Meta ने बताया है कि 18 साल से कम उम्र के यूजर्स वाले सभी इंस्टाग्राम अकाउंट्स को अब Teen Accounts में बदल दिया जाएगा. ये सभी डिफॉल्ट रूप से प्राइवेट अकाउंट होंगे. ऐसे अकाउंट्स के यूजर्स को सिर्फ उन अकाउंट्स से मैसेज और टैग किया जा सकता है, जिन्हें वो फॉलो करते हैं या जो पहले से जुड़े हुए हैं.
फोटो और वीडियो शेयरिंग सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम (Instagram)का इस्तेमाल दुनियाभर में करोड़ों लोग करते हैं. यह प्लेटफॉर्म सिर्फ बड़ों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि बच्चे भी रील्स बनाने के लिए इसका खूब इस्तेमाल करते हैं. इसकी पेरेंट कंपनी Meta ने अब Instagram पर 18 साल से कम उम्र के बच्चों के अकाउंट्स के लिए प्राइवेसी और पेरेंटल कंट्रोल के नए नियम लागू किए हैं. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के नेगेटिव इम्पैक्ट के बारे में बढ़ती चिंताओं को दूर करने के मकसद से नए नियम लाए गए हैं.
New York Times की रिपोर्ट के मुताबिक, Meta ने बताया है कि 18 साल से कम उम्र के यूजर्स वाले सभी इंस्टाग्राम अकाउंट्स को अब Teen Accounts में बदल दिया जाएगा. ये सभी डिफॉल्ट रूप से प्राइवेट अकाउंट होंगे. ऐसे अकाउंट्स के यूजर्स को सिर्फ उन अकाउंट्स से मैसेज और टैग किया जा सकता है, जिन्हें वो फॉलो करते हैं या जो पहले से जुड़े हुए हैं. इसके अलावा सेंसिटिव कंटेंट सेटिंग्स को रिस्ट्रिक्टिव सेटिंग पर सेट किया जाएगा.
नोटिफिकेशन भेजने का टाइम भी सेट
मेटा ने इसके साथ ही 18 साल से कम उम्र के यूजर्स वाले सभी इंस्टाग्राम अकाउंट्स पर नोटिफिकेशन भेजने का टाइम भी सेट कर दिया है. Teen Accounts में अब से रात के 10 बजे से सुबह के 7 बजे तक कोई नोटिफिकेशन नहीं जाएगा. मेटा ने यह टाइमिंग इसलिए सेट की है, ताकि बच्चों और किशोरों में रात की अच्छी नींद लेने की आदत डाली जा सके. यही नहीं, इंस्टाग्राम अब एडल्ट यूजर्स के लिए पहले से ज्यादा सुपरविजन टूल्स लेकर आया है. नए नियमों में एक ऐसा फीचर भी शामिल किया गया है, जो पेरेंट्स को Teen Accounts को कंट्रोल करने की परमिशन देता है. इस फीचर के जरिए पेरेंट्स ये देख पाएंगे कि उनके बच्चे ने हाल में किसे मैसेज किया है.
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इंस्टाग्राम के हेड एडम मोसेरी (Adam Mosseri) ने कहा, “इंस्टाग्राम के नए फीचर्स और नई सेटिंग्स पेरेंट्स की चितांओं को ध्यान में रखते हुए लाई गई हैं. अक्सर पेरेंट्स अपने बच्चों के सोशल मीडिया सर्फिंग, स्क्रीन टाइमिंग, ऑनलाइन कंटेंट, कॉन्टैक्ट को लेकर परेशान रहते हैं.”
एडम मोसेरी कहते हैं, “हमने पेरेंट्स की सोच के बारे में फोकस करने का फैसला किया है. क्योंकि किसी टेक कंपनी मुकाबले पेरेंट्स अच्छी तरह समझ सकते हैं कि उनके बच्चों के लिए सोशल मीडिया में क्या देखना सही है और क्या गलत है. कोई प्राइवेट कंपनी, कोई सीनेटर या पॉलिसीमेकर या रेगुलेटर इन मामलों में पेरेंट्स से आगे जाकर नहीं सोच सकता.”
गलत रास्तों पर ले जा रहे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म
हाल के सालों में देखा गया है कि बच्चे फिजिकल एक्टिविटी, स्पोर्ट्स और किताबों से दूर जा रहे हैं. उनका ज्यादा से ज्यादा समय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बीतता है. इंस्टाग्राम, टिकटॉक, स्नैपचैट और ऐसे दूसरे ऐप नियमित रूप से बच्चों और किशोरों को गलत रास्ते पर ले जा रहे हैं. इनसे न सिर्फ बच्चों की हेल्थ खराब होती है, बल्कि उनमें यौन उत्पीड़न और कई तरह की मानसिक बिमारियां भी बढ़ रही है.
मेटा की कंपनियों पर दर्ज हैं केस
मेटा के चीफ एग्जिक्यूटिव मार्क जुकरबर्ग ने कई बार बच्चों, किशोरों और युवाओं पर सोशल मीडिया के गलत प्रभाव को लेकर आलोचना का सामना कर चुके हैं. मेटा की कई कंपनियों पर केस भी दर्ज हैं. इसमें फेसबुक और वॉट्सऐप का नाम भी शामिल है. पिछले साल कैलिफोर्निया और न्यूयॉर्क समेत 33 अमेरिकी राज्यों ने मेटा पर अपने प्लेटफॉर्म के खतरों के बारे में जनता को गुमराह करने का मुकदमा दायर किया था.
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