सरकार भारत को सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना चाहती है और अब तैयारी सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग इंसेंटिव पॉलिसी को आगे बढ़ाने के लिए इसके दूसरे चरण को लाने की है.
सोमवार को प्रधान मंत्री (Prime Minister) नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में कृषि और रेलवे सेक्टर से जुड़े 8 अहम प्रोजेक्ट्स को मंज़ूरी दी गयी. इनपर कुल 32,270 करोड़ के खर्च का प्रस्ताव है. साथ ही, देश में सेमीकंडक्टर सेक्टर के विस्तार के लिए कैबिनेट ने गुजरात में Kaynes Semicon Pvt Ltd के 3300 करोड़ रुपये के मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने के प्रोजेक्ट को भी मंज़ूरी दे दी. भारत में सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम का तेजी से विस्तार करने की जद्दोजहद में जुटी मोदी कैबिनेट ने इस प्रोजेक्ट के तहत करीब 3300 करोड़ रुपए के निवेश को मंज़ूरी दी है.
60 लाख चिप का प्रतिदिन होगा उत्पादन
केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री, अश्विनी वैष्णव के मुताबिक इस प्रस्तावित इकाई की क्षमता 60 लाख चिप प्रतिदिन होगी. कैबिनेट नोट के मुताबिक, “इस इकाई में उत्पादित चिप विभिन्न प्रकार के अनुप्रयोगों को पूरा करेंगे, जिनमें औद्योगिक, ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रिक वाहन, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार, मोबाइल फोन आदि जैसे खंड शामिल हैं. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुजरात के साणंद में सेमीकंडक्टर इकाई स्थापित करने के पहले प्रस्ताव को जून, 2023 में मंजूरी दी थी. फरवरी, 2024 में तीन और सेमीकंडक्टर इकाइयों को स्वीकृति दी गई. टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स धोलेरा, गुजरात में एक सेमीकंडक्टर फैब और असम के मोरीगांव में एक सेमीकंडक्टर इकाई स्थापित कर रही है. सीजी पावर गुजरात के साणंद में एक सेमीकंडक्टर इकाई स्थापित कर रही है. सभी 4 सेमीकंडक्टर इकाइयों का निर्माण तीव्र गति से चल रहा है और इकाइयों के पास एक मजबूत सेमीकंडक्टर इको-सिस्टम उभर रहा है. ये 4 इकाइयां लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश लाएगी. इन इकाइयों की संचयी क्षमता लगभग 7 करोड़ चिप प्रतिदिन है”
गुजरात के सानंद में Kaynes Semicon Pvt Ltd द्वारा एक नए सेमीकंडक्टर यूनिट सेटअप करने के प्रस्ताव को मंजूरी भारत सरकार की एक बड़ी रणनीति का हिस्सा है. सरकार भारत को सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना चाहती है और अब तैयारी सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग इंसेंटिव पॉलिसी को आगे बढ़ाने के लिए इसके दूसरे चरण को लाने की है.
साथ ही, कैबिनेट ने कृषि क्षेत्र को क्लाइमेट के प्रति लचीला बनाने, किसानों की आय बढ़ाने और कृषि में डिजिटल टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल को बढ़ाने से जुड़े डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन समेत 7 नए प्रोजेक्ट्स को भी मंजूरी दे दी. इन प्रोजेक्ट्स पर कुल 14,235 करोड़ रुपये के खर्च का प्रस्ताव है.
डिजिटल कृषि मिशन के तहत होगा कार्य
इन नए प्रोजेक्ट्स में “डिजिटल कृषि मिशन” शामिल है. कैबिनेट की तरफ जारी एक रिलीज़ के मुताबिक, “डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के स्वरूप पर आधारित “डिजिटल कृषि मिशन” किसानों का जीवन बेहतर बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करेगा. इस मिशन का कुल परिव्यय 2.817 करोड़ रुपये है. इसमें दो आधारभूत स्तंभ शामिल हैं — एग्री स्टैक (किसान की रजिस्ट्री; गांव की भूमि के नक्शे की रजिस्ट्री; बोई गई फसल की रजिस्ट्री) और कृषि निर्णय सहायता प्रणाली (भूस्थानिक डेटा; सूखा/बाढ़ निगरानी; मौसम/उपग्रह डेटा; भूजल/जल उपलब्धता डेटा; फसल उपज और बीमा मॉडलिंग)”.
मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के दौरान सबसे ज्यादा फोकस इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में निवेश बढ़ाने पर रहा है. सोमवार को कैबिनेट ने दो मेजर कमर्शियल सेंटर मुंबई और इंदौर को जोड़ने के लिए 309 किलोमीटर की एक नई रेल लाइन को भी मंजूरी दी.
इस परियोजना के स्वरुप पर केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा 18,036 करोड़ रुपये की कुल लागत वाली ये नई रेलवे लाइन परियोजना इंदौर और मनमाड के बीच सीधा सम्पर्क प्रदान करेगी. यह परियोजना मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का परिणाम है. यह परियोजना 2 राज्यों, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के 6 जिलों को कवर करेगी, जिससे भारतीय रेलवे के मौजूदा नेटवर्क में लगभग 309 किलोमीटर की वृद्धि होगी. इस परियोजना के साथ 30 नए स्टेशन बनाए जाएंगे. नई रेलवे लाइन परियोजना से लगभग 1,000 गांवों और लगभग 30 लाख आबादी को सम्पर्क मिलेगा. यह परियोजना 2028-29 तक पूरी की जाएगी.
इसके साथ ही मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले 85 दिनों में करीब ढाई लाख करोड़ के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी जा चुकी है. सरकार को उम्मीद है की इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में निवेश बढ़ाने से अर्थव्यवस्था पर उसका Multiplier इफ़ेक्ट होगा और अर्थव्यवस्था में रोजगार के अवसर भी बड़ी संख्या में पैदा होंगे.
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