बचपन में हुए हादसे के बाद भी आमिर हुसैन लोन ने अपना सपना नहीं छोड़ा. हाथ खोने के बाद उन्होंने बैट को पकड़ने की अलग स्टाइल अपनाई. हुसैन बैट को अपने कंधे और गले की बीच फंसाकर फिर शॉट लगाते हैं. वे पैर की उंगलियों के बीच बॉल फंसाकर स्पिन बॉलिंग भी कर लेते हैं.
जम्मू-कश्मीर के पैरा क्रिकेटर आमिर हुसैन लोन ने अपना सपना पूरा करने में मदद के लिए अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी और अदाणी फाउंडेशन का शुक्रिया अदा किया है. वो अनंतनाग के वाघामा-बिजबेहारा में एक इनडोर क्रिकेट एकेडमी बनना चाहते हैं, ताकि मुफ्त में गरीब युवाओं को क्रिकेट की ट्रेनिंग दी जा सके. गरीब युवाओं के सपनों को पूरा करने की इनकी कोशिश में अदाणी फाउंडेशन ने इनडोर क्रिकेट एकेडमी बनाने के लिए 67 लाख 60 हजार रुपये का योगदान दिया है.
NDTV से इंटरव्यू में पैरा क्रिकेटर आमिर हुसैन
लोन ने कहा, “अदाणी फाउंडेशन की मदद की वजह से आज न सिर्फ मेरा, बल्कि मेरे जैसे कई युवाओं का सपना साकार होने जा रहा है. सर्दियों में कश्मीर में बहुत बर्फबारी होती है. ऐसे में प्रैक्टिस करने में तमाम दिक्कतें आती हैं. इसलिए इनडोर स्टेडियम बनेगा, तो युवाओं को क्रिकेट की प्रैक्टिस करने में आसानी होगी.”
8 साल में एक हादसे में खो दिए दोनों हाथ
दिव्यांग क्रिकेटर आमिर जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में बिजबेहरा के वाघामा के रहने वाले हैं. वो जम्मू-कश्मीर पैरा क्रिकेट टीम के कप्तान हैं. वो 2013 से पेशेवर क्रिकेट खेल रहे हैं. आमिर जब 8 साल के थे, तो अपने पिता की मिल में एक हादसे का शिकार हो गए थे. इस हादसे में उन्होंने दोनों हाथ खो दिए थे. वह 2013 से पेशेवर रूप से क्रिकेट खेल रहे हैं. उनके टीचर ने उनमें क्रिकेट प्रतिभा की खोज की और उन्हें पैरा क्रिकेट से परिचित कराया था. वह अपने पैरों का इस्तेमाल करके बॉलिंग भी करते हैं.
खास स्टाइल में सीखी बॉलिंग और बैंटिंग
बचपन में हुए हादसे के बाद भी आमिर हुसैन ने अपना सपना नहीं छोड़ा. हाथ खोने के बाद उन्होंने बैट को पकड़ने की अलग स्टाइल अपनाई. हुसैन बैट को अपने कंधे और गले की बीच फंसाकर फिर शॉट लगाते हैं. वे पैर की उंगलियों के बीच बॉल फंसाकर स्पिन बॉलिंग भी कर लेते हैं.
2013 में मिला पहला ब्रेक
2013 में मिला ब्रेक हुसैन के टैलेंट को देखते हुए 2013 में उन्हें जम्मू-कश्मीर की पारा क्रिकेट टीम में शामिल किया गया. जल्द ही वे इस टीम का कप्तान भी बन गए. 2014 में वहां आई बाढ़ के कारण वे करीब एक साल तक खेल से दूर रहे. 2015 में इंटर स्टेट पारा टूर्नामेंट में उन्होंने फिर वापसी की और टीम को चैंपियन बनाया.
आमिर हुसैन का मानना है कि जम्मू-कश्मीर के युवाओं के पास क्रिकेट में अद्भुत प्रतिभा है, लेकिन वे गरीब परिवारों से हैं. लिहाजा क्रिकेट ट्रेनिंग हासिल करने के लिए कहीं भी नहीं जा सकते हैं.
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