रामानुज पासवान ने अभी तक करीब 5000 सांपों को पकड़ा है. रामानुज पासवान सांपों को पकड़कर उन्हें जंगल में छोड़ आते हैं. रामानुज पासवान के अनुसार पर्यावरण के लिए सांपों का रहना आवश्यक है. इसलिए वह सांपों को पकड़कर वन विभाग को सौंपते हैं और फिर उसे जंगल में छोड़ देते हैं.
अक्सर सांपों को देखकर लोग डर जाते हैं और उनसे बचने की कोशिश करते हैं. लेकिन बिहार के निवासी रामानुज पासवान को सांप बेहद ही पसंद हैं. लोग जहां सांपों को देख भाग खड़े होते हैं. वहीं रामानुज पासवान सांपों को देखकर खुश हो जाते हैं और उन्हें पकड़कर जंगल में छोड़ देते हैं. रामानुज पासवान ने अब तक करीब 5000 सांपों को रेस्क्यू किया और उन्हें जंगलों में छोड़ा है. हाल ही में रामानुज पासवान ने बाढ़ के पानी के साथ बहकर गांव में पहुंचे 6 रसेल वाइपर समेत 15 सांपों को पकड़कर जंगल में छोड़ा है.
बेगूसराय बाढ़ के पानी में बहकर गांव में 6 रसेल वाइपर समेत 15 सांप पहुंच गए थे. इन सांपों को देख गांव के लोगों में डर और दहशत फैल गई थी. जब रामानुज पासवान को इन सांपों के बारे में पता चला तो वो गांव पहुंच गए. उन्होंने अलग-अलग जगहों से इन सांपों को पकड़ा. फिर वन प्रमंडल विभाग के आदेश पर इन्हें जंगल में छोड़ दिया.
रामानुज पासवान बलिया प्रखंड के शिव नगर गांव के निवासी हैं. रामानुज पासवान कहते हैं कि पर्यावरण के लिए सांपों का रहना आवश्यक है. इसलिए वह सांपों को पकड़कर वन विभाग को सौंपते हैं और फिर उसे जंगल में छोड़ देते हैं.
पिछले महीने बेगूसराय के कई इलाकों में गंगा में जलस्तर बढ़ने पर बाढ़ आ गई थी. इस बाढ़ के कारण बलिया प्रखंड के शिव नगर, बहादुर नगर और शाहपुर गांव में कई सांप आए गए थे. एक महीन के अंदर करीब 25 सांपों को अलग-अलग घरों से रामानुज पासवान ने पकड़ा है.
रामानुज पासवान ने कहा, दुनिया में खतरनाक सांपों में शामिल रसेल वाइपर और अति दुर्लभ प्रजाति के गोल्डन किट वायपर, कोबरा समेत 25 सांपों को एक महीने के अंदर तीन गांव से रेस्क्यू किया है. उन्हें वन विभाग को सौंपा और फिर वन विभाग के आदेश पर जंगलों में छोड़ दिया है.
बचपन में पकड़ा था पहला सांप
रामानुज पासवान ने बताया कि बचपन में एक बार उनके आंगन में एक सांप आ गया था और कौंवा उसे घेरे हुए था. तभी उन्होंने सांप की जान बचाई थी. जिसके बाद से उनका हौसला बढ़ा और अब तक वह करीब 5000 सांपों को उन्होंने अलग-अलग गांव और घरों से पकड़ कर जंगलों में छोड़ा है.
बेगूसराय से संतोष प्रसाद की रिपोर्ट
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