November 24, 2024
प्रेग्नेंसी के दौरान और बाद नींद में सुधार कर सकती है कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी : स्टडी

प्रेग्नेंसी के दौरान और बाद नींद में सुधार कर सकती है कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी : स्टडी​

ब्रिटिश कोलंबिया ओकानागन विश्वविद्यालय और कैलगरी विश्वविद्यालय के वैंकूवर परिसर की टीम ने दिखाया कि सीबीटीआई गर्भावस्था के दौरान अनिद्रा का कारण बनने वाले विचार व्यवहार और नींद के पैटर्न का पता लगा सकता है.

ब्रिटिश कोलंबिया ओकानागन विश्वविद्यालय और कैलगरी विश्वविद्यालय के वैंकूवर परिसर की टीम ने दिखाया कि सीबीटीआई गर्भावस्था के दौरान अनिद्रा का कारण बनने वाले विचार व्यवहार और नींद के पैटर्न का पता लगा सकता है.

गर्भावस्था के दौरान और उसके बाद खराब नींद आना आम बात है. इसको लेकर कनाडाई शोधकर्ताओं ने अनिद्रा के लिए कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (सीबीटीआई) का सुझाव देते हुए कहा कि यह न केवल नींद के पैटर्न में सुधार कर सकती है, बल्कि प्रसव के बाद के अवसाद को भी दूर करने का काम करती है. ब्रिटिश कोलंबिया ओकानागन विश्वविद्यालय और कैलगरी विश्वविद्यालय के वैंकूवर परिसर की टीम ने दिखाया कि सीबीटीआई गर्भावस्था के दौरान अनिद्रा का कारण बनने वाले विचार व्यवहार और नींद के पैटर्न का पता लगा सकता है. जो बच्चे के जन्म के बाद प्रसवोत्तर अवसादग्रस्तता लक्षणों के जोखिम को काफी हद तक रोक सकता है.

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कैसे किया जाता है इलाज?

इस उपचार में गलत धारणाओं को चुनौती देना या उन्हें नए रूप में प्रस्तुत करना और स्लीप क्वालिटी में सुधार के लिए आदतों को रिऑर्गेनाइज करना शामिल है. यूबीसीओ के नर्सिंग स्कूल में सहायक प्रोफेसर डॉ. एलिजाबेथ कीज ने कहा कि सीबीटीआई के साथ प्रारंभिक उपचार बच्चे और मां दोनों के लिए जरूरी हो सकता है.

कीज ने कहा कि अनिद्रा के उपचार के लिए सीबीटीआई बेहतर है और यह अवसादरोधी दवाओं के समान है. चूंकि इसके साइड इफेक्ट कम होते हैं, इसलिए इस थेरेपी को गर्भावस्था में सुरक्षित माना जाता है.

प्रसवोत्तर अवसाद (पीपीडी) एक मूड डिसऑर्डर है जो प्रसव के बाद महिलाओं और पुरुषों को प्रभावित कर सकता है. यह किसी व्यक्ति के व्यवहार और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है. सामान्य से ज्यादा रोना, गुस्सा महसूस करना, बच्चे से दूर रहना, बच्चे की देखभाल करने की क्षमता पर संदेह होना और बच्चे या खुद को नुकसान पहुंचाने के विचार इसके सामान्य लक्षण हैं.

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कैसे किया गया शोध?

शोध में अनिद्रा और अवसाद के लक्षणों वाली 62 महिलाओं को शामिल किया गया था. इनमें से आधी महिलाओं को एक उपचार समूह में रखा गया, जबकि बाकी को एक नियंत्रण समूह में शामिल किया गया.

कीज ने पाया कि जर्नल ऑफ अफेक्टिव डिसऑर्डर के अंक में दिखाई देने वाले परिणाम “बेहद उत्साहजनक” थे और उन सभी महिलाओं की मदद कर सकते हैं जिन्होंने अपने नवजात शिशुओं के साथ शुरुआती दिनों में संघर्ष किया है.

कीज ने कहा कि अगला काम गर्भवती महिलाओं के लिए उपचार को ज्यादा सुलभ बनाने के तरीके खोजना है, ताकि उनकी नींद संबंधी स्वास्थ्य समानता में सुधार हो सके.

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