November 10, 2024
देश की संस्थाओं को ‘बदनाम’ करने वालों को कोई सम्मान नहीं मिल सकता : उपराष्ट्रपति धनखड़

देश की संस्थाओं को ‘बदनाम’ करने वालों को कोई सम्मान नहीं मिल सकता : उपराष्ट्रपति धनखड़​

धनखड़ ने कहा, ‘‘हर भारतीय जो इस देश से बाहर जाता है, वह इस देश का राजदूत होता है. उसके दिल में राष्ट्रवाद के लिए 100 प्रतिशत प्रतिबद्धता के अलावा कुछ नहीं होना चाहिए.’’

धनखड़ ने कहा, ‘‘हर भारतीय जो इस देश से बाहर जाता है, वह इस देश का राजदूत होता है. उसके दिल में राष्ट्रवाद के लिए 100 प्रतिशत प्रतिबद्धता के अलावा कुछ नहीं होना चाहिए.’’

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि ऐसे व्यक्ति को कोई सम्मान नहीं मिल सकता जिसने देश के अंदर और बाहर भारत की संस्थाओं को ‘बदनाम’ किया हो.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि सत्तारूढ़ गठबंधन के उन नेताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए, जिन्होंने राहुल गांधी के खिलाफ ‘आपत्तिजनक एवं हिंसक’ बयान दिए हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री से अपने नेताओं को अनुशासित करने का भी अनुरोध किया था. खरगे के इस पत्र के दो दिन बाद धनखड़ की यह टिप्पणी सामने आई है.

राज्यसभा के सभापति धनखड़ ने ‘संसद टीवी@3 कॉन्क्लेव’ को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘कोई बोल रहा है, हमारे नेता को अपमानित किया जा रहा है. संस्थाओं पर नजर डालिए. क्या हम ऐसे व्यक्ति की प्रशंसा कर सकते हैं जो देश के अंदर और बाहर हमारी संस्थाओं को बदनाम कर रहा हो, हमारे विकास को बाधित कर रहा हो. क्या हम इसकी अनदेखी कर सकते हैं?”उन्होंने कहा कि विशेषकर विदेश में भारत की ‘‘गलत तस्वीर” पेश नहीं की जा सकती.

धनखड़ ने कहा, ‘‘हर भारतीय जो इस देश से बाहर जाता है, वह इस देश का राजदूत होता है. उसके दिल में राष्ट्रवाद के लिए 100 प्रतिशत प्रतिबद्धता के अलावा कुछ नहीं होना चाहिए.”

उपराष्ट्रपति ने कहा कि वर्तमान पारिस्थितिकी तंत्र में, हर किसी के पास ताकत दिखाने, क्षमता का इस्तेमाल करने, प्रतिभा को पहचानने और सपनों को साकार करने का मौका है.

उन्होंने ‘‘अमेरिका में किसी ऐसे व्यक्ति” पर भी निशाना साधा जो यह विमर्श फैला रहा है कि आईआईटी और आईआईएम में केवल उच्च वर्ग को ही दाखिला मिलता है.उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यह कहने में कोई संदेह नहीं है कि वे मूर्खों के स्वर्ग में हैं. वे भूल गए हैं कि अब भारत बदल गया है. इस देश में विशेषाधिकार प्राप्त वंश अब नहीं रहा. हर कोई कानून के शासन के प्रति जवाबदेह है.”

अपने संबोधन के दौरान उन्होंने मीडिया से भी ‘‘थोड़ा साहसी” होने का आग्रह किया. उन्होंने कहा, ‘‘हमें ऐसे मुद्दों पर ध्यान देना होगा जो किसी व्यक्ति पर केंद्रित न हों. हम व्यक्ति-केंद्रित दृष्टिकोण कैसे अपना सकते हैं.”उन्होंने संसद टीवी से संविधान दिवस पर ध्यान केंद्रित करने को कहा. उन्होंने कहा, ‘‘दूसरा, संविधान हत्या दिवस, हमें इसे हर साल बड़े पैमाने पर प्रसारित करने की जरूरत है. हमारे लोगों को संवेदनशील होना होगा.”

संविधान दिवस 26 नवंबर को संविधान सभा द्वारा संविधान को अपनाने की याद में मनाया जाता है. कुछ साल पहले तक इस दिन को कानून दिवस के रूप में मनाया जाता था.इस वर्ष की शुरुआत में सरकार ने 25 जून 1975 को आपातकाल लागू किए जाने के कारण ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप घोषित किया था.

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