महाकुंभ मेला 2025 में मौनी अमावस्या पर संगम नोज पर बुधवार देर रात अफरा-तफरी मच गई, कई लोग घायल हुए हैं, लेकिन इस जगह पर स्नान करने का महत्व क्या है आइए आपको बताते हैं.
Sangam nose Snan Importance: महाकुंभ मेले में आस्था का जनसैलाब उमड़ रहा है, खासकर शाही स्नान (Shahi Snan) के मौके पर करोड़ों लोग संगम में डुबकी लगाने को पहुंचे. इसी बीच महाकुंभ मेले (Mahakumbh Mela) में बुधवार तड़के मौनी अमावस्या के अवसर पर करोड़ों लोग उमड़ पड़े. अमृत स्नान को बेताब श्रद्धालुओं की भीड़ इतनी बढ़ गई की यहां अफरा तफरी मच गई. बताया जा रहा है कि इस समय प्रयाग में 8 से 9 करोड़ श्रद्धालु मौजूद हैं, लेकिन सभी संगम नोज (Sangam nose) में स्नान करने को क्यों उत्सुक थे. इस जगह का महत्व क्या है और क्यों यहां पर स्नान करने के लिए साधु संत और आमजन पहुंचे आइए आपको बताते हैं.
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क्या होता है संगम नोज (What is Sangam nose?)
संगम नोज वह जगह है जहां पर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदी का संगम होता है. सभी साधु संत इसी जगह पर स्नान करते हैं क्योंकि इसका विशेष महत्व होता है. इसी कारण महाकुंभ मेले में मौनी अमावस्या के दिन श्रद्धालु भी इसी जगह पर स्नान करने के लिए पहुंचे. यहां पर गंगा और यमुना नदी का पानी अलग-अलग रंग में दिखाई देता है, यमुना का पानी जहां हल्के नीले रंग का होता है, तो वहीं गंगा का पानी हल्का मटमैला दिखाई देता है. यहां आकर यमुना नदी खत्म हो जाती है और गंगा में मिल जाती है. कुंभ में इस क्षेत्र को संगम घाट के तौर पर बनाया गया है. संगम नोज पर ही अलग-अलग अखाड़े के संत अपने धार्मिक अनुष्ठान और अमृत स्नान करते हैं.
संगम नोज में डुबकी लगाने से होती है मोक्ष की प्राप्ति
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, संगम नोज में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. यही वजह है कि हर श्रद्धालु संगम में पहुंचकर स्नान करना चाहता है. यहां पहुंचने के लिए घाट से नाव में बैठकर संगम नोज तक पहुंचते हैं और स्नान करते हैं. हालांकि, अमृत स्नान के दिन घाटों पर नाव को बंद कर दिया जाता है.
संगम नोज में स्नान करने का धार्मिक महत्व (Religious significance of bathing in Sangam nose)
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, संगम नोज में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं और आत्मा की शुद्धि होती है.कहते हैं पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए संगम में तर्पण और पिंडदान करना बहुत शुभ माना जाता है, इसलिए साधु संत के अलावा भी आमजन यहां पर जाकर स्नान करना चाहते हैं.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, संगम नोज कुंभ मेले का प्रमुख स्थान होता है, जहां स्नान करना अमृत के समान माना जाता है.यहां गंगा यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम होता है, गंगा नदी ज्ञान और पवित्रता, यमुना प्रेम और करुणा और सरस्वती विद्या और बुद्धि का प्रतीक मानी जाती हैं. ऐसे में इन तीनों नदियों के संगम में स्नान करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है.महाकुंभ के दौरान शाही स्नान जैसे मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या, बसंत पंचमी, शिवरात्रि पर संगम नोज में स्नान करने का विशेष महत्व होता है. इसके अलावा गुप्त नवरात्रि के दौरान भी संगम नोज में स्नान करने के विशेष महत्व हैं.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से संगम नोज के फायदे
न सिर्फ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी गंगा यमुना और सरस्वती के मिलन वाले क्षेत्र यानी कि संगम नोज में स्नान करने से मानसिक शांति मिलती है और स्वास्थ्य को भी लाभ मिलते हैं. इस जल में कई औषधि गुण होते हैं, जो स्किन के लिए फायदेमंद होते हैं. कहा जाता है कि प्राकृतिक संगम स्थल पर स्नान करने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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