नामांकन वापस लेने के आख़िरी दिन ज़्यादातर बागी तो पीछे हट गए लेकिन गिने चुने जो अब भी बचे हैं वो पार्टी उमीदवारों के खेल खराब करेंगे.
महाराष्ट्र में विधानसभा का चुनाव और भी दिलचस्प होता जा रहा है. दरअसल, 45 से अधिक बागियों की बैठाने के बाद भी मैदान में 1 दर्जन से भी अधिक बागी मौजूद हैं. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि ये बागी किस पार्टी का खेला बिगालड़ेंगे? , महाविकास आघाडी हो या महायुति, दोनों दलों के शीर्ष नेताओं की चिंता बढ़ रही है. एनडीटीवी की टीम ने इस पर गहन पड़ताल की है, देखें खास रिपोर्ट.
विधानसभा चुनाव में नामांकन वापस लेने के आखिरी दिन तक महाविकास आघाड़ी और महायुती दोनो ही गठबंधन 45 के करीब बागियों को मनाने में कामयाब रहे..लेकिन दोनों ही गठबंधनों के 15 के करीब बागी अब भी मैदान मे हैं जो पार्टी उमीदवारों के खेल खराब कर सकते हैं. महायुति की तुलना में महाविकास अघाड़ी में बागी तो कम बचे हैं लेकिन घटक दल समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार परेशानी खड़ी कर रहे हैं.
नामांकन वापस लेने के आख़िरी दिन ज़्यादातर बागी तो पीछे हट गए लेकिन गिने चुने जो अब भी बचे हैं वो पार्टी उमीदवारों के खेल खराब करेंगे. महायुति की बात करें तो 4 सीटों पर ऐसे बड़े बागी चेहरे हैं जो पार्टी के अधिकृत उम्मीदवारों के खेल बिगाड़ सकते हैं.
बचे बागियों में सबसे बड़ा चेहरा समीर भुजबल का है. एनसीपी नेता छगन भुजबल के भतीजे और पहले लोकसभा सदस्य रह चुके समीर भुजबल नांदगांव सीट से आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं.. तो महायुति से शिवसेना एकनाथ शिंदे पार्टी के वर्तमान विधायक सुहास कांदे फिर से मैदान में हैं. जबकि महाविकास आघाडी की तरफ से शिवसेना UBT के गणेश धात्रक खड़े हैं.
लेकिन इन तीन दिग्गजों के बीच चौथा उम्मीदवार डॉक्टर रोहन बोरसे है. मनोज जरांगे ने भले मराठा उम्मीदवार खड़ा करने के अपने वादे से पलट गए लेकिन रोहन बोरसे अब भी मैदान में हैं. नांदगांव विधानसभा मराठा बहुल क्षेत्र है इसलिये राहुल बोरसे सुहास कांदे के लिए मुश्किल खड़ी कर सकते हैं.
दूसरा बड़ा चेहरा हीना गावित का है. बीजेपी की पूर्व सांसद हीना गावित. नंदुरबार जिले की अक्कल कुंआ अकरानी विधानसभा क्षेत्र से आजाद उम्मीदवार के तौर चुनाव लड़ रही हैं. जबकि महायुति से शिवसेना एकनाथ शिंदे पर्टी से अमशा पाडवी खड़े हैं. तो MVA से कांग्रेस के केसी पाडवी चुनाव मैदान मे हैं कांग्रेस शासन में मंत्री भी रह चुके हैं और पिछले 5 बार से लगातार विधायक चुनकर आते रहे हैं. अब हीना गावित और अमशा पाडवी की लड़ाई से के सी पाडवी की राह आसान हो गई है.
तीसरा बड़ा चेहरा गीता जैन का है. निर्दलिय विधायक गीता जैन मीरा भाईंदर विधानसभा से एकनाथ शिंदे सेना से टिकट मांग रहीं थीं लेकिन मीरा भाईंदर विधानसभा सीट बंटवारे में बीजेपी के हिस्से में चली गई तो गीता जैन निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं. बीजेपी ने यहां नरेंद्र मेहता को अपना उम्मीदवार बनाया है तो महाविकास आघाडी से कांग्रेस के मुजफ्फर हुसैन मैदान में हैं . लेकिन हिंदू बहुल क्षेत्र होने की वजह से लड़ाई नरेंद्र मेहता और गीता जैन के ही मानी जा रही है. ये अलग बात है कि दोनों लड़ाई में वो अपना फायदा देख रहे हैं.
चौथा बड़ा चेहरा कल्याण पूर्व से महेश गायकवाड़ का है. महेश गायकवाड बीजेपी के वर्तमान विधायक गणपत के गायकवाड़ के जानी दुश्मन हैं. गणपत गायकवाड़ ने पुलिस थाने के अंदर महेश गायकवाड़ को गोली मारकर घायल कर दिया था. गणपत गायकवाड़ जेल में हैं इसलिए बीजेपी ने उनकी पत्नी सुलभा गायकवाड़ को उम्मीदवार हैं.
जबकि MVA से UBT के उम्मीदवार धनंजय बोराडे हैं. महेश गायकवाड़ भले खुद नही जीतें लेकिन उनकी पूरी कोशिश है कि गणपत गायकवाड़ की पत्नी हार जाए.
महाविकास आघाडी में बड़े बागी चेहरे तो नही लेकिन आघाडी के ही एक घटक दल समाजवादी पार्टी के 6 उम्मीदवार मुसीबत बने हुए हैं. दरअसल इस चुनाव में समाजवादी पार्टी ने 5 सीटें मांगी थी लेकिन महाविकास आघाडी ने
सिर्फ सपा के दोनों विधायको के लिए सीट छोड़ी है. इससे नाराज अबु आसीम आज़मी ने 8 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं.
जाहिर है सपा के 6 उम्मीदवारों से नुकसान कांग्रेस को होगा. इसलिए सपा को मनाने की जिम्मेदारी भी कांग्रेस CWC सदस्य आरिफ नसीम खान को दी गई थी. लेकिन खुद नसीम खान अब मान रहे हैं कि बात नही बन पाने से नुकसान हो सकता है.
कुछ दिन पहले राज्य कांग्रेस प्रभारी रमेश चेन्निथला ने दावा किया था कि महाविकास अघाड़ी में इस बार फ़्रेंडली फाइट नही होगी. लेकिन अब सपा के साथ फ़्रेंडली फाइट के अलावा कोई चारा नही है.
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