वक्‍फ बिल लोकसभा में आज होगा पेश, जानिए पक्ष-विपक्ष में कौन और क्‍या कहता है संसद का गणित  ​

 लोकसभा स्पीकर ओम बिरला की अध्यक्षता में आयोजित कार्य मंत्रणा समिति यानि BAC की बैठक में वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पर चर्चा के लिए आठ घंटे का समय तय किया गया है. हालांकि विपक्ष ने 12 घंटे का वक्‍त देने की मांग की थी, जिसे ठुकरा दिया गया. 

वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पर जारी बयानबाजी और विरोध-प्रदर्शनों के बीच सरकार जेपीसी की सिफारिशों के बाद केंद्र सरकार आज नए सिरे से इसे लोकसभा में पेश करेगी. सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस तथा समाजवादी पार्टी अपने सांसदों को अगले तीन दिनों के लिए व्हिप जारी किए हैं. लोकसभा स्पीकर ओम बिरला की अध्यक्षता में आयोजित कार्य मंत्रणा समिति यानि BAC की बैठक में इस विधेयक पर चर्चा के लिए आठ घंटे का समय तय किया गया है. हालांकि विपक्ष ने 12 घंटे का वक्‍त देने की मांग की थी, जिसे ठुकरा दिया गया. राज्यसभा में इस विधेयक पर गुरुवार को चर्चा होने की उम्मीद है. 

विधेयक के पक्ष में कौन-कौन?

वक्‍फ बिल का दोनों सदनों से पारित होना फिलहाल औपचारिकता लग रहा है. खासतौर पर एनडीए की सभी सहयोगी पार्टियां इस विधेयक के समर्थन में नजर आ रही हैं. खासतौर पर जेडीयू, टीडीपी और एलजेपी के बिल का समर्थन करने के बाद सरकार की चिंता दूर हो गई है. हालांकि कुछ बिंदुओं को लेकर इन दलों को आपत्ति थी. टीडीपी ने बिल के समर्थन को लेकर अपने सांसदों के लिए व्हिप भी जारी कर दिया है. आइए जानते हैं कि कौन है बिल के समर्थन में. 

विधेयक के विपक्ष में हैं ये पाटियां

वक्‍फ बिल को लेकर विपक्षी पाटियां लगाता अपना विरोध दर्ज कराती रही हैं. इनमें कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस जैसी पार्टियों के नाम शामिल हैं.  समाजवादी पार्टी ने बिल को लेकर व्हिप जारी किया है. इसमें सभी सांसदों को मौजूद रहने के लिए कहा गया है. इस बिल को लेकर अपनी रणनीति बनाने के लिए मंगलवार शाम को विपक्ष ने बैठक की, जिसमें इंडिया गठबंधन के सभी घटक शामिल हुए. 

क्‍या कहता है लोकसभा-राज्‍यसभा का गणित

लोकसभा में आज पेश होने वाले वक्‍फ संशोधन विधेयक को लेकर माना जा रहा है कि इसका पारित होना तय है. वहीं राज्‍यसभा में भी इस बिल के पारित हो सकता है. इसके पीछे के संख्‍याबल को देखें तो बिल के पारित होने में कोई परेशानी नजर नहीं आती है, बशर्ते कि एनडीए के सहयोगी दल एकजुट रहें. आइए जानते हैं संसद का गणित. 

  • लोकसभा में एनडीए के पास 293 सांसद हैं.
  • यहां बहुमत के लिए 272 सांसद चाहिए.
  • राज्यसभा में एनडीए के पास 119 सांसद हैं.
  • बहुमत के लिए 118 सांसदों का समर्थन चाहिए.
  • बीजेडी, बीआरएस, वाईएसआर कांग्रेस के स्‍टैंड का पता नहीं है.

अदालत में विपक्ष देगा चुनौती!

विपक्षी सांसदों के बयानों से लगता है कि वे भी मानकर चल रहे हैं कि संसद में इस विधेयक को रोकना उनके लिए संभव नहीं है. यही कारण है कि वे अब अदालत का रुख करने का फैसला कर चुके हैं. कांग्रेस सांसद और जेपीसी के सदस्‍य इमरान मसूद ने ऐलान किया है कि बिल पारित होने के बादा इसे अदालत में चुनौती दी जाएगी. 

8 अगस्‍त को पहली बार किया था पेश

संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री किरेन रिजिजू ने आठ अगस्त 2024 को यह बिल लोकसभा में पेश किया था. उस वक्‍त बिल को लेकर जमकर हंगामा हुआ था. इसके बाद लोकसभा अध्‍यक्ष ने बिल को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेज दिया गया था. जेपीसी का अध्‍यक्ष भाजपा सांसद जगदंबिका पाल को बनाया गया. इस समिति ने एनडीए के घटक दलों की ओर से पेश 14 संशोधनों के साथ अपनी रिपोर्ट संसद में पेश की थी. वहीं विपक्ष की ओर पेश 44 संशोधनों को खारिज कर दिया गया. जेपीसी की रिपोर्ट के आधार पर संशोधित बिल को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. 

वक्‍फ संशोधन विधेयक का क्‍या है उद्देश्‍य

  • वक्फ संशोधन विधेयक 2024 के उद्देश्यों और कारणों के विवरण में कहा गया है कि वर्ष 2013 में अधिनियम में व्यापक संशोधन किए गए थे. इसमें कहा गया है, “संशोधनों के बावजूद यह देखा गया है कि राज्य वक्फ बोर्डों की शक्तियों, वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण और सर्वेक्षण, अतिक्रमणों को हटाने, वक्फ की परिभाषा सहित संबंधित मुद्दों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए अधिनियम में अब भी और सुधार की आवश्यकता है.”
  • इसमें कहा गया है कि 2013 में अधिनियम में संशोधन न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राजिंदर सच्चर की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों और वक्फ और केंद्रीय वक्फ परिषद पर संयुक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट के आधार पर और अन्य हितधारकों के साथ विस्तृत परामर्श के बाद किया गया था.
  • विधेयक 2024 का एक प्रमुख उद्देश्य वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम बदलकर एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995 करना है.
  • वक्फ संशोधन विधेयक 2024 का उद्देश्य स्पष्ट रूप से “वक्फ” को किसी भी व्यक्ति द्वारा कम से कम पांच वर्षों तक इस्लाम का पालन करने और ऐसी संपत्ति का स्वामित्व रखने के रूप में परिभाषित करना है, और यह सुनिश्चित करना है कि वक्फ-अलल-औलाद के निर्माण से महिलाओं को विरासत के अधिकारों से वंचित नहीं किया जाएगा.
  • विधेयक के अन्य उद्देश्यों में शामिल हैं, “उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ” से संबंधित प्रावधानों को हटाना; सर्वेक्षण आयुक्त के कार्यों को कलेक्टर या कलेक्टर द्वारा विधिवत नामित डिप्टी कलेक्टर के पद से नीचे के किसी भी अधिकारी को सौंपना; केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों की व्यापक संरचना प्रदान करना और मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुसलमानों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना और बोहरा और अघाखानियों के लिए अलग औकाफ बोर्ड की स्थापना का प्रावधान करना.
  • वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 का एक अन्य प्रमुख उद्देश्य वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करना है, ताकि वक्फ संपत्तियों के विनियमन और प्रबंधन में आने वाली समस्याओं और चुनौतियों का समाधान किया जा सके। संशोधन विधेयक भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रशासन और प्रबंधन में सुधार करना चाहता है.
  • इसका उद्देश्य अधिनियम की कमियों को दूर करना और पंजीकरण प्रक्रिया में सुधार तथा वक्फ रिकॉर्ड के प्रबंधन में प्रौद्योगिकी की भूमिका बढ़ाने जैसे बदलाव लाकर वक्फ बोर्डों की दक्षता बढ़ाना है.

एआईएमपीएलबी ने बताया मौलिक अधिकारों के खिलाफ

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने मंगलवार को भाजपा के सहयोगी दलों समेत सभी धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक दलों और सांसदों से अपील की कि वे वक्फ विधेयक का कड़ा विरोध करें और किसी भी हालत में इसके पक्ष में मतदान न करें.  

एआईएमपीएलबी के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने एक बयान में कहा कि यह विधेयक न केवल भेदभाव और अन्याय पर आधारित है, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 14, 25 और 26 के तहत मौलिक अधिकारों के प्रावधानों के भी खिलाफ है. उन्‍होंने आरोप लगाया कि विधेयक के जरिए भाजपा का लक्ष्य वक्फ कानूनों को कमजोर करना और वक्फ संपत्तियों को जब्त करने और नष्ट करने का रास्ता तैयार करना है. 

उन्होंने कहा, ‘‘उपासना स्थल अधिनियम के अस्तित्व में होने के बावजूद, हर मस्जिद में मंदिर खोजने का मुद्दा लगातार बढ़ रहा है. यदि यह संशोधन पारित हो जाता है, तो वक्फ संपत्तियों पर सरकारी और गैर-सरकारी नाजायज दावों में वृद्धि होगी, जिससे कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट के लिए उन्हें जब्त करना आसान हो जाएगा.”

लोकसभा में जमकर हंगामे के आसार

विपक्ष ने अपनी रणनीति तय करने के लिए मंगलवार शाम को बैठक की. इसमें इंडिया गठबंधन के सभी घटक दलों के नेता शरीक हुए. आज सुबह कांग्रेस के लोकसभा सदस्यों की भी बैठक बुलाई गई है, जिसे राहुल गांधी संबंधित करेंगे.  बिल को लेकर कांग्रेस का कहना है कि पार्टी का जो रुख पहले था वही आज भी है. सदन में इस बिल का विरोध किया जाएगा, क्योंकि इस बिल के माध्यम से एनडीए सरकार की बांटने की कोशिश है. कांग्रेस के सदस्यों ने जेपीसी में जो विचार व्यक्त किए हैं, वही व‍िचार आज भी है. इस बिल को लाकर सिर्फ बांटने का प्रयास किया जा रहा है. भाजपा की सरकार हमेशा ही ऐसा करती है. इसका एक कदम वक्फ संशोधन बिल है. कांग्रेस हमेशा से ‘अल्पसंख्यकों’ के साथ रही है.

इसके बाद बुधवार को लोकसभा में सत्र हंगामेदार हो सकता है, क्योंकि विपक्षी सदस्य विवादास्पद विधेयक पर जोरदार विरोध करने को तैयार हैं. संसदीय कार्य मंत्री ने बताया कि वक्फ विधेयक पर संभावित टकराव के संकेत मंगलवार को कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में देखने को मिले.

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