November 25, 2024
संबंधों में गतिरोध के बीच कनाडा ने बदले सुर, भारत की क्षेत्रीय अखंडता को अपने समर्थन की पुष्टि की

संबंधों में गतिरोध के बीच कनाडा ने बदले सुर, भारत की क्षेत्रीय अखंडता को अपने समर्थन की पुष्टि की​

कनाडा (Canada) ने कहा है कि भारत (India) की क्षेत्रीय अखंडता पर उसका रुख स्पष्ट है. पिछले साल राष्ट्रपति जस्टिन ट्रूडो (Justin Trudeau) द्वारा हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय सरकारी एजेंटों की "संभावित" संलिप्तता के आरोपों को लेकर दोनों देशों के बीच पैदा हुई दरार के बाद यह पहला ऐसा बयान है जिसमें भारत का समर्थन किया गया है. भारत के मोस्ट वांटेड आतंकवादियों में से एक निज्जर भी एक कनाडाई नागरिक था.

कनाडा (Canada) ने कहा है कि भारत (India) की क्षेत्रीय अखंडता पर उसका रुख स्पष्ट है. पिछले साल राष्ट्रपति जस्टिन ट्रूडो (Justin Trudeau) द्वारा हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय सरकारी एजेंटों की “संभावित” संलिप्तता के आरोपों को लेकर दोनों देशों के बीच पैदा हुई दरार के बाद यह पहला ऐसा बयान है जिसमें भारत का समर्थन किया गया है. भारत के मोस्ट वांटेड आतंकवादियों में से एक निज्जर भी एक कनाडाई नागरिक था.

कनाडा (Canada) ने कहा है कि भारत (India) की क्षेत्रीय अखंडता पर उसका रुख स्पष्ट है. पिछले साल राष्ट्रपति जस्टिन ट्रूडो (Justin Trudeau) द्वारा हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय सरकारी एजेंटों की “संभावित” संलिप्तता के आरोपों को लेकर दोनों देशों के बीच पैदा हुई दरार के बाद यह पहला ऐसा बयान है जिसमें भारत का समर्थन किया गया है. भारत के मोस्ट वांटेड आतंकवादियों में से एक निज्जर भी एक कनाडाई नागरिक था.

वीकेंड में ओटावा में फॉरेन इंटरफिएरेंस कमीशन के सामने उपस्थित होकर कनाडा के विदेश मामलों के उप मंत्री डेविड मॉरिसन ने कहा, “कनाडा की नीति बहुत स्पष्ट है कि भारत की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए. भारत एक है, और यह बहुत स्पष्ट कर दिया गया है.”

कनाडा में रहने वाले खालिस्तान समर्थक तत्वों की गतिविधियों के बारे में उन्होंने कहा कि यह “भयानक है लेकिन वैध है.” ऐसी चीजें हैं जिन्हें “हम में से बहुत से लोग नहीं देखना चाहते” लेकिन वे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के तहत संरक्षित हैं.

हालांकि, वन इंडिया के बारे में घोषणा का उद्देश्य खालिस्तानियों के रुख पर ओटावा की स्थिति को स्पष्ट करना था, जिनमें से कई कनाडाई नागरिक हैं. इस टिप्पणी को भारत-कनाडा के बिगड़े संबंधों को बेहतर बनाने के संकेत के रूप में भी देखा जा रहा है.

भारत के लोकसभा चुनाव के बाद से कनाडा का रुख बदल गया

कनाडा इस साल की शुरुआत में हुए लोकसभा चुनाव और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ऐतिहासिक तीसरे कार्यकाल के लिए चुने जाने के बाद से ही भारत को अपने सकारात्मक संकेत भेज रहा है.

जस्टिन ट्रूडो ने कहा था कि भारत के साथ अब “राष्ट्रीय सुरक्षा और कनाडाई लोगों की सुरक्षा तथा कानून के शासन से जुड़े कुछ बहुत गंभीर मुद्दों” पर बातचीत फिर से शुरू हो सकती है.

पिछले साल, भारत ने ट्रूडो के आरोपों को “बेतुका” और “प्रेरित” बताकर खारिज कर दिया था और कनाडा के खालिस्तान समर्थक सिखों का केंद्र बनने पर चिंता जताई थी. कनाडा ने इसे स्वीकार नहीं किया था. ट्रूडो ने कहा था कि कनाडा हमेशा “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता… विवेक और शांतिपूर्ण विरोध की रक्षा करेगा.” उन्होंने बाद में संशोधन करते हुए कहा था कि कनाडा हिंसा को भी रोकेगा और घृणा के खिलाफ आवाज उठाएगा.

भारत ने मौन का जवाब मेमोरियल सर्विस से दिया

इसके बाद द्विपक्षीय संबंधों में गिरावट आई और दोनों देशों के बीच व्यापार को लेकर बातचीत पटरी से उतर गई. इस साल जून में कनाडाई संसद ने निज्जर की याद में मौन रखा था. भारत ने 1985 में खालिस्तानी आतंकवादियों द्वारा एयर इंडिया के विमान पर बमबारी के 329 मृतकों को श्रद्धांजलि देने के लिए वैंकूवर में एक मेमोरियल सर्विस के साथ प्रतिक्रिया व्यक्त की थी.

प्रतिबंधित खालिस्तान टाइगर फोर्स के प्रमुख 45 साल के हरदीप सिंह निज्जर की पिछले साल 18 जून को सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर दो अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी.

इस मामले में कनाडा ने अपनी जांच के दौरान चार भारतीय नागरिकों को गिरफ्तार किया है. भारत ने कहा था कि “राजनीतिक हित काम कर रहे हैं.” भारत ने यह भी दोहराया था कि देश में अलगाववादियों को राजनीतिक स्थान दिया गया है.

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