पिछले वित्तवर्ष 2023-24 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून, 2023) में यह आंकड़ा 8.2 फ़ीसदी रहा था, जबकि वित्तवर्ष की अंतिम तिमाही (जनवरी-मार्च, 2024) के दौरान देश के GDP में 7.8 फ़ीसदी बढ़ोतरी दर्ज हुई थी.
वित्तवर्ष 2024-25 की पहली तिमाही, यानी अप्रैल-जून 2024 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद, यानी GDP में 6.7 फ़ीसदी की दर से बढ़ोतरी हुई है. यह आंकड़ा पांच तिमाहियों में सबसे कम रहा है. पिछले वित्तवर्ष 2023-24 की सभी चारों तिमाहियों में वृद्धि का यह आंकड़ा 7 फ़ीसदी से ऊपर रहा था. 2022-23 की अंतिम तिमाही, यानी जनवरी-मार्च, 2023 में GDP में 6.2 फ़ीसदी बढ़ोतरी हुई थी, जो हाल ही में खत्म हुई तिमाही से आंकड़े से कम थी. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, GDP की बढ़ोतरी की गति का धीमा हो जाने की प्रमुख वजह कृषि क्षेत्र का खराब प्रदर्शन रहा.
पिछले वित्तवर्ष 2023-24 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून, 2023) में यह आंकड़ा 8.2 फ़ीसदी रहा था, जबकि वित्तवर्ष की अंतिम तिमाही (जनवरी-मार्च, 2024) के दौरान देश के GDP में 7.8 फ़ीसदी बढ़ोतरी दर्ज हुई थी. इस धीमी बढ़ोतरी के बावजूद भारत सबसे तेज़ गति से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ है, क्योंकि वित्तवर्ष की पहली तिमाही के दौरान चीन की GDP वृद्धि की दर 4.7 फ़ीसदी रही है.
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, कृषि क्षेत्र में इस दौरान सिर्फ़ 2 फ़ीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई, जो वित्तवर्ष 2023-24 की अप्रैल-जून तिमाही में हुई 3.7 फ़ीसदी की बढ़ोतरी से कम है.
दूसरी ओर, मौजूदा वित्तवर्ष की पहली तिमाही, यानी अप्रैल-जून, 2024 में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर बढ़कर 7 फ़ीसदी हो गई, जबकि एक साल पहले इसी अवधि के दौरान यह दर 5 फ़ीसदी रही थी.
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