December 28, 2024
‘मोहना’ कभी वापस नहीं आया, बस… : पूर्व Pm की मौत पर शोक में पाकिस्तान का गाह गांव

‘मोहना’ कभी वापस नहीं आया, बस… : पूर्व PM की मौत पर शोक में पाकिस्तान का गाह गांव​

मनमोहन के पिता गुरमुख सिंह कपड़ा व्यापारी थे और उनकी मां अमृत कौर गृहिणी थीं. उनके दोस्त उन्हें ‘मोहना’ कहकर बुलाते थे. यह गांव राजधानी इस्लामाबाद से लगभग 100 किमी दक्षिण पश्चिम में स्थित है और सिंह के जन्म के समय यह झेलम जिले का हिस्सा था.

मनमोहन के पिता गुरमुख सिंह कपड़ा व्यापारी थे और उनकी मां अमृत कौर गृहिणी थीं. उनके दोस्त उन्हें ‘मोहना’ कहकर बुलाते थे. यह गांव राजधानी इस्लामाबाद से लगभग 100 किमी दक्षिण पश्चिम में स्थित है और सिंह के जन्म के समय यह झेलम जिले का हिस्सा था.

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चकवाल जिले के गाह गांव के लोग भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन से बेहद दुखी हैं और उनका कहना है कि उन्हें ऐसा लग रहा है जैसे उनके परिवार के किसी सदस्य का निधन हो गया है. गाह गांव के रहने वाले अल्ताफ हुसैन ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि स्थानीय लोगों के एक समूह ने गांव के लड़के मनमोहन सिंह के निधन पर दुख व्यक्त करने के लिए शोकसभा की. हुसैन गाह गांव के उसी स्कूल में शिक्षक हैं जहां मनमोहन सिंह ने कक्षा 4 तक पढ़ाई की थी.

कहां है मनमोहन सिंह का गांव?

मनमोहन के पिता गुरमुख सिंह कपड़ा व्यापारी थे और उनकी मां अमृत कौर गृहिणी थीं. उनके दोस्त उन्हें ‘मोहना’ कहकर बुलाते थे. यह गांव राजधानी इस्लामाबाद से लगभग 100 किमी दक्षिण पश्चिम में स्थित है और सिंह के जन्म के समय यह झेलम जिले का हिस्सा था. लेकिन 1986 में इसे चकवाल जिले में शामिल कर लिया गया.

पूर्व प्रधानमंत्री का बृहस्पतिवार रात नयी दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया. वह 92 वर्ष के थे.

जब दोस्त आया था दिल्ली

मनमोहन सिंह के स्कूल के साथी राजा मुहम्मद अली ने उनसे मुलाकात करने के लिए 2008 में दिल्ली की यात्रा की थी. राजा मुहम्मद अली के भतीजे राजा आशिक अली ने शोकसभा को संबोधित किया. उन्होंने कहा, ‘‘गांव के सभी लोग भारत में उनके (सिंह) अंतिम संस्कार में शामिल होना चाहते हैं लेकिन यह संभव नहीं है. इसलिए वे यहां शोक मनाने आए हैं.”

गांववाले अभी भी याद करते हैं

सिंह के कुछ सहपाठियों का अब निधन हो गया है जिन्होंने 2004 में उनके प्रधानमंत्री बनने के समय खुशी व्यक्त की थी. इन सहपाठियों के परिवार अब भी गाह में रहते हैं और सिंह के साथ अपने पुराने संबंध पर गर्व महसूस करते हैं.

आशिक अली ने कहा, ‘‘हम आज भी उन दिनों को याद करके अभिभूत हैं जब गांव में हर किसी को गर्व महसूस होता था कि हमारे गांव का एक लड़का भारत का प्रधानमंत्री बन गया है.”

मनमोहन सिंह की शिक्षा

गांव में सबसे प्रतिष्ठित स्थान शायद स्कूल है जहां सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की थी. रजिस्टर में उनकी प्रवेश संख्या 187 है, और प्रवेश की तारीख 17 अप्रैल, 1937 दर्ज है. उनकी जन्मतिथि 4 फरवरी, 1932 और उनकी जाति ‘कोहली’ के रूप में दर्ज है.

स्थानीय लोग स्कूल के नवीनीकरण के लिए सिंह को गांव से होने का श्रेय देते हैं और कहते हैं कि भारतीय राजनेता के नाम पर इसका नाम रखने के बारे में कुछ चर्चा हुई थी. उन्हें लगता है कि भारत में सिंह की सफलता ने स्थानीय अधिकारियों को गाँव के विकास पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित किया.

सिंह कक्षा 4 के बाद चकवाल चले गए थे. ग्रामीणों के अनुसार, विभाजन से कुछ समय पहले उनका परिवार अमृतसर चला गया था.

वर्ष 2008 में सिंह ने अपने मित्र राजा मुहम्मद अली को दिल्ली में मिलने के लिए आमंत्रित किया था. अली की 2010 में मृत्यु हो गई और उसके बाद के वर्षों में उनके कुछ अन्य दोस्तों की भी मृत्यु हो गई.

‘मोहना’ कभी गाह वापस नहीं आया, निधन की खबर आई

स्कूल शिक्षक ने कहा, ‘‘डॉ. मनमोहन सिंह अपने जीवनकाल में फिर गाह नहीं आ सके, लेकिन अब जब वह नहीं रहे तो हम चाहते हैं कि उनके परिवार से कोई इस गांव का दौरा करने आए.”

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