संसद के शीतकालीन सत्र में संविधान के कामकाज को लेकर लोकसभा में 13 और 14 दिसंबर को चर्चा होगी. वहीं जबकि राज्यसभा के लिए 16 और 17 दिसंबर का दिन निर्धारित किया गया है.
संसद के शीतकालीन संत्र के दौरान लगातार जारी गतिरोध के बीच अब सभी पार्टियां अगले सप्ताह संविधान पर बहस करने के लिए तैयार हो गई हैं. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के साथ सर्वदलीय बैठक में सभी पार्टियों के नेताओं ने इस पर सहमति जताई है. केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद के बाहर संवाददाताओं से कहा कि संविधान पर लोकसभा में 13 और 14 दिसंबर को, जबकि राज्यसभा में 16 और 17 दिसंबर को बहस होगी.
संसद में जारी गतिरोध के बीच लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्षी पार्टी के नेताओं की बैठक बुलाई थी. इसी बैठक में लोकसभा स्पीकर ने सभी दलों के नेताओं के सामने सामने यह प्रस्ताव रखा. इस पर सभी दलों के फ्लोर लीडर्स ने अपनी सहमति जताई है.
तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने एनडीटीवी से कहा कि 13 और 14 दिसंबर को लोकसभा में संविधान पर विस्तार से चर्चा होगी. साथ ही उन्होंने बताया कि आज की बैठक में सहमति बनी है कि समाजवादी पार्टी के सांसद मंगलवार को संभल के मुद्दे को उठाएंगे और तृणमूल कांग्रेस के सांसद बांग्लादेश के मुद्दे पर अपनी बात रखेंगे.
रिजिजू ने कहा, “संसद की कार्यवाही को बाधित करना अच्छा नहीं है. हम विपक्षी नेताओं से इस समझौते पर अमल करने की अपील करते हैं कि हम यह सुनिश्चित करेंगे कि कल से संसद सुचारू रूप से चले.”
सत्तारूढ़ भाजपा लगातार विपक्ष के उन हमलों का जवाब देती रही है कि जिसमें कहा गया है कि मोदी 3.0 में संविधान के साथ छेड़छाड़ की जाएगी. केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा नेता अमित शाह ने कई बार विपक्ष के उन दावों को खारिज किया है जिसमें कहा गया है कि अगर भाजपा को लोकसभा में फिर से पूर्ण बहुमत मिलता है तो वह संविधान में संशोधन करेगी.
शाह ने मई में कहा था, “हमें पिछले 10 वर्षों से संविधान बदलने का जनादेश मिला है, लेकिन हमने कभी ऐसा नहीं किया. आपको क्या लगता है कि राहुल बाबा और कंपनी क्या कहेंगे और देश इस पर विश्वास करेगा? इस देश ने हमें स्पष्ट जनादेश दिया है और इस देश के लोग पहले से ही जानते हैं कि मोदी जी के पास संविधान बदलने के लिए पहले से ही पर्याप्त बहुमत था, लेकिन हमने ऐसा कभी नहीं किया.”
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