अमिताभ बच्चन एक दौर के सबसे महंगे सितारे रहे हैं. उस दौर में आलम ये था कि फिल्म के लिए अमिताभ को अप्रोच कर पाना हर किसी के बस की बात नहीं थी.
अमिताभ बच्चन एक दौर के सबसे महंगे सितारे रहे हैं. उस दौर में आलम ये था कि फिल्म के लिए अमिताभ को अप्रोच कर पाना हर किसी के बस की बात नहीं थी. हालांकि अपने दोस्तों और करीबियों के लिए बिग बी हमेशा ही तैयार रहते थे. ऐसी ही एक फिल्म थी जिसे करने के लिए अमिताभ बच्चन सिर्फ इसलिए राजी हो गए थे ताकि महमूद के भाई की मदद हो सके. उन्होंने सिर्फ एक शर्त रखी थी. हालांकि वो शर्त भी पूरी नहीं हो सकी. इस फिल्म से कादर खान का नाम जुड़ा तो अमिताभ बच्चन ने अपनी फीस और भी कम कर दी.
कौन सी थी ये फिल्म?
ये फिल्म थी खुद्दार, जो रिलीज हुई थी साल 1982 में. इस फिल्म में अमिताभ बच्चन के अलावा परवीन बॉबी लीड रोल में थी. फिल्म में संजीव कुमार अमिताभ बच्चन और विनोद मेहरा के सौतेले बड़े भाई के रोल में नजर आते हैं. जो दोनों को पाल पोस रहे होते हैं. लेकिन तकदीर में कुछ ऐसा मोड़ आता है कि दोनों भाई घर छोड़ कर चले जाते हैं. उसके बाद अमिताभ बच्चन अपने छोटे भाई विनोद मेहरा की पढ़ाई की खातिर मजदूरी करते हैं. पर, वो भी मुसीबत में फंस जाता है. अमिताभ बच्चन उसे कैसे उस मुसीबत से निकालते हैं और भाइयों की रीयूनियन कैसे होती है. इसी पर फिल्म की कहानी बेस्ड है.
अमिताभ बच्चन ने क्यों की ये फिल्म?
महमूद के भाई अनवर अली को चालीस हजार रु. की जरूरत थी. उसे एक मित्र ने रुपये देने की तो पेशकश कर दी, बदले में अमिताभ बच्चन से फिल्म साइन करवाने के लिए कहा. अनवर अली की मदद की खातिर अमिताभ बच्चन बिना साइनिंग अमाउंट लिए फिल्म करने के लिए तैयार हो गई. उनकी शर्त बस ये थी कि राइटर उनकी मर्जी का हो. उन्होंने सलीम जावेद का नाम सुझाय़ा था लेकिन दोनों की फीस बहुत ज्यादा थी. तब कादर खान को बतौर राइटर चुना गया. उनका नाम सुनकर अमिताभ बच्चन ने अपनी मार्केट प्राइज से बहुत कम फीस चार्ज की.
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