November 24, 2024
भारत में घुसा मंकीपॉक्स, पहला केस कंफर्म, कितना खतरनाक ये वायरस; देश में क्या तैयारी

भारत में घुसा मंकीपॉक्स, पहला केस कंफर्म, कितना खतरनाक ये वायरस; देश में क्या तैयारी​

दुनिया अभी तक कोरोना वायरस महामारी से पूरी तरह उबर नहीं थी है कि इसी बीच एक और नए वायरस ने दस्तक दी है. मंकीपॉक्स ने दुनिया के कई देशों के लिए खतरे की घंटी बजाई है. मंकीपॉक्स के पहले मामले की भारत में भी पुष्टि हो गई है.

दुनिया अभी तक कोरोना वायरस महामारी से पूरी तरह उबर नहीं थी है कि इसी बीच एक और नए वायरस ने दस्तक दी है. मंकीपॉक्स ने दुनिया के कई देशों के लिए खतरे की घंटी बजाई है. मंकीपॉक्स के पहले मामले की भारत में भी पुष्टि हो गई है.

भारत में भी मंकीपॉक्स की दस्तक:मंकीपॉक्स का वायरस दुनिया के कई देशों में दहशत फैला चुका है. अब इसने भारत में भी दस्तक दे दी है. भारत में मंकीपॉक्स के पहले मामले की पुष्टि हो गई है. केंद्र सरकार ने एमपॉक्स के पहले मामले की पुष्टि कर दी है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एमपॉक्स को लेकर एहतियात बरतने के लिए सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को एडवायजरी भी जारी की है.मंकीपॉक्स की चपेट में आया विदेश से लौटा शख्स:एमपॉक्स वायरस की चपेट में आए विदेश से लौटे एक शख्स को अस्पताल में अइसोलेशन में रखा गया है. संक्रमण की पुष्टि उसके नमूनों की जांच से हुई है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि फिलहाल चिंता की कोई बात नहीं है. केंद्र ने कहा कि एक मरीज, जो हाल ही में मंकीपॉक्स संक्रमण से जूझ रहे देश से आया था, उसकी पहचान एमपॉक्स के मामले के रूप में की गई है.भारत में क्या तैयारी:केंद्र सरकार ने सोमवार को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सलाह दी कि सामुदायिक स्तर पर मंकीपॉक्स के सभी संदिग्ध मामलों में स्क्रीनिंग के साथ जांच कराई जाए. सभी संदिग्ध एवं पुष्ट दोनों मामलों में मरीजों के लिए अस्पतालों में आइसोलेशन सुविधाएं उपलब्ध की जाएं. दिल्ली में मंकीपॉक्स से पीडि़त मरीजों के इलाज के लिए लोक नायक अस्पताल और बाबा साहब आंबेडकर में विशेष वार्ड बनाए हैं. इसके अलावा एम्स और सफदरजंग में भी मंकीपॉक्स मरीजों के लिए वार्ड आरक्षित किये गए हैं.WHO ने हेल्थ इमरजेंसी घोषित की: WHO ने मई 2023 में आखिरी एमपॉक्स वैश्विक आपातकाल घोषित किया था. मंकीपॉक्स दुनिया भर के अलग-अलग देशों में फैला है. समय बीतने के साथ-साथ ये और घातक होता जा रहा है. कहा जा रहा है कि इस वायरस से अभी तक 600 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.क्या है मंकीपॉक्स: एमपॉक्स एक वायरल बीमारी है इसमें बुखार के साथ शरीर पर दाने निकलने लगते हैं. इसके संक्रमण के बाद लिम्फ नोड्स में सूजन आ जाती है या उनका आकार बढ़ जाता है लिम्फ नोड शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली का हिस्सा हैं. साल्वे ने कहा कि यह अपने-आप ठीक होने वाली बीमारी है और मरीज चार सप्ताह के भीतर ठीक हो जाते हैं.क्‍या है मंकीपॉक्‍स के लक्षण: मंकीपॉक्स के लक्षण स्मॉल पॉक्स जैसे होते हैं. शुरुआत में ये कम गंभीर दिखते हैं. इसके प्रमुख लक्षण त्वचा पर दाने, बुखार, गले में सूजन, सर दर्द, शरीर में थकावट होती है. अगर आपको फ्लू जैसे लक्षण हैं, तो संभवतः 1-4 दिन बाद आपको दाने निकल आएंगे. मंकीपॉक्‍स से होने वाले दाने ठीक होने से पहले कई चरणों से गुजरते हैं, जिनमें पपड़ी बनना भी शामिल है. दाने शुरू में फुंसी या छाले जैसे दिख सकते हैं और इनमें दर्द या खुजली हो सकती है.कैसे फैलता है मंकीपॉक्स:मंकीपॉक्स एक जूनोटिक बीमारी है. इसका मतलब ये हुआ कि ये जानवरों से इंसानों में फैल सकता है और इंसानों से जानवरों में. अगर किसी शख्स को मंकीपॉक्स हुआ है तो उसके संपर्क में आने वाले इस वायरस से की चपेट में आ सकते हैं.मंकीपॉक्स कितना खतरनाक है: अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक इस बार मंकीपॉक्स का जो वायरस फैल रहा है, वह ‘क्लेड 1b’ है. जो कि कांगो में पाया जाता है और यह ज़्यादा खतरनाक है. इसमें मृत्यु दर 3% है, जो मंकीपॉक्स के अन्य प्रकारों की मृत्यु दर से काफी ज्यादा है. यह खतरनाक बीमारी 17 अफ्रीकी देशों और महाद्वीप के बाहर के कई देशों में फैल चुकी है.सतर्कता बरतने की जरूरत : केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने सोमवार को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को पत्र लिखा. जिसमें उन्होंने कहा कि लोगों के बीच किसी भी तरह के डर को फैलने से रोका जाए. इसके साथ ही सतर्कता बरतने की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय लगातार स्थिति पर नजर रखे हुए है.मंकीपॉक्स से भारत को कितना खतरा ; स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सोमवार को कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि मंकीपॉक्स वायरस (एमपीएक्सवी) के महामारी का रूप लेने की संभावना बहुत कम है. एम्स नई दिल्ली में सामुदायिक चिकित्सा केंद्र के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. हर्षल आर. साल्वे ने आईएएनएस को बताया, “घबराने की कोई जरूरत नहीं है. मानता हूं कि मृत्यु दर अब भी अधिक है, लेकिन संक्रमण केवल करीबी संपर्कों के मामलों में ही संभव है.”

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