सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के मुख्य सचिव सुधांश पंत द्वारा दायर हलफनामे को स्वीकार करते हुए राज्य सरकार को 6 महीने का समय दिया है, ताकि अन्नासागर झील के चारों ओर बनी सेवन वंडर संरचनाओं को स्थानांतरित किया जा सके या ध्वस्त किया जा सके.
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार को आनासागर झील के चारों ओर बने सेवन वंडर संरचनाओं को स्थानांतरित करने या ध्वस्त करने के लिए छह महीने का समय दिया. राज्य से पूछा कि क्या अधिक वेटलैंड बनाया जा सकता है? गांधी स्मृति उद्यान और पटेल स्टेडियम से संबंधित अन्य मुद्दों पर 7 अप्रैल को अगली सुनवाई होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के मुख्य सचिव सुधांश पंत द्वारा दायर हलफनामे को स्वीकार करते हुए राज्य सरकार को 6 महीने का समय दिया है, ताकि अन्नासागर झील के चारों ओर बनी सेवन वंडर संरचनाओं को स्थानांतरित किया जा सके या ध्वस्त किया जा सके. न्यायालय ने झील के चारों ओर स्थित फूड कोर्ट को हटाने के संबंध में सरकार के बयान को भी स्वीकार किया.
इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने की. इस दौरान मुख्य सचिव सुधांश पंत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित हुए और राज्य सरकार द्वारा किए गए अनुपालन उपायों की जानकारी दी. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवमंगल शर्मा ने राजस्थान सरकार की ओर से पेश होते हुए दलील दी कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है.
मुख्य सचिव के हलफनामे से प्रमुख बिंदु
मुख्य सचिव सुधांश पंत द्वारा प्रस्तुत हलफनामे में राज्य सरकार द्वारा उठाए गए अनुपालन उपायों का विवरण दिया गया है:
1. फूड कोर्ट और अवैध निर्माणों को हटाना
• लवकुश उद्यान में स्थित फूड कोर्ट को पहले ही ध्वस्त कर दिया गया है.
• सेवन वंडर पार्क के अंदर बने फूड कोर्ट और अन्य संरचनाओं को हटा दिया गया है, और सात में से एक प्रतिकृति को पहले ही हटा दिया गया है.
• राज्य सरकार ने शेष संरचनाओं को स्थानांतरित करने या पुनर्निर्मित करने की अनुमति मांगी है, ताकि यह झील के पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित न करे.
2. अन्नासागर झील को वेटलैंड घोषित करने की प्रक्रिया
• राज्य सरकार ने अन्नासागर झील को वेटलैंड घोषित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जो वेटलैंड (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2017 के तहत होगी.
• छह महीने के भीतर विस्तृत अधिसूचना तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया गया है.
3. पर्यावरण संरक्षण के उपाय
• गांधी स्मृति उद्यान के अंदर बनी पगडंडी को हटाकर हरित लॉन में परिवर्तित किया जाएगा और यह कार्य दो महीने में पूरा होगा.
• पटेल स्टेडियम के अंदर बना इंडोर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स यथावत रहेगा, क्योंकि यह पहले से मौजूद संरचनाओं के अनुरूप है और सार्वजनिक स्वास्थ्य व फिटनेस को बढ़ावा देता है.
• झील की जल गुणवत्ता में सुधार के लिए 4 एयरेटर्स और 8 फव्वारे स्थापित किए गए हैं, जिनके लिए नेशनल एनवायर्नमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (NEERI) से तकनीकी सहायता ली गई है.
4. पक्षी और पारिस्थितिकी संरक्षण प्रयास
• मालवीय राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (MNIT) की एक टीम को अतिरिक्त संरक्षण उपायों की सिफारिश करने के लिए नियुक्त किया गया है.
• माइग्रेटरी बर्ड्स (प्रवासी पक्षियों) की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिसे हालिया रिपोर्ट में दर्शाया गया है.
मामले के बारे में
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने अपने 11 अगस्त 2023 के आदेश में अन्नासागर झील और उसके आसपास अतिक्रमण व अवैध निर्माणों को हटाने का निर्देश दिया था. एनजीटी ने कहा था कि ये निर्माण वेटलैंड (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2017 और राजस्थान झील संरक्षण अधिनियम, 2015 का उल्लंघन करते हैं.
इसके बाद, राजस्थान सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, यह तर्क देते हुए कि सेवन वंडर संरचनाएं और पगडंडियां स्मार्ट सिटी मिशन के तहत बनाई गई थीं और सार्वजनिक उपयोगिता के लिए आवश्यक हैं. हालांकि, अपने हलफनामे में राज्य सरकार ने अनुपालन की आवश्यकता को स्वीकार किया और सुनियोजित कार्यान्वयन के लिए समय मांगा.
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई का प्रभाव और आगे की कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट द्वारा छह महीने की समय-सीमा दिए जाने के बाद राजस्थान सरकार को संरचनाओं को हटाने या स्थानांतरित करने की प्रक्रिया में तेजी ला सकती है, ताकि यह पर्यावरणीय मानकों और विरासत संरक्षण नियमों का पालन कर सके.
पटेल स्टेडियम, गांधी स्मृति उद्यान और आज़ाद पार्क से संबंधित मुद्दों को 7 अप्रैल 2025 को विचार के लिए लिया जाएगा, जिससे राज्य सरकार को इन संरचनाओं के संबंध में अतिरिक्त स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का अवसर मिलेगा. इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी पूछा है कि क्या अजमेर में अधिक वेटलैंड बनाए जा सकते हैं. आगे की कार्रवाई इस पर निर्भर करेगी कि सरकार सेवन वंडर संरचनाओं के लिए कोई वैकल्पिक स्थान खोज पाती है या नहीं, अथवा सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार उनके विध्वंस की प्रक्रिया को आगे बढ़ाती है.
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