November 21, 2024
सरकार ने मणिपुर के जिरीबाम समेत छह पुलिस थानों में फिर से Afspa लगाया

सरकार ने मणिपुर के जिरीबाम समेत छह पुलिस थानों में फिर से AFSPA लगाया​

अफस्पा को पुनः लागू करने संबंधी केंद्र सरकार की अधिसूचना उसी दिन आई जिस दिन मणिपुर पुलिस ने मणिपुर के जिरीबाम और चुराचांदपुर जिलों से हथियारों और गोला-बारूद का जखीरा जब्त करने की जानकारी की.

अफस्पा को पुनः लागू करने संबंधी केंद्र सरकार की अधिसूचना उसी दिन आई जिस दिन मणिपुर पुलिस ने मणिपुर के जिरीबाम और चुराचांदपुर जिलों से हथियारों और गोला-बारूद का जखीरा जब्त करने की जानकारी की.

केंद्र ने मणिपुर के हिंसा प्रभावित जिरीबाम सहित छह पुलिस थाना क्षेत्रों में सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (अफस्पा) को पुनः लागू कर दिया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा कि यह निर्णय वहां जारी जातीय हिंसा के कारण “लगातार अस्थिर स्थिति” को देखते हुए लिया गया है.

अफस्पा को पुनः लागू करने संबंधी केंद्र सरकार की अधिसूचना उसी दिन आई जिस दिन मणिपुर पुलिस ने मणिपुर के जिरीबाम और चुराचांदपुर जिलों से हथियारों और गोला-बारूद का जखीरा जब्त करने की जानकारी की.

पुलिस ने एक बयान में कहा कि बुधवार को जिरीबाम जिले के चंपानगर, नारायणपुर और थांगबोइपुंजरे इलाकों में घेराबंदी और तलाशी अभियान के दौरान 2 इंच का एक मोर्टार, 36 बैरल कारतूस और पांच बैरल कारतूस के खोल जब्त किए गए.

पुलिस के बयान में यह भी कहा गया है कि एक .303 राइफल, 9 मिमी की एक पिस्तौल, दो कम दूरी की स्थानीय रूप से निर्मित तोप, दो लंबी दूरी की स्थानीय रूप से निर्मित तोप, पांच एके 47 कारतूस, 9 मिमी के दो कारतूर, चार 12-बोर कार्ट केस और .303 राइफल के 18 संशोधित कारतूस भी चुराचांदपुर जिले के एच कोटलियान गांव से जब्त किए गए.

सशस्त्र बलों के संचालन को सुविधाजनक बनाने के लिए अफस्पा के तहत किसी क्षेत्र या जिले को “अशांत” के रूप में अधिसूचित किया जाता है. अफस्पा अशांत क्षेत्रों में काम करने वाले सशस्त्र बलों को तलाशी लेने, गिरफ्तार करने और गोलीबारी करने के व्यापक अधिकार देता है, अगर वे इसे “सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने” के लिए आवश्यक समझते हैं.

जिन पुलिस थाना क्षेत्रों में अफस्पा को फिर से लागू किया गया है, वे हैं इंफाल पश्चिम जिले में सेकमाई और लमसांग, इंफाल पूर्वी जिले में लमलाई, जिरीबाम जिले में जिरीबाम, कांगपोकपी में लीमाखोंग और बिष्णुपुर में मोइरांग.

यह ताजा आदेश मणिपुर सरकार द्वारा एक अक्टूबर को इन छह पुलिस थानों समेत 19 थाना क्षेत्रों को छोड़कर पूरे राज्य में अफस्पा लागू करने के बाद आया है.

मणिपुर सरकार के एक अक्टूबर के अफस्पा लगाने के आदेश से बाहर रहे पुलिस थानों में इंफाल, लाम्फाल, सिटी, सिंगजामेई, सेकमाई, लैमसांग, पाटसोई, वांगोई, पोरोम्पैट, हेइनगांग, लामलाई, इरिलबंग, लीमाखोंग, थौबल, बिष्णुपुर, नामबोल, मोइरंग, काकचिंग और जिरीबाम शामिल थे.

मणिपुर के जिरीबाम जिले में सोमवार को सैनिकों जैसी वर्दी पहने और अत्याधुनिक हथियारों से लैस उग्रवादियों द्वारा एक पुलिस थाने और निकटवर्ती सीआरपीएफ शिविर पर अंधाधुंध गोलीबारी की गयी. इसके बाद सुरक्षा बलों के साथ भीषण मुठभेड़ में 11 संदिग्ध उग्रवादी मारे गए.

एक दिन बाद, उसी जिले से सशस्त्र आतंकवादियों ने महिलाओं और बच्चों सहित छह नागरिकों का अपहरण कर लिया.

बृहस्पतिवार को भी इंफाल घाटी में स्कूल और कॉलेज के छात्रों ने कथित अपहरण के विरोध में अपने-अपने शैक्षणिक संस्थानों के बाहर मानव श्रृंखलाएं बनाईं.

काले झंडे और काले बिल्ले पहने छात्रों ने नारे लगाए और छह लोगों की तत्काल सुरक्षित रिहाई की मांग की तथा केंद्र और राज्य सरकारों से कार्रवाई की मांग की. इस कार्यक्रम का आयोजन मेइती समुदाय के संगठन सीओसीओएमआई स्टूडेंट्स फ्रंट ने किया था.

पिछले वर्ष मई से इंफाल घाटी स्थित मेइती और समीपवर्ती पहाड़ियों पर स्थित कुकी-जो समूहों के बीच जातीय हिंसा में 200 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं.

जातीय रूप से विविधतापूर्ण जिरीबाम, जो इंफाल घाटी और आसपास की पहाड़ियों में हुए संघर्षों से काफी हद तक अछूता रहा है, इस साल जून में एक खेत में एक किसान का क्षत-विक्षत शव मिलने के बाद हिंसा का गवाह बना.

अशांत क्षेत्र घोषणा पूरे मणिपुर (इम्फाल नगरपालिका क्षेत्र को छोड़कर) में 2004 से 2022 के शुरुआती महीनों तक लागू थी.

अप्रैल 2022 में, मणिपुर सरकार ने एक अधिसूचना जारी की जिसमें कहा गया कि अब इंफाल पश्चिम जिले के सात पुलिस थाना क्षेत्रों, इंफाल पूर्व जिले के अंतर्गत चार पुलिस थाना क्षेत्रों और थौबल, बिष्णुपुर, काकचिंग और जिरीबाम जिलों के एक-एक पुलिस थाना क्षेत्रों को अशांत क्षेत्र नहीं माना जाएगा.

मणिपुरी कार्यकर्ता इरोम चानू शर्मिला ने 9 अगस्त 2016 को भूख हड़ताल समाप्त करने से पहले 16 वर्षों तक भूख हड़ताल करके इस कानून के खिलाफ लड़ाई लड़ी.

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