उनका संगीत भारत की गहरी सांस्कृतिक विरासत और वैश्विक मंच के बीच एक सेतु का काम करता है, यह साबित करता है कि लोक परंपराएं सीमाओं से परे जा सकती हैं.
जब हम भारतीय लोक संगीत की बात करते हैं, तो कुछ नाम स्वाभाविक रूप से हमारे मन में आते हैं, और उनमें से एक प्रमुख नाम है मालिनी अवस्थी. अपनी मंत्रमुग्ध कर देने वाली आवाज़ के साथ, उन्होंने न केवल भारत की समृद्ध लोक परंपराओं को संजोया है, बल्कि उन्हें विश्व स्तर पर भी पहुँचाया है. उनका संगीत भारत की गहरी सांस्कृतिक विरासत और वैश्विक मंच के बीच एक सेतु का काम करता है, यह साबित करता है कि लोक परंपराएं सीमाओं से परे जा सकती हैं.
संगीत यात्रा और लोक संगीत के प्रति समर्पण
उत्तर प्रदेश में जन्मी मालिनी अवस्थी को बचपन से ही संगीत का शौक था. उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से शास्त्रीय गायन में औपचारिक शिक्षा प्राप्त की, लेकिन उनकी असली रुचि लोक संगीत में थी. भारत की लोक विरासत को संरक्षित और प्रचारित करने के लिए उन्होंने खुद को पूरी तरह समर्पित कर दिया. खास बात यह है कि उन्होंने कभी भी अपनी गायकी को आधुनिक धारा में ढालने की कोशिश नहीं की, बल्कि अपनी शुद्ध लोक शैली को ही दुनिया तक पहुँचाने का काम किया.
अवधी, भोजपुरी और बुंदेलखंडी परंपराओं को संजोने का संकल्प
मालिनी अवस्थी का सबसे बड़ा योगदान यह है कि उन्होंने अवधी, भोजपुरी और बुंदेलखंडी जैसी स्थानीय बोलियों और लोक परंपराओं को वैश्विक मंच तक पहुँचाया. पहले यह माना जाता था कि ये भाषाएँ सिर्फ स्थानीय लोगों के बीच ही लोकप्रिय रह सकती हैं, लेकिन उन्होंने इसे गलत साबित कर दिया.
उनकी कजरी, चैती, सोहर और झूला जैसी लोकगीत शैलियों को अब तंजानिया, ऑस्ट्रेलिया, कोरिया और जर्मनी जैसे देशों में भी सराहा जा रहा है. उनका संगीत सिर्फ प्रवासी भारतीयों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि विदेशी लोग भी इसे पसंद कर रहे हैं.
आज उन्हें दुनिया भर के सांस्कृतिक आयोजनों में आमंत्रित किया जाता है, जैसे:
• गणेश चतुर्थी का उत्सव – फिलाडेल्फिया, अमेरिका
• बसंत पंचमी और होली उत्सव – दुबई
• दीवाली समारोह – अमेरिका
• लोक संगीत महोत्सव – ऑस्ट्रेलिया
यह दिखाता है कि भारतीय संस्कृति अब सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि यह ग्लोबल पहचान बन रही है, और भारतीय लोग अब अपने त्योहारों और परंपराओं को लेकर गर्व महसूस कर रहे हैं.
फ्यूजन के दौर में लोक संगीत को शुद्ध बनाए रखना
आजकल, कई लोक गायक फ्यूजन संगीत को अपनाकर अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन मालिनी अवस्थी ने हमेशा अपनी शुद्ध लोक शैली को बनाए रखा. उन्होंने कभी भी अपने संगीत को आधुनिक बनाने के लिए बैंड्स, इलेक्ट्रॉनिक बीट्स या पॉप धुनों का सहारा नहीं लिया. इसके बावजूद, वह दुनिया भर के संगीत प्रेमियों तक अपनी पहचान बनाने में सफल रही हैं.
संगीत सहयोग और वैश्विक पहचान
अपनी लोक शैली को बरकरार रखते हुए, मालिनी अवस्थी ने कई प्रसिद्ध कलाकारों और अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट्स के साथ सहयोग किया है, जिनमें शामिल हैं:
• रिकी केज – कुंभ मेले और रामलीला के लिए दो गीत (सोनू निगम के साथ)
• अमान अली और अयान अली बंगश – 2024 में होली प्रोजेक्ट
• विशाल मिश्रा – कोक स्टूडियो इंडिया में सहयोग
उनका हाल ही में रिलीज़ हुआ कोक स्टूडियो का गाना Spotify Global Top 100 में #56 स्थान पर आया, जो किसी भारतीय लोकगीत के लिए अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि है. यह दर्शाता है कि जब लोक संगीत को सही तरीके से प्रस्तुत किया जाए, तो वह वैश्विक स्तर पर भी गूंज सकता है.
भारतीय पहचान को फिर से परिभाषित करने वाली सांस्कृतिक प्रतीक
मालिनी अवस्थी सिर्फ एक गायिका नहीं हैं, बल्कि भारतीय पहचान और संस्कृति की एक मजबूत प्रतीक बन गई हैं. वह लोगों को यह संदेश देती हैं कि हमें अपनी भारतीय परंपराओं पर गर्व करना चाहिए और उन्हें पूरे आत्मविश्वास के साथ अपनाना चाहिए.
चाहे वह टाइम्स स्क्वायर पर पारंपरिक लहंगा पहनना हो या फिर स्थानीय बोलियों में लोक संगीत प्रस्तुत करना, उन्होंने यह साबित कर दिया कि स्थानीय संस्कृति को वैश्विक मंच तक पहुँचाया जा सकता है, बिना उसकी मौलिकता को बदले.
निष्कर्ष
मालिनी अवस्थी ने अपनी आवाज़ और समर्पण के माध्यम से लोक संगीत को एक वैश्विक आंदोलन बना दिया है. उन्होंने साबित कर दिया कि पारंपरिक संगीत को लोकप्रिय बनाने के लिए उसमें बदलाव करने की जरूरत नहीं है—बस प्रामाणिकता और गर्व की आवश्यकता होती है. जैसे-जैसे भारतीय लोक संगीत वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बना रहा है, वह इसकी प्रमुख torchbearer बनी हुई हैं, जो आने वाली पीढ़ियों को अपनी विरासत को आत्मविश्वास के साथ अपनाने के लिए प्रेरित करती रहेंगी.
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