केंद्र सरकार की इस योजना से 70 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों को इलाज के लिए अब 5 लाख रुपये तक की मदद मिलेगी. सरकार के इस फैसले से देश भर में 6 करोड़ बुजुर्गों को फायदा होगा. आयुष्मान भारत योजना
हमने कभी भगवान को नहीं देखा…लेकिन इस धरती पर हमारे लिए हमारे माता-पिता किसी भगवान से कम भी नहीं हैं. इस दुनिया में आंख खुलने से लेकर होश संभालने तक ये हमारे माता-पिता ही हैं जो हमें संभालते हैं और इस काबिल बनाते हैं कि आज हम इस दुनिया को अपनी नजर से देख सकें. लेकिन यही माता पिता जब बुजुर्ग होने लगते हैं तो यही बच्चे या तो इन्हें जबरदस्ती वृद्धाश्रम में छोड़ आते हैं या फिर वो खुद ही बच्चों की जिंदगी पर बोझ बनने से बचने के लिए ऐसे वृद्धाश्रम में चले जाते हैं.कई बार तो इन बुजुर्गों को लगता है कि अब उनकी बढ़ती उम्र की वजह से उनके ऊपर इलाज में ज्यादा खर्च हो रहा है. जिस वजह से उनके बच्चों का बजट बिगड़ जाता है. लिहाजा, अगर वह अपने बच्चों से दूर किसी वृद्धाश्रम में चले जाएं तो उनके बच्चों पर पड़ने वाला इलाज का अतिरिक्त खर्च कम हो जाएगा.
लेकिन जरा सोचकर देखिए कि किसी माता-पिता के लिए, जिन्होंने अपने बच्चों को ताउम्र अच्छी तालिम और परवरिश दी, अपने बच्चों की हर छोटी बड़ी डिमांड को बैगर सवाल किए पूरा किया. उन्हें उंगली पकड़कर चलना भी सिखाया, वे उम्र के इस पड़ाव पर अपने बच्चों को छोड़कर जाना किस कदर पीड़ा देता होगा. पर वो मजबूरी में ऐसा करते हैं. लेकिन अब केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना इन बुजुर्गों के लिए वरदान की तरह बनकर आई है.
केंद्र सरकार की इस योजना से 70 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों को इलाज के लिए अब 5 लाख रुपये तक की मदद मिलेगी. सरकार के इस फैसले से देश भर में 6 करोड़ बुजुर्गों को फायदा होगा. केंद्र के इस कदम से कई घरों की ‘खुशियां’अब वृद्धाश्रम जाने के लिए मजबूर नहीं होंगी. अब माता-पिता को ऐसा नहीं लगेगा कि उनकी दवाइयों और इलाज का खर्च उनके बच्चों के लिए एक बोझ की तरह है. सही मायनों में कहें तो केंद्र का यह फैसला ऐसे बुजुर्गों के बुढ़ापे की ‘लाठी’ साबित होगा.
कई बार कोर्ट ने भी की है बुजुर्गों की बात
सुप्रीम कोर्ट ने बुढ़ापे में मां-बाप की देखभाल को लेकर कई बड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा है कि ये उस बेटे का नैतिक फर्ज और कानूनी बाध्यता भी है कि वह अपने माता-पिता की बुढ़ापे में देखभाल करे. 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने बुजुर्ग पिता को हर महीने 10 रुपये गुजारा भत्ता देने में आनाकानी करने वाले एक बेटे को कड़ी फटकार लगाई थी. कोर्ट ने उस दौरान कहा था कि बुढ़ापे में मां-बाप की देखभाल करना न सिर्फ बेटे का नौतिक फर्ज है बल्कि कानूनी बाध्यता भी है.
संपत्ति पर अधिकार को लेकर भी आई थी कलकत्ता हाई कोर्ट की बड़ी टिप्पणी
जुलाई 2021 में कलकत्ता हाई कोर्ट ने एक ऐसे ही मामले में बड़ा फैसला सुनाया था. कोर्ट ने उस दौरान कहा था कि संपत्ति पर बुजुर्ग मां-बाप का ही अधिकार है, उसके बेटे-बहू तो संपत्ति के सिर्फ लाइसेंसी मात्र हैं और बुजुर्ग मां-बाप को ही घर से बेदखल कर दिया जाता है. कोर्ट ने अपनी टिप्णणी में आगे ये भी कहा था कि अगर कोई देश अपने बुजुर्गों और कमजोर नागिरकों की देखभाल नहीं कर सकता तो वह पूर्ण सभ्यता वाला देश नहीं हो सकता.
बच्चों को मां-बाप की देखभाल करना ही होगा – पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट
बुजुर्ग मां-बाप को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने भी एक बड़ी टिप्पणी की थी. कोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा था कि बच्चों को मां-बाप की देखभाल करनी ही होगी. कोर्ट ने 76 साल की बुजुर्ग विधवा से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया था. बुजुर्ग महिला का आरोप था कि उसके बेटे ने 2015 में बेटे ने फर्जी तरीके से उसकी संपत्ति को अपने नाम करा लिया. इसके बाद वह उन्हें बात-बात पर पीटना शुरू कर दिया था. तमाम कोशिशों के बाद भी बेटे का रवैया नहीं बदला तो महिला ने कानून का सहारा लिया. इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि बच्चों को अपने बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल करनी ही होगी. कोर्ट ने उस मामले में बेटे के नाम पर महिला की संपत्ति के ट्रांसफर को भी रद्द कर दिया था. (सभी फोटो AI की हैं)
NDTV India – Latest
More Stories
Karan Arjun Re-Release Box Office Day 1: 2024 की रि रिलीज फिल्मों में दूसरी सबसे बड़ी ओपनर बनी करण अर्जुन, पहले दिन इतनी की कमाई
Guru pradosh vrat 2024 : नवंबर में इस दिन रखा जाएगा गुरु प्रदोष व्रत, यहां जानिए भोग और पूजा मुहूर्त
बाबा रामदेव ने बताया 5 मिनट का नुस्खा, इससे पूरे शरीर का पॉल्यूशन, रेडिएशन और टॉक्सिंस निकल आएगा बाहर