November 24, 2024
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“शुगर कोटेड फिलॉसफी’ बेची जा रही, कमजोर वर्गों को बना रहे निशाना” : धर्मांतरण पर उपराष्‍ट्रपति धनखड़ ​

उपराष्‍ट्रपति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने एक कार्यक्रम में कहा कि सुनियोजित साजिश के तहत धर्मांतरण किया जा रहा है. उन्‍होंने कहा कि इसके लिए हमें सचेत रहना पड़ेगा और तीव्र गति से काम करना पड़ेगा.

उपराष्‍ट्रपति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने एक कार्यक्रम में कहा कि सुनियोजित साजिश के तहत धर्मांतरण किया जा रहा है. उन्‍होंने कहा कि इसके लिए हमें सचेत रहना पड़ेगा और तीव्र गति से काम करना पड़ेगा.

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने कहा कि सुनियोजित तरीके से धर्मांतरण (Religious Conversion) किया जा रहा है और यह हमारे मूल्‍यों और संवैधानिक सिद्धातों के विपरीत है. उपराष्‍ट्रपति ने जयपुर में आयोजित हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा मेला 2024 के उद्घाटन भाषण में कहा कि ‘शुगर कोटेड फिलॉसफी’ बेची जा रही है और समाज के कमजोर वर्गों को निशाना बनाया जा रहा है. साथ ही उन्‍होंने कहा कि यह सुनियोजित साजिश के तहत किया जा रहा है.

उपराष्‍ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने संबोधन के दौरान कहा, “सनातन कभी विष नहीं फैलाता, सनातन स्व शक्तियों का संचार करता है. एक और संकेत दिया गया है जो बहुत खतरनाक है और देश की राजनीति को भी बदलने वाला है. यह नीतिगत तरीके से हो रहा है, संस्थागत तरीके से हो रहा है, सुनियोजित षड्यंत्र के तरीके से हो रहा है और वह है धर्म परिवर्तन.”

दर्दनाक धार्मिंक रूपांतरण देख रहे हैं : धनखड़

उन्‍होंने कहा, “शुगर-कोटेड फिलॉसफी बेची जा रही है. वे समाज के कमजोर वर्गों को निशाना बनाते हैं. वे हमारे आदिवासी लोगों में अधिक घुसपैठ करते हैं. लालच देते हैं. हम एक नीति के रूप में संरचित तरीके से बहुत दर्दनाक धार्मिक रूपांतरण देख रहे हैं और यह हमारे मूल्यों और संवैधानिक सिद्धांतों के विपरीत है.”

उन्‍होंने कहा कि अविलंब और तीव्र गति से काम करने की आवश्यकता है, जिससे ऐसी भयावह ताकतों को नकारा जा सके. इसके लिए हमें सचेत रहना पड़ेगा और तीव्र गति से काम करना पड़ेगा.

हिंदू धर्म सच्चे अर्थ में समावेशी हैं : धनखड़

इसके साथ ही उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि भारतीय संविधान की प्रस्तावना सनातन धर्म के सार को दर्शाती है. हिंदू धर्म सच्चे अर्थ में समावेशी है. यह पृथ्वी पर सभी जीवों का ध्यान रखता है. दूसरों की सेवा में जीवन बिताना हमारी भारतीय संस्कृति का सार और मूलमंत्र है. आज भी सेवा का भाव हिंदू समाज में प्रबल रूप से विद्यमान है.

उन्‍होंने कहा कि भारतीय समाज अपनी परवाह किए बिना संकट में दूसरों का सहारा बनता है.

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