जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने केंद्र सरकार से 6 हफ्ते के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा. कोर्ट ने केंद्र से सभी संबंधित मंत्रालयों का रुख बताने वाला एक विस्तृत हलफनामा भी दाखिल करने का निर्देश दिया.
महिलाओं की सुरक्षा के लिए अखिल भारतीय दिशा-निर्देशों की मांग करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि महिलाओं को ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराने की सुविधा देने के लिए कोई तंत्र क्यों नहीं है. कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह की व्यवस्था से पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र से संबंधित समस्याओं का समाधान हो सकता है और महिलाओं को पुलिस स्टेशन जाने की जरूरत भी समाप्त हो सकती है.
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने केंद्र सरकार से 6 हफ्ते के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा. कोर्ट ने केंद्र से सभी संबंधित मंत्रालयों का रुख बताने वाला एक विस्तृत हलफनामा भी दाखिल करने का निर्देश दिया. इसके साथ ही, याचिकाकर्ता को यह सलाह दी गई कि वे देश भर की महिला वकीलों, खासकर राज्य उच्च न्यायालयों में प्रैक्टिस करने वाली महिलाओं से सुझाव लें और उन्हें एकत्रित करके अदालत में पेश करें.
सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट महिला वकील संघ की ओर से वरिष्ठ वकील महालक्ष्मी पावनी ने कहा कि नोटिस जारी होने के बाद सभी प्रतिवादियों ने याचिका पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. वहीं, केंद्र के वकील ने कहा कि जनहित याचिका में उठाए गए मुद्दे बहुत व्यापक हैं और उन्होंने जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा.
जस्टिस कांत ने केंद्र से कहा कि प्रार्थनाओं की तकनीकी तैयारी में कोई बाधा नहीं आएगी, क्योंकि उठाए गए मुद्दे व्यावहारिक हैं. पीठ ने यह सवाल भी उठाया कि महिलाओं को शिकायत दर्ज करने में सक्षम बनाने के लिए ऑनलाइन प्रणाली क्यों नहीं है, जिससे अधिकार क्षेत्र के मुद्दों का समाधान हो सके और महिलाओं को पुलिस स्टेशन जाने की जरूरत न पड़े.
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