अगस्त में अपने इस्तीफे के बाद भारत में शरण लेने के बाद शेख हसीना का यह पहला सार्वजनिक संबोधन था. 5 अगस्त को ढाका में अपने आधिकारिक आवास पर हुए हमले का जिक्र करते हुए शेख हसीना कहती हैं, “हथियारबंद प्रदर्शनकारियों को गणभवन (बांग्लादेश PM आवास) की ओर निर्देशित किया गया था. अगर सुरक्षा गार्डों ने गोलीबारी की होती, तो कई लोगों की जान चली जाती.”
बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अल्पसंख्यक हिंदुओं पर कथित हिंसा और उत्पीड़न को लेकर देश के अंतरिम नेता मुहम्मद यूनुस पर तीखा हमला किया है. अमेरिका के न्यूयॉर्क में एक वर्चुअल संबोधन में शेख हसीना ने मुहम्मद यूनुस पर बांग्लादेश में हिंदुओं के नरसंहार का आरोप लगाया. हसीना ने कहा कि मुहम्मद यूनुस हिंदुओं समेत अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में नाकाम रहे हैं. हसीना ने दावा किया, “मेरे पिता शेख मुजीर्बुर रहमान की तरह मेरी और बहन शेख रेहाना की हत्या करने की साजिश रची गई थी.” शेख मुजीबुर्रहमान की साल 1975 में हत्या कर दी गई थी.
अगस्त में अपने इस्तीफे के बाद भारत में शरण लेने के बाद शेख हसीना का यह पहला सार्वजनिक संबोधन था. 5 अगस्त को ढाका में अपने आधिकारिक आवास पर हुए हमले का जिक्र करते हुए शेख हसीना कहती हैं, “हथियारबंद प्रदर्शनकारियों को गणभवन (बांग्लादेश PM आवास) की ओर निर्देशित किया गया था. अगर सुरक्षा गार्डों ने गोलीबारी की होती, तो कई लोगों की जान चली जाती. यह 25-30 मिनट का मामला था. मुझे वहां से जाने के लिए मजबूर होना पड़ा. मैंने उनसे (गार्डों से) कहा कि वे गोली न चलाएं. चाहे कुछ भी हुआ हो.”
उन्होंने रविवार को कार्यक्रम में कहा, “आज मुझ पर नरसंहार का आरोप लगाया जा रहा है. वास्तव में यूनुस ही डिजाइन किए गए तरीके से नरसंहार में शामिल रहे हैं. वही, इस नरसंहार के मास्टरमाइंड हैं.”
वहीं, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने कहा है कि शेख हसीना सरकार ने ‘सब कुछ बर्बाद कर दिया. उन्होंने कहा, “उनके (हसीना) शासन में, लोकतांत्रिक सिद्धांतों की पूरी तरह से अवहेलना की गई. उन्होंने लगातार तीन कार्यकाल बिना मतदाताओं की भागीदारी के फर्जी चुनाव आयोजित किए. खुद को और अपनी पार्टी को निर्विरोध विजेता घोषित किया. एक फासीवादी शासक के रूप में काम किया.”
यूनुस ने संवैधानिक और न्यायिक सुधारों को लागू किये जाने के बाद आम चुनाव कराए जाने की बात कही. बांग्लादेश संगबाद संस्था ने बुधवार को एक जापानी अखबार को दिए गए यूनुस के इंटरव्यू का हवाला देते हुए इसकी जानकारी दी. नोबेल पुरस्कार से सम्मानित यूनुस (84) ने ‘निक्केई एशिया’ को दिए इंटरव्यू में कहा, “हमें (चुनाव कराने से पहले) अर्थव्यवस्था, शासन, नौकरशाही और न्यायपालिका में व्यापक सुधार करने की जरूरत है.” यूनुस ने एक बार फिर कहा कि बांग्लादेश में अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण में हसीना के खिलाफ मुकदमे की सुनवाई समाप्त होने के बाद, भारत को उन्हें प्रत्यर्पित कर देना चाहिए.
यूनुस ने कहा, ”मुकदमे की सुनवाई समाप्त होने के बाद निर्णय आने पर हम आधिकारिक तौर पर भारत से उन्हें सौंपने के लिए आग्रह करेंगे.” साथ ही उन्होंने कहा कि दोनों देशों द्वारा हस्ताक्षरित अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत ”भारत इसके अनुपालन के लिए बाध्य होगा”. मुख्य सलाहकार ने यह भी कहा कि हिंदुओं की सुरक्षा के बारे में भारत सरकार की चिंता तथ्यों पर आधारित नहीं है और जो कुछ कहा जा रहा है वह “दुष्प्रचार” है.
अगस्त में शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से हटाए जाने के बाद से दोनों पड़ोसी देशों के बीच संबंध खराब हो गए हैं. भारत ने बांग्लादेश में हिंदुओं और दूसरे अल्पसंख्यकों को निशाना बनाए जाने पर चिंता व्यक्त की है. पिछले सप्ताह हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद स्थिति और बिगड़ गई है.
इस बीच बांग्लादेश ने मंगलवार को भारतीय राजदूत को अपने विदेश कार्यालय में तलब किया और त्रिपुरा के अगरतला में स्थित अपने वाणिज्य दूतावास सेवाएं निलंबित करने की घोषणा की. यह घोषणा प्रदर्शनकारियों द्वारा वाणिज्य दूतावास में घुसने के एक दिन बाद की गई.
चटगांव की एक अदालत में राजद्रोह के एक मामले में हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की जमानत याचिका दो जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी गई, क्योंकि उनके लिए कोई वकील पेश नहीं हुआ. बाद में उनके समर्थकों ने दावा किया कि उनके वकीलों को धमकी दी जा रही है.
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