महाकुंभ के समय वायु प्रदूषण में इस नियंत्रण की वजह नगर निगम प्रयागराज की नियमित मॉनिटरिंग और इस बार की गई कई पहल मानी जा रही है.
प्रयागराज महाकुंभ में अब तक 62 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी के पवित्र जल में पुण्य की डुबकी लगाई है. श्रद्धालुओं की हजारों की संख्या में चार पहिया वाहन भी महाकुंभ क्षेत्र में अपनी मौजूदगी दर्ज करा चुके हैं, बावजूद इसके महाकुंभ नगर की आबोहवा प्रदूषित नहीं हुई है. केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड की तरफ से जारी एयर क्वालिटी इंडेक्स से यह बात सामने आई है.
महाकुंभ में देश की 60 फीसदी से अधिक आबादी संगम के पावन जल में पुण्य की डुबकी लगाकर चली गई. लाखों चार पहिया वाहन भी यहां रहे. बावजूद इसके महाकुंभ क्षेत्र की आबोहवा सेहत के लिए खराब नहीं हुई है. केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड की तरफ से जारी आंकड़ों से इसे बल मिला है.
प्रयागराज महाकुंभ आने के लिए अभी भी आस्था का जनसैलाब उमड़ रहा है. डीजल और पेट्रोल से चलने वाले वाहनों का भी रेला है, बावजूद इसके लगातार 42 दिन से शहर वायु की गुणवत्ता को लेकर ग्रीन जोन में बना हुआ है.
केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड के अधिकृत ऐप समीर में दर्ज देश के विभिन्न शहरों की जनवरी और फरवरी के महीने की वायु गुणवत्ता की रिपोर्ट के तुलनात्मक आंकड़े बताते हैं कि इस दौरान महाकुंभ की स्थिति चंडीगढ़ से भी बेहतर रही है. पौष पूर्णिमा 13 जनवरी को चंडीगढ़ का वायु गुणवत्ता सूचकांक 253 , 14 जनवरी मकर संक्रांति को 264, 29 जनवरी को 234, 3 फरवरी बसंत पंचमी को 208 और 12 फरवरी माघ पूर्णिमा को 89 था.
महाकुंभ के समय वायु प्रदूषण में इस नियंत्रण की वजह नगर निगम प्रयागराज की नियमित मॉनिटरिंग और इस बार की गई कई पहल मानी जा रही है.
नगर निगम प्रयागराज के अवर अभियंता राम सक्सेना बताते हैं कि वायु प्रदूषण की समस्या से बचने के लिए नगर निगम ने 9,600 कर्मियों को काम में लगाया. इसके अलावा, 800 से अधिक स्वच्छता कर्मी भी पूरे समय सक्रिय रहे. वॉटर स्प्रिंकलर से लगातार पानी का छिड़काव उन इलाकों में किया गया, जहां वायु प्रदूषण की संभावना थी.
उन्होंने बताया कि नगर निगम द्वारा रात में शहर की सड़कों की धुलाई की जाती रही. जल निगम से 10 हजार लीटर के 8 बड़े और तीन हजार लीटर के 4 छोटे पानी के टैंकर लिए गए. शहर के व्यस्ततम चौराहों में शामिल एमएनआईटी चौराहा तेलियरगंज, झूंसी आवास विकास और नगर निगम कार्यालय में तीन जगहों पर एंटी पलूशन सेंसर लगाए गए, जहां प्रतिदिन स्प्रिंकलर से पानी का छिड़काव होता रहा.
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