November 22, 2024
महाराष्ट्र चुनाव में rss की 'स्पेशल 65' की एंट्री क्या बदल देगी पूरा समीकरण? महायुति को होगा कितना फायदा, समझिए

महाराष्ट्र चुनाव में RSS की ‘स्पेशल 65’ की एंट्री क्या बदल देगी पूरा समीकरण? महायुति को होगा कितना फायदा, समझिए​

महाराष्ट्र चुनाव में आरएसएस के अभियान से महायुति को कितना फायदा होगा ये तो चुनाव परिणाम के बाद ही पता चलेगा. लेकिन इस अभियान की टाइमिंग ये जरूर साफ करती है कि आरएसएस ने एक मकसद के तहत ही इस तरह के अभियान को अभी शुरू किया है.

महाराष्ट्र चुनाव में आरएसएस के अभियान से महायुति को कितना फायदा होगा ये तो चुनाव परिणाम के बाद ही पता चलेगा. लेकिन इस अभियान की टाइमिंग ये जरूर साफ करती है कि आरएसएस ने एक मकसद के तहत ही इस तरह के अभियान को अभी शुरू किया है.

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर प्रचार जोर-शोर से चल रहा है. तमाम राजनीतिक पार्टियां जनता तक अपने मुद्दों को पहुंचाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है. इस बार के चुनाव में महाराष्ट्र में सीधा मुकाबला महाविकास अघाड़ी और महायुति के बीचे में है. इस चुनाव में अब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानी RSS की भी एंट्री हो गई है. RSS अपने 65 से भी ज्यादा सहयोगी संगठनों के जरिए महाराष्ट्र में सजग रहो नाम से एक अभियान भी चला रही है. RSS की इस टीम को ‘स्पेशल 65’ कहा जा रहा है.

RSS की ‘स्पेशल 65’ के इस अभियान का मकसद सिर्फ विधानसभा चुनावों में बीजेपी को मजबूत करना ही नहीं बल्कि हिन्दुओं को बांटने के प्रयास के खिलाफ एक जवाबी कार्रवाई करना भी है. RSS का मानना है चुनाव के बीच में इस तरह के प्रयास का असर धरातल पर जरूर दिखेगा और कहीं ना कहीं इससे महायुति को फायदा होगा.

इस अभियान की टाइमिंग है खास

राजनीति के जानकार मानते हैं कि RSS ने जिस समय इस अभियान का शुरुआत की है वो महाराष्ट्र चुनाव के परिणाम पर असर जरूर डालेगी. कहा जा रहा है कि RSS के इस अभियान से जमीनी स्तर पर महायुति गठबंधन को फायदा होगा. ऐसा इसलिए भी क्योंकि इस अभियान से महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन हिंदू वोट बैंक को पाले में लाने की कोशिशें भी तेज होती दिख रही है .

हिंदुओं को जागरूक के लिए चलाया जा रहा अभियान

RSS का ‘सजग रहो’ अभियान लोकसभा चुनाव के बाद चलाए जा रहे तीन राष्ट्रीय अभियान का सबसे नया हिस्सा है. इसे बांग्लादेश में हिंदुओं पर हाल ही में हुए हमलों के बाद भी खास तौर पर चलाया जा रहा है. ताकि हिंदुओं को जागरूक बनाया जा सके. इस तीन सूत्रीय अभियान के पहले दो सूत्र हैं योगी आदित्यनाथ की टिप्पणी ‘बांटेंगे तो काटेंगे’ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी ‘एक हैं तो सेफ हैं’.

“ये अभियान किसी के खिलाफ नहीं है”

RSS से जुड़े सूत्रों के अनुसार ‘सजर रहो’ अभियान किसी के खिलाफ नहीं है. इस अभियान मकसद हिंदुओं के बीच जाति विभाजन को खत्म करना है.BJP से जुड़े एक सूत्र के अनुसार आरएसएस के स्वंयसेवकों और 65 से ज्यादा गैर सरकारी संगठनों द्वारा इस संदेश को लोगों तक पहुंचाने के लिए बैठकें आयोजित की जा रही है.

हिंदू मतदाताओं के एकजुट होने से महायुति को होगा फायदा?

कहा जा रहा है कि अगर आरएसएस के इस अभियान से हिंदू मतदाता एकजुट हुए तो इसका सबसे ज्यादा फायदा महायुति गठबंधन को होगा. यानी इस चुनाव में आरएसएस के इस अभियान से मतदाताओं को किसी एक पार्टी या गठबंधन विशेष की तरफ मुड़ने में मदद मिल सकती है. जानकार तो ये भी मान रहे हैं आरएसएस के इस अभियान की टाइमिंग भी काफी कुछ बताती है. कहा जा रहा है कि एक योजना के तहत ही इस अभियान को उस समय शुरू किया गया है जब महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव हैं.

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