वक्फ बिल पर बुधवार को आखिरी बैठक! रिपोर्ट स्वीकार करेगी समिति; जानें विधेयक के अहम बदलाव​

 बिल में बदलाव करके ये प्रावधान किया गया है कि वैसी वक़्फ़ संपत्ति जो पंजीकृत नहीं है और न ही उसका इस्तेमाल धार्मिक उद्देश्यों (जैसे मस्जिद) के लिए हो रहा है. वैसी सभी वक़्फ़ संपत्तियां सरकार की संपत्ति हो जाएगी.

वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार विमर्श के लिए गठित संसद की संयुक्त समिति की बुधवार को फिर से बैठक होगी. सुबह 10 बजे होने वाली ये बैठक आखिरी होगी और इसमें समिति रिपोर्ट को स्वीकार करेगी. सदस्यों को रिपोर्ट का मसौदा भेजा गया है. हालांकि विपक्षी सांसद आपत्ति पत्र (Note of Dissent) देने की तैयारी में हैं.

सूत्रों के मुताबिक अपनी रिपोर्ट में जेपीसी ने संसद में पेश हुए बिल में कुछ बदलाव करने की सिफ़ारिश की है. 27 जनवरी को हुई बैठक में बिल में कुछ बदलावों को मंजूरी दी गई थी.

एक बड़ा बदलाव जो जेपीसी ने बिल में किया है, उसका दिल्ली से सीधा नाता हो सकता है. बिल में बदलाव करके ये प्रावधान किया गया है कि वैसी वक़्फ़ संपत्ति जो पंजीकृत नहीं है और न ही उसका इस्तेमाल धार्मिक उद्देश्यों (जैसे मस्जिद) के लिए हो रहा है. वैसी सभी वक़्फ़ संपत्तियां सरकार की संपत्ति हो जाएगी.

एक अनुमान के मुताबिक दिल्ली में ऐसी संपत्तियों की तादाद क़रीब 3000 है और इन सबका इस्तेमाल आम तौर पर किराए पर देने के लिए किया जा रहा है.

इससे जुड़े एक संगठन Waqf tenants Association ने जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल को एक ज्ञापन भी दिया था. इस association का आरोप था कि किरायदारों से मनमाने पैसे लिए जाते हैं और उन पर हमेशा तलवार लटकती रहती है. इस संगठन के ज्ञापन को जेपीसी ने अपनी रिपोर्ट में भी जगह दी है.

वक्फ संशोधन विधेयक, 2025 के प्रमुख प्रावधान

मुस्लिम महिलाओं के सशक्तीकरण और वक्फ प्रबंधन में भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए राज्य वक्फ बोर्ड (धारा 14) और केंद्रीय वक्फ परिषद (धारा 9) दोनों में दो मुस्लिम महिलाओं को सदस्य के रूप में शामिल किया जाना जारी रहेगा.राज्य वक्फ बोर्डों में अब व्यापक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करते हुए मुस्लिम ओबीसी समुदाय से एक सदस्य शामिल किया जाएगा (धारा 14)राज्य सरकार आगाखानी और बोहरा समुदायों की विशिष्ट धार्मिक आवश्यकताओं को स्वीकार करते हुए उनके लिए अलग-अलग वक्फ बोर्ड स्थापित कर सकती है (धारा 13)वक्फ अलल औलाद (पारिवारिक वक्फ) में महिलाओं के विरासत अधिकारों की रक्षा की जाएगी. एक वक़िफ़ केवल यह सुनिश्चित करने के बाद ही संपत्ति समर्पित कर सकता है कि महिला उत्तराधिकारियों को उनका उचित हिस्सा मिले (धारा 3ए(2)उपयोगकर्ता द्वारा पंजीकृत वक्फ को वक्फ के रूप में मान्यता दी जाएगी, उन मामलों को छोड़कर जहां संपत्ति विवाद में है या सरकार के स्वामित्व में है (धारा 3 (आर)परिसीमा अधिनियम इस अधिनियम के प्रारंभ से वक्फ से संबंधित सभी मामलों पर लागू होगा, समय पर समाधान सुनिश्चित करेगा और लंबे समय तक मुकदमेबाजी को रोकेगा (धारा 107)पोर्टल के माध्यम से वक्फ संपत्तियों के संपूर्ण जीवन चक्र को स्वचालित करने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया शुरू की जाएगी.वक्फ बोर्ड को छह महीने के भीतर सभी वक्फ संपत्ति का विवरण केंद्रीय पोर्टल पर अपलोड करना होगा. वक्फ ट्रिब्यूनल मामला-दर-मामला आधार पर विस्तार दे सकता है.यदि किसी सरकारी संपत्ति पर वक्फ होने का दावा किया जाता है, तो राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित कलेक्टर रैंक से ऊपर का एक अधिकारी कानून के अनुसार जांच करेगा. रिपोर्ट प्रस्तुत होने तक ऐसी सरकारी संपत्तियों को वक्फ (धारा 3सी) नहीं माना जाएगा.मुस्लिम ट्रस्ट जो वक्फ के समान कार्य करते हैं, लेकिन ट्रस्ट कानूनों द्वारा शासित होते हैं, उन्हें कानूनी विवादों को रोकने के लिए वक्फ अधिनियम, 1995 से बाहर रखा जाएगा (धारा 2 ए)वक्फ अलल औलाद से होने वाली आय का उपयोग विधवाओं, तलाकशुदा महिलाओं और अनाथों के समर्थन के लिए किया जा सकता है, यदि वक्फ द्वारा निर्दिष्ट किया गया है (धारा 3 (आर) (iv)न्यायाधिकरण के निर्णयों की अंतिमता को हटा दिया गया है. कोई भी पीड़ित व्यक्ति अब ट्रिब्यूनल के फैसले के नब्बे दिनों के भीतर उच्च न्यायालय में अपील कर सकता हैवक्फ संपत्तियों के ऑनलाइन पंजीकरण प्रमाण पत्र पोर्टल के माध्यम से जारी किये जायेंगे.

इससे पहले भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली समिति ने सोमवार को हुई एक बैठक में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों द्वारा प्रस्तावित सभी संशोधनों को स्वीकार कर लिया और विपक्षी सदस्यों के संशोधनों को खारिज कर दिया.

विपक्षी सदस्यों ने वक्फ (संशोधन) विधेयक के सभी 44 प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव रखा था

सूत्रों ने बताया कि समिति में शामिल विपक्षी सदस्यों ने वक्फ (संशोधन) विधेयक के सभी 44 प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव रखा था और उन्होंने दावा किया कि समिति की ओर से प्रस्तावित कानून विधेयक के ‘दमनकारी’ चरित्र को बरकरार रखेगा और मुस्लिमों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने का प्रयास करेगा.

हालांकि स्वीकृत संशोधन विधेयक की आलोचना करने वाले मुस्लिम निकायों को कुछ राहत देते हैं, जिसमें विधवाओं और अनाथों सहित अन्य के लिए कल्याणकारी उपायों पर निर्णय लेने का अधिकार वक्फ बोर्डों पर छोड़ना शामिल है, लेकिन इसे अनिवार्य नहीं बनाया गया है. वक्फ विधेयक के आलोचक इस पर आपत्ति जता सकते हैं.

संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होने जा रहा है. सत्तारूढ़ भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सत्र के पहले चरण में विधेयक पारित करा सकता है, क्योंकि उसके पास लोकसभा और राज्यसभा दोनों में बहुमत है.

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