पाकिस्तानी सरकार के खिलाफ चल रहे आंदोलन में सबसे अहम भूमिका महरंग बलूच निभा रही हैं. वे बलूचिस्तान में मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर लगातार मुखर रही हैं.
पाकिस्तान के बलूचिस्तान (Balochistan) इलाके में हाल के दिनों में एक बार फिर एक के बाद एक धमाके हो रहे हैं. शुक्रवार को एक पुलिस वाहन को निशाना बनाकर किए गए बम विस्फोट में स्कूली बच्चों सहित 9 लोगों की मौत हो गयी थी. वहीं शनिवार को क्वेटा में हुए धमाके में 25 से ज्यादा लोगों की मौत हो गयी. ये बम धमाका क्वेटा रेलवे स्टेशन के पास हुआ था. बलूच नेता लंबे समय से बलूचिस्तान के लिए अधिक स्वायत्तता या स्वतंत्रता की मांग करते रहे हैं. पाकिस्तानी सरकार पर इस हिस्से की तरफ से उपेक्षा और शोषण का आरोप लगता रहा है.
पाकिस्तान के अन्य प्रांतों से कैसे अलग है बलूचिस्तान?
बलूचिस्तान एक विशाल भौगोलिक क्षेत्र है जो ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में फैला हुआ है. इसका एक बहुत बड़ा हिस्सा अभी पाकिस्तान के कब्जे में हैं. इसके अंतर्गत ऊंचे पर्वत, गहरी घाटियां और विशाल मैदान शामिल हैं. बलूच लोग इस क्षेत्र के मूल निवासी हैं। उनकी अपनी भाषा और संस्कृति है. इस क्षेत्र में अक्सर राजनीतिक अस्थिरता और संघर्ष के हालत रहे हैं. 1947 में भारत के विभाजन के समय बलूचिस्तान को पाकिस्तान में शामिल किया गया था, जिससे बलूच लोगों में अपनी स्वायत्तता और पहचान को लेकर असंतोष पैदा हुआ.
काफी पुरानी है अलग बलूचिस्तान की मांग
9वीं सदी में अंग्रेजों ने बलूचिस्तान पर अपना नियंत्रण स्थापित किया था. अंग्रेजों ने बलूच क्षेत्रों को विभिन्न राज्यों में विभाजित कर शासन की शुरुआत की थी. 1947 में भारत के विभाजन के समय, बलूचिस्तान के कुछ हिस्से पाकिस्तान में शामिल हो गए। बलूच नेताओं ने पाकिस्तान में विलय का विरोध किया था और स्वतंत्र राज्य की मांग की थी. 1948 से ही बलूचिस्तान में सशस्त्र संघर्ष चल रहा है. बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) जैसे सशस्त्र समूह पाकिस्तानी सेना और सरकार के खिलाफ लगातार लड़ाई लड़ रहे हैं. पाकिस्तानी सरकार ने बलूच आंदोलन को दबाने के लिए कई बार सैन्य कार्रवाई की है. बलूचिस्तान में मानवाधिकारों के उल्लंघन के कई आरोप लगते रहे हैं.
बलूच आंदोलन के प्रमुख कारण क्या हैं?
बलूचिस्तान आंदोलनकारियों की रही है कई तरह की मांग
बलूचिस्तान आंदोलनकारियों की मांगें समय के साथ बदलती रही हैं. आंदोलनकारियों की प्रमुख मांग बलूचिस्तान के लिए अधिक स्वायत्तता या पूर्ण स्वतंत्रता है. वे चाहते हैं कि बलूचिस्तान को पाकिस्तान से अलग एक स्वतंत्र राज्य बनाया जाए, जहां वे अपनी संस्कृति, भाषा और संसाधनों पर नियंत्रण रख सकें. हालांकि समय-समय पर पाकिस्तान की सरकार के साथ कई बार समझौते भी हुए हैं.
बलूच आंदोलनकारी चाहते हैं कि इन संसाधनों से होने वाले लाभ का अधिकांश हिस्सा बलूच लोगों तक पहुंचे और उनके विकास में लगाया जाए. जबकि पाकिस्तान की राजनीति पर नियंत्रण रखने वाले राज्य के नेता इस प्रस्ताव को सैद्धांतिक तौर पर मानते हैं लेकिन इसे जमीन पर उतरने नहीं देते हैं.
महरंग बलोच के नेतृत्व में जारी है अहिंसक आंदोलन
31 वर्षीय बलूची महिला महरंग के नेतृत्व में बलूचिस्तान में महिलाओं की तरफ से तीव्र आंदोलन चल रहा है. 2017 में महरंग के भाई का अपहरण कर लिया गया था. महरंग इस घटना के बाद आंदोलन में सक्रिय हुईं. उन्होंने 2019 में बलूच यकजेहती समिति (BYC) की स्थापना की थी. महरंग का कहना है कि मैं मौत से भी अब नहीं डरती हूं. वो पेशे से डॉक्टर रही हैं. रूढिवादी बलूचिस्तान में महिला सामाजिक कार्यकर्ता महरंग को लोग खूब पंसद कर हैं उनके नेतृत्व में हजारों की संख्या में महिला सड़क पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे हैं.
भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बलूचिस्तान में मानवाधिकारों के उल्लंघन के मुद्दे को उठाता रहा है. भारत ने कई बलूच नेताओं की हत्या के खिलाफ भी आवाज उठाया था. भारत पाकिस्तान पर बलूचिस्तान में मानवाधिकारों का सम्मान करने और वहां के लोगों के साथ न्याय करने के लिए दबाव डालता रहा है. हालांकि बलूचिस्तान को लेकर भारत की नीति संतुलित और सावधानी पूर्वक रही है. पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद उन्होंने कई बार बड़े मंचों से भी बलूचिस्तान की मांग को उठाया है.
बलूचिस्तान को लेकर पाकिस्तान की क्या रही है नीति?
बलूचिस्तान में खनिज संपदा और प्राकृतिक गैस जैसे समृद्ध संसाधन हैं. पाकिस्तान इन संसाधनों का दोहन करके अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करना चाहता है. पाकिस्तान बलूचिस्तान को पाकिस्तान का एक अभिन्न अंग मानता रहा है. वो किसी भी तरह के बाहरी हस्तक्षेप को इस क्षेत्र में रोकना चाहता है. पाकिस्तान को डर है कि भारत और अफगानिस्तान जैसे देश बलूच आंदोलन को समर्थन दे रहे हैं और बलूचिस्तान को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं.
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