मंत्रिमंडल जल्द ही MSME के लिए 100 करोड़ रुपये की ऋण गारंटी योजना पर फैसला करेगा: सीतारमण​

 केंद्रीय वित्त मंत्री ने यहां राष्ट्रीय एमएसएमई क्लस्टर संपर्क कार्यक्रम’ में कहा, ‘‘100 करोड़ रुपये की ऋण गारंटी योजना जल्द ही मंत्रिमंडल के समक्ष रखी जाएगी.

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) के लिए इस साल बजट में घोषित 100 करोड़ रुपये की ऋण गारंटी योजना को जल्द ही मंजूरी के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष रखा जाएगा.
एमएसएमई के लिए बजट में की गई पांच घोषणाओं को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘एमएसएमई की मदद के लिए विशेष ऋण गारंटी कोष की शुरूआत संकट के समय में बहुत मददगार होगी….”

केंद्रीय वित्त मंत्री ने यहां राष्ट्रीय एमएसएमई क्लस्टर संपर्क कार्यक्रम’ में कहा, ‘‘100 करोड़ रुपये की ऋण गारंटी योजना जल्द ही मंत्रिमंडल के समक्ष रखी जाएगी. कैबिनेट से मंजूरी मिलने के तुरंत बाद एमएसएमई मंत्रालय और बैंकों के माध्यम से गारंटी प्रदान करने वाली योजना को लागू किया जाएगा.”

उन्होंने कहा, ‘‘बहुत लंबे समय से यह शिकायत रही है कि एमएसएमई को बैंकों से कार्यशील पूंजी तो मिल जाती है, लेकिन उन्हें सावधि अवधि के लिए, संयंत्र और मशीनरी के लिए ऋण नहीं मिलता. अब इस योजना के तहत गारंटी दी जाएगी.”

सीतारमण ने कहा कि किसी तीसरे पक्ष की गारंटी की कोई आवश्यकता नहीं है, ‘‘सरकार आपको 100 करोड़ रुपये की गारंटी शक्ति देती है, फिर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक एक नया क्रेडिट मूल्यांकन मॉडल विकसित करेंगे.”

एमएसएमई क्षेत्र में योगदान के लिए कर्नाटक की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य में 35 लाख एमएसएमई हैं और वे 1.65 करोड़ रोजगार प्रदान करते हैं.

भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) की भूमिका को रेखांकित करते हुए वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘सिडबी छोटे व्यवसायों को समझता है. यह एमएसएमई की ऋण आवश्यकताओं को पूरा कर सकता है. यही कारण है कि एमएसएमई क्लस्टर में सिडबी की उपस्थिति एमएसएमई के लिए बहुत लाभकारी होगी.”

इससे पहले, सीतारमण ने दक्षिणी क्षेत्र के 10 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) के प्रदर्शन की समीक्षा के लिए यहां एक बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी के अलावा पांच राज्यों आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना को शामिल किया गया.

बैठक के दौरान, उन्होंने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों से अपने प्रायोजक बैंकों के सहयोग से मुद्रा, पीएम विश्वकर्मा जैसी भारत सरकार की विभिन्न प्रमुख योजनाओं के अंतर्गत ऋण वितरण बढ़ाने का आग्रह किया.

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