दल के साथ मिलकर संसद का नियंत्रण अपने हाथ में लिया है. ताइवान के राष्ट्रपति लाइ छिंग-ते डीपीपी से हैं.

विवादित विधेयक संवैधानिक अदालत को सीमित करने, निर्वाचित अधिकारियों को हटाने की प्रक्रिया को कठिन बनाने और स्थानीय सरकारों को टैक्स राजस्व का बड़ा हिस्सा देने का प्रावधान करते हैं. गुरुवार रात और शुक्रवार को डीपीपी समर्थकों की हजारों की संख्या में संसद के बाहर प्रदर्शन किया गया.

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