Smita Patil Childhood Photo: ‘ना जीने की उम्र है ना मरने की, जिंदगी बस एक नाम है सदमे की’ यह लाइन किसी और के लिए नहीं महज 31 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह देने वाली सदाबहार और बेहद खूबसूरत एक्ट्रेस स्मिता पाटिल के लिए है.
‘ना जीने की उम्र है ना मरने की, जिंदगी बस एक नाम है सदमे की’ यह लाइन किसी और के लिए नहीं महज 31 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह देने वाली सदाबहार और बेहद खूबसूरत एक्ट्रेस स्मिता पाटिल के लिए है. 17 अक्टूबर को उनकी बर्थ एनिवर्सरी है. बड़ी-बड़ी आंखें, नूरानी चेहरा और गजब की गंभीरता वाली एक्ट्रेस की फिल्में आज भी दर्शकों को बांधने में कामयाब रहती हैं. पर्दे पर उनकी फिल्म चल रही हो तो देखने वाले बरबस हर सीन, हर हावभाव को बस निहारते रह जाते हैं. एक्टिंग की दुनिया में कमाल करने वाली स्मिता पाटिल पहले न्यूज एंकर थी. खास बात यह है कि सड़क पर गिरी उनकी तस्वीरें दूरर्दशन के निर्देशक को पसंद आ गई थी.
स्मिता पाटिल ने यहां की पढ़ाई
17 अक्टूबर 1955 को मुंबई में जन्मीं वर्सेटाइल अभिनेत्री स्मिता पाटिल की पढ़ाई मराठी माध्यम के स्कूलों में हुई थी. पढ़ाई के बाद वह मुंबई दूरदर्शन में मराठी में समाचार पढ़ने लगी थीं. स्मिता पाटिल की जीवनी मैथिली राव ने ‘स्मिता पाटिल अ ब्रीफ इनकैनडिसेंस’ नाम से लिखी है, जिसमें उन्होंने स्मिता पाटिल के दूरदर्शन को लेकर मजेदार किस्सा सुनाया था.
मैथिली राव ने स्मिता की जीवनी में बताया था, “स्मिता की एक दोस्त ज्योत्सना किरपेकर बंबई दूरदर्शन पर समाचार पढ़ा करती थी और उनके पति का नाम दीपक किरपेकर था, जो पेशे से फोटोग्राफर थे और प्रोफेशन के दौरान वह अक्सर स्मिता की तस्वीरें खींचा करते थे.”
इसी दौरान एक बार दीपक उनकी तस्वीरें लेकर दूरदर्शन केंद्र गए थे, जहां प्रवेश करते ही स्मिता की तस्वीरें गिर पड़ीं और वह तस्वीरों को जमीन पर ही व्यवस्थित करने लगे. इस दौरान वहां से निकल रहे मुंबई दूरदर्शन के निर्देशक पीवी कृष्मामूर्ति की नजर तस्वीरों पर पड़ी. अचानक उन्होंने पूछा, “यह किसकी तस्वीरें हैं?” फिर क्या था? दीपक ने उन्हें जब स्मिता के बारे में बताया तो उन्होंने कहा कि वो उनसे मिलना चाहते हैं.
हालांकि, स्मिता इस काम के लिए तैयार नहीं थीं और वह काफी मान-मनौव्वल के बाद दूरदर्शन केंद्र जाने के लिए तैयार हुईं. खास बात यह है कि ऑडिशन में जब स्मिता से पसंद की कोई चीज सुनाने के लिए कहा गया तो उन्होंने कुछ और नहीं बांग्लादेश का राष्ट्र गान “आमार शोनार बांग्ला” सुनाया. निदेशक को उनकी आवाज इतनी पसंद आई कि उन्होंने तत्काल न्यूज एंकर के लिए उन्हें चुन लिया. इसके बाद स्मिता मुंबई दूरदर्शन में मराठी में समाचार पढ़ने लगी थीं.
लोगों को उनकी आवाज इतनी पसंद थी कि जिन्हें मराठी नहीं आती थी, वह भी उनकी आवाज को सुनने के लिए टीवी खोलकर बैठ जाते थे. स्मिता के एक्टिंग करियर को भी यहीं से शानदार मौका मिला. लोकप्रिय फिल्म निर्देशक श्याम बेनेगल ने भी स्मिता को पहली बार टीवी पर ही देखा था और देखने के बाद उन्हें अपनी फिल्म में साइन करने का मन बना लिया था.
स्मिता पाटिल ने पहले से शादीशुदा एक्टर राज बब्बर से शादी की थी. राज बब्बर से उन्हें एक बेटा प्रतीक बब्बर है, जो एक्टर हैं और ‘आरक्षण’ के साथ ही अन्य कई फिल्मों में नजर आ चुके हैं. स्मिता महज 31 की उम्र में अपने फैंस को सदमा दे गईं. उनकी 13 दिसंबर 1986 को मृत्यु हो गई थी.
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