वो किताब जिसने लोगों को हिंदी सीखने पर किया मजबूर, दूरदर्शन पर आया सीरियल तो गलियों में पसर गया था सन्नाटा​

 Hindi Diwas 2024: हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है. ओटीटी के इस दौर में हम आपको बताते हैं हिंदी के उस उपन्यास के बारे में जो जब प्रकाशित हुआ था तो उस समय लोगों ने उसे पढ़ने के लिए हिंदी तक सीख ली थी.

साल 1994 की बात है. रविवार के दिन टीवी पर एक फंतासी सीरियल की शुरुआत हुई, जो हिंदी साहित्य के दिग्गज लेखक देवकीनंदन खत्री के उपन्यास पर आधारित था. इस शो का टीवी संस्करण मशहूर साहित्यकार कमलेश्वर ने किया था, और इसका नाम था ‘चंद्रकांता.’ इस सीरियल के किरदार, जैसे राजकुमारी चंद्रकांता, राजकुमार वीरेंद्र विक्रम सिंह, जांबाज, विष पुरुष शिवदत्त और खलनायक क्रूर सिंह, इतने लोकप्रिय हो गए कि हर किसी की ज़ुबान पर इनका ही ज़िक्र रहता था. 1990 के दशक में जब ‘चंद्रकांता’ दूरदर्शन पर प्रसारित होता था, तो गलियों में सन्नाटा छा जाता था, और लोग काम छोड़-छाड़कर टीवी के आगे अय्यारों की दुनिया के रहस्य देखने के लिए बैठ जाते थे.

दूरदर्शन पर ‘चंद्रकांता’ सीरियल का प्रसारण 1994 से 1996 के बीच हुआ था, जिसका निर्माण नीरजा गुलेरी ने किया था. इस शो में पंकज धीर, शाबाज खान, शिखा स्वरूप, मुकेश खन्ना, इरफान खान, अखिलेंद्र मिश्र, मामिक सिंग, विजेंद्र घाटगे, परीक्षित साहनी, दुर्गा जसराज, राजेंद्र गुप्ता और कृतिका देसाई जैसे सितारों ने अभिनय किया.

‘चंद्रकांता’ उपन्यास की रचना प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार देवकी नंदन खत्री ने की थी, और इसका प्रकाशन 1888 में हुआ था. इस उपन्यास ने उस समय के पाठकों के बीच एक नया उत्साह पैदा कर दिया था. यह उपन्यास इतना लोकप्रिय हुआ कि कहा जाता है कि इसे पढ़ने के लिए उस दौर में कई लोगों ने हिंदी पढ़ना सीखा. हिंदी भाषा और साहित्य के प्रसार में ‘चंद्रकांता’ का महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है.

इस उपन्यास को देवकी नंदन खत्री ने अपनी खुद की प्रेस, लहरी प्रेस, से प्रकाशित किया था. उस समय के लिए यह उपन्यास एक अनूठा प्रयोग था, जिसमें जादू, रहस्य, और रोमांच का संगम था. उनके अन्य प्रसिद्ध उपन्यासों में ‘चंद्रकांता संतति’, ‘काजर की कोठरी’, और ‘भूतनाथ’ शामिल हैं. चंद्रकांता की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसके पात्र और कहानी आज भी भारतीय साहित्य की धरोहर माने जाते हैं…

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