March 9, 2025
रामानंद के रामायण की मंथरा से लेकर 70s की सास, एक्ट्रेसेस पर आज भी भारी हैं ये गुजरे जमाने की वैंप

रामानंद के रामायण की मंथरा से लेकर 70s की सास, एक्ट्रेसेस पर आज भी भारी हैं ये गुजरे जमाने की वैंप​

कभी सोचा है, खाने में मिर्च न हो तो क्या होगा? यही हाल सिनेमा जगत का भी है. तिरछी मुस्कान, तीखे बोल और जुल्म करती अदाकारा... फिल्म में न हो तो क्या होगा?

कभी सोचा है, खाने में मिर्च न हो तो क्या होगा? यही हाल सिनेमा जगत का भी है. तिरछी मुस्कान, तीखे बोल और जुल्म करती अदाकारा… फिल्म में न हो तो क्या होगा?

कभी सोचा है, खाने में मिर्च न हो तो क्या होगा? यही हाल सिनेमा जगत का भी है. तिरछी मुस्कान, तीखे बोल और जुल्म करती अदाकारा… फिल्म में न हो तो क्या होगा? जी हां! यहां बात हो रही है कहानी को मनोरंजन के रंग में रंगती खलनायिकाओं की. ये वही एक्ट्रेसेस हैं, जो दर्शकों को तिलमिलाने पर मजबूर कर देती थीं. ललिता पवार, शशिकला और बिंदू सिल्वर स्क्रीन की ऐसी एक्ट्रेसेस थीं, जिन्होंने फीमेल नेगेटिव किरदारों को फिल्मों का अहम हिस्सा बना दिया. वहीं आज की वैम्प के किरदारों को कड़ी टक्कर दे रही हैं.

ललिता पवार – सशक्त खलनायिका का नाम आए तो ललिता पवार का नाम अमिट है. रामानंद के रामायण की मंथरा हो, कुटिल सास, ईष्यार्लु पड़ोसन, घमंडी या लालची रिश्तेदार हो या सौतेली मां! ललिता पवार ने बखूबी पर्दे पर निभाया. वह अपने किरदार में इतना डूब जाती थीं कि दर्शकों के चेहरे घृणा भाव से भर जाते थे। यह इस बात को साबित करता है कि वह अपनी भूमिका को कितनी जीवंतता से निभाती थीं. फिल्म ‘फूल और पत्थर’ में बहू (मीना कुमारी) पर जुल्म ढाती क्रूर सास (ललिता पवार) या वी शांताराम की फिल्म ‘दहेज’ में भी उनका अंदाज देखते बना था. ललिता पवार ने अपने करियर में कई नेगेटिव भूमिकाएं निभाईं, जिनमें अनारकली, परवरिश, अनाड़ी, छलिया, जिस देश में गंगा बहती है, दुश्मन जैसी फिल्मों में ललिता पवार ने नकारात्मक भूमिका निभाई.

शशिकला – सिनेमा की दुनिया के कुछ कलाकार अपनी अदाकारी से हमारे जेहन में इस कदर बस जाते हैं कि उन्हें भूल पाना मुश्किल होता है. मुंह बिचकाती और बहू या नौकर को ताने सुनाती अभिनेत्री आपके जेहन में याद ही होगी. जी हां! हम बात कर रहे हैं मशहूर खलनायिका शशिकला की.

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नायक को अपने आकर्षण के जाल में फंसाकर तिकड़म करने में शशिकला भी कम नहीं थीं. वह फिल्मों में क्रूर सास, सौतेली मां या भाभी को परेशान करने वाली ननद के रूप में हमेशा याद की जाएंगी. अभिनेत्री ने ‘एक फूल चार कांटे’, ‘चंगेज खान’, ‘संन्यासी’, ‘द ग्रेट गैंबलर’, ‘डॉन’ और ‘दोस्ताना’, ‘अमीर गरीब’ जैसी कई फिल्मों में कभी न भूल पाने वाली नकारात्मक भूमिका निभाई.

बिंदू – ये एक ऐसा नाम है, जिसे सुनकर ही दर्शकों की भौंहे तन जाती थीं. 1960-70 के दशक में बिंदू ने कई हिंदी फिल्मों में काम किया. वह अपने समय की सबसे लोकप्रिय और सफल अभिनेत्रियों में से एक थीं. उन्होंने ‘कटी पतंग’, ‘दो रास्ते’, ‘इत्तफाक’, दुश्मन, मेरे जीवन साथी जैसी कई फिल्मों में शानदार काम किया। बिंदू अक्सर फिल्मों में वैंप या नकारात्मक भूमिकाओं में नजर आती थीं और अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लेती थीं.

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