पत्रकार महेश लांगा का 222 शेल कंपनियों से कनेक्शन, GST फ्रॉड के बाद तीन और मामले दर्ज​

 Mahesh Langa Case: सूत्र बताते हैं कि महेश लांगा का केस कॉरपोरेट जासूसी और उगाही का हो सकता है.

गुजरात के अहमदाबाद में हुए करोड़ों के GST घोटाले के मामले में गिरफ्तार किए गए अंग्रेजी अखबार ‘द हिंदू’ के पत्रकार महेश लांगा के मामले में हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं. उसपर शेल कंपनियों के माध्यम से 7 करोड़ के GST फ्रॉड का आरोप है. वहीं, उसके खिलाफ 28 लाख रुपये के फ्रॉड की एक FIR भी एक कारोबारी ने दर्ज कराई है. कुल मिलाकर उसके खिलाफ चार FIR दर्ज हो चुकी है. पहला मामला जीएसटी का है, दूसरा और तीसरा केस गुजरात पुलिस ने दर्ज किया है और चौथा मामला ED ने दर्ज किया है. मंगलवार को अहमदाबाद के पुलिस कमिश्नर जीएस मलिक ने बताया कि पूछताछ के दौरान पता चला है कि महेश लांगा का कनेक्शन 222 शेल कंपनियों से है. इन कंपनियों के जरिए करोड़ों की हेराफेरी की गई थी.

सूत्र बता रहे हैं कि दरअसल ये पूरा मामला एक पत्रकार, कॉरपोरेट राइवल, सरकारी अफसरों और कुछ नेताओं के नेक्सस का हो सकता है, जिसमें मकसद था कॉरपोरेट जासूसी और जबरन वसूली. 

पुलिस कमिश्नर के मुताबिक, GST फ्रॉड के मामले में महेश लांगा के घर समेत 19 जगहों पर तलाशी ली गई थी. इस दौरान कई गोपनीय सरकारी दस्तावेज बरामद किए गए हैं. पुलिस कमिश्नर ये भी बताया कि महेश लांगा की इनकम और उसके लाइफ स्टाइल में कोई मेल नहीं है. इनकम टैक्स रिटर्न 202-2023 के मुताबिक, महेश लांगा की इनकम 9.48 लाख थी. उनकी पत्नी की इनकम 6 लाख के करीब थी. लेकिन, उसके घर से 20 लाख रुपये कैश मिले हैं. पता चला कि महेश लांगा फाइट स्टार होटलों में ठहरता था और अक्सर फॉरिन ट्रिप्स भी करता था.

प्रेस का नाम, ब्लैकमेल का काम? 
पुलिस के मुताबिक, महेश लांगा अपने कनेक्शन दिखाकर कारोबारियों से पैसों की उगाही करता था. पुलिस ने बताया कि लांगा के खिलाफ एक दूसरी FIR दर्ज हुई है. इसमें आरोप है कि महेश लांगा ने एक कारोबारी से 23 लाख रुपये लिए और वापस नहीं किए. इसी कारोबारी से उसने अपनी पत्नी की बर्थडे पार्टी के लिए 5 लाख 68 हजार का बिल भरवाया, लेकिन ये पैसे भी नहीं लौटाए. जब कारोबारी ने पैसे वापस मांगे, तो महेश ने धमकी दी. 

पुलिस ने बताया कि महेश लांगा के खिलाफ तीसरी FIR गांधीनगर में दर्ज हुई है. ये मामला उनके यहां से गोपनीय दस्तावेज मिलने के बाद दर्ज किया गया है.

वसूली के लिए सरकारी दस्तावेजों की जासूसी
अहमदाबाद पुलिस ने ये भी बताया कि महेश लांगा ने सरकारी दस्तावेजों के आधार पर कोई खबर नहीं छापी. तो सवाल उठता है कि इन दस्तावेजों का क्या किया गया? सूत्र बताते हैं कि इनका इस्तेमाल कॉरपोरेट जासूसी और एक्सटॉर्शन के लिए हो सकता है. इस नेक्सस में राइवल कारपोरेट, कुछ आला अफसर और कुछ नेता भी शामिल हो सकते हैं. 

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने महेश लांगा की गिरफ्तारी को लोकतांत्रिक आजादी पर हमला बताया था. लेकिन, अहमदाबाद पुलिस के नए खुलासों के बाद जयराम के सवाल ही सवालों के कठघरे में आ गए हैं.

ED भी कर रही जांच
शेल कंपनियों का खुलासा होने के बाद अब इस मामले की जांच ED भी कर रही है. शेल कंपनियों के खुलासे के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मेसर्स ध्रुवी एंटरप्राइजेज और अन्य के खिलाफ दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अहमदाबाद, सूरत और भावनगर में स्थित 7 परिसरों में शनिवार को तलाशी अभियान चलाया था. इस दौरान, गोपनीय दस्तावेज बरामद किए गए, जिन्हें जब्त कर लिया गया.  जाहिर है ये मामला अब GST फ्रॉड और धोखाधड़ी से आगे निकल गया है. हमारे विश्वस्त सूत्र बता रहे हैं कि ED के रडार पर दिल्ली और गुजरात के कुछ सरकारी अफसर भी हैं. ED हवाला एंगल की भी जांच कर रही है.

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