दिल्ली की 70 सदस्यों वाली विधानसभा में 12 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. दिल्ली में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी पिछले दो चुनावों से ये सभी सीटें जीतते आ रही है. आइए जानते हैं कि कैसी है दिल्ली में आरक्षित सीटों और दलितों के वोट की लड़ाई.
दिल्ली में विधानसभा चुनाव की तस्वीर अब साफ हो चुकी है. ऐसे में चर्चा इस बात को लेकर चल पड़ी है कि दिल्ली में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों पर इस बार किस पार्टी का दबदबा होगा. पिछले दो बार से आम आदमी पार्टी सभी आरक्षित सीटों पर जीत दर्ज कर रही है. दिल्ली की 70 सीटों वाली विधानसभा में अनुसूचित जाति वर्ग के लिए 12 सीटें आरक्षित हैं. वहीं अगर वोट की बात करें तो दिल्ली के कुल मतदाताओं में से करीब 17 फीसदी मतदाता अनुसूचित जाति वर्ग के हैं.
परिसीमन से पहले दिल्ली में आरक्षित सीटों की संख्या 13 थी. साल 2008 तक दिल्ली में दलितों की राजनीति में कांग्रेस चैंपियन थी. लेकिन 2013 में आम आदमी पार्टी के आने के बाद सब कुछ बदल गया. उस चुनाव में आप ने 12 में से नौ सीटें जीतकर बड़ा फेरबदल कर दिया था. इसके बाद हुए दो चुनावों में आप ने एससी के लिए आरक्षित सभी 12 सीटें अपनी झोली में डाल ली थीं.
दिल्ली में दलित जातियों का गणित
वहीं अगर बात करें दिल्ली में अनुसूचित जाति के मतदाताओं की तो दिल्ली में इनकी आबादी करीब 17 फीसदी है. इनमें से 38 फीसदी जाटव और 21 फीसदी वाल्मीकि है. इस बार के चुनाव में लीक से अलग हटकर बीजेपी ने दो सामान्य सीटों पर अनुसूचित जाति के उम्मीदवार उतारे हैं. वहीं कांग्रेस ने एक सामान्य सीट पर अनुसूचित जाति का उम्मीदवार उतारा है. लेकिन ऐसा कर पाने में आप नाकाम रही है. बीजेपी ने दीप्ति इंदौरा को मटिया महल और कमल बागड़ी को बल्ली मारान से उम्मीदवार बनाया है.वहीं कांग्रेस ने नरेला से अरुणा कुमारी को टिकट दिया है. यहां यह भी उल्लेखनीय है कि बीजेपी दिल्ली की 70 में से केवल 68 सीटों पर ही चुनाव लड़ रही है. उसने दो सीटें जेडीयू और लोजपा (रामविलास) के लिए छोड़ी हैं. वहीं दिल्ली में पिछले दो चुनाव से सभी आरक्षित सीटें जीतने वाली आम आदमी पार्टी ने केवल आरक्षित सीटों पर ही अनुसूचित जाति के उम्मीदवार उतारे हैं.
एससी के लिए आरक्षित सीटों पर किसका कैसा प्रदर्शन
अगर पिछले तीन चुनावों की बात करें तो दिल्ली में 2013 के चुनाव में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों में से नौ पर आप, दो पर बीजेपी और एक पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. वहीं 2015 और 2020 के चुनाव में सभी सीटें आप ने जीत ली थीं. वहीं अगर 2020 के विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों को दलित बहुल 20 सीटों पर मिले वोटों और सीटों की बात करें तो आप ने इनमें से 19 पर जीत दर्ज करते हुए 55.7 फीसदी वोट अपने नाम किए थे. वहीं बीजेपी के हिस्से में एक सीट और 36.7 फीसदी वोट ही आए थे. कांग्रेस को कोई सीट तो नहीं मिली थी, लेकिन वह चार फीसदी वोट हासिल करने में कामयाब रही थी. अन्य के खाते में 3.6 फीसदी वोट आए थे.
किस दल को मिले किस जाति के वोट
सीएसडीएस लोकनीति के सर्वेक्षण के मुताबिक 2020 के विधानसभा चुनाव में जाटव जाति के 72 फीसदी मतदाताओं ने आप को वोट दिया था. वहीं बीजेपी को 22 और कांग्रेस को तीन फीसदी जाटव वोट मिले थे. वाल्मीकि जाति के 65 फीसदी वोट आप तो 29 फीसदी बीजेपी और चार फीसदी कांग्रेस को मिले थे. दूसरी अनुसूचित जातियों में से 66 फीसदी वोट आप तो 27 फीसदी बीजेपी और पांच फीसदी वोट कांग्रेस को मिले थे.
दिल्ली की 70 सदस्यों वाली विधानसभा के लिए इस बार एक चरण में चुनाव कराया जा रहा है. इसके लिए कुल 699 उम्मीदवार चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. दिल्ली में मतदान पांच फरवरी को कराई जाएगी.मतगणना आठ फरवरी को होगी.
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