सामने आया यीशु मसीह का असली नाम, वो नहीं है जो आप जानते हैं, जानिए कैसे हुआ खुलासा ?​

 बचपन से ही हम इन्हें यीशु मसीह के नाम से जानते हैं. हालांकि न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट में इनको येशु नाजरेन बताया गया है. अंग्रेजी, यहूदियों की भाषा ना होने के बावजूद शुरू से ही यीशु मसीह के असली नाम पर बड़ी बहस चलती आई है.

Jesus Christ Real Name: यीशु मसीह क्रिश्चियन कम्युनिटी के भगवान हैं और भारत में भी इनकी बहुत मान्यता है. भारत में जगह-जगह पर चर्च हैं, जहां उनकी प्रार्थना की जाती है. बचपन से ही हम इन्हें यीशु मसीह के नाम से जानते हैं. हालांकि न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट में इनको येशु नाजरेन बताया गया है. अंग्रेजी, यहूदियों की भाषा ना होने के बावजूद शुरू से ही यीशु मसीह के असली नाम पर बड़ी बहस चलती आई है. रोमन साम्राज्य में यीशु और उनके शिष्यों के लिए जाना जाता है. वहीं, कहा जाता है कि इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि यीशु ने अरेमिक भाषा (Aramaic) में बातचीत की होगी, जो उनके असली नाम के पीछे का कारण बता सकती है. आइए जानते हैं आखिर क्या है यीशु मसीह का असली नाम?

क्या है कहते हैं पुराने दस्तावेज ? (What is Jesus Christ Real Name)
गलील क्षेत्र के पुराने पपीरस दस्तावेजों से पता चलता है कि अरेमिक यहूदी आबादी के बीच आम भाषा थी. गलील के क्षेत्रों में ही यीशु मसीह पले बड़े हैं. वहीं, गॉस्पेल के शुरुआती यूनानी ट्रांसलेटर्स ने भी ईश्वर के पुत्र (यीशु) को अरेमिक भाषा में कुछ बातें कहते हुए पाया था. सबसे अहम बात तो यह है कि उस समय में जीसस (Jesus) का जे (J)अस्तित्व में ही नहीं था. बताया गया है कि ‘जे’ का पहला लिखित प्रमाण ही यीशु की मृत्यु के 1500 साल बाद मिला है. इससे पहले यह शब्द न दिखाई दिया और ना ही सुनाई दिया. इसी के साथ जीसस के साथ लगने वाला सरनेम क्राइस्ट भी कोई सरनेम नहीं है, बल्कि यह तो एक उपाधि है, जिसका मतलब है ‘ईश्वर का अभिषिक्त’.

क्या है यीशु मसीह के नाम का इतिहास ?  (History Behind Jesus Christ Name)
इस सिद्धांत को मानें तो यीशु, प्रभु और उद्धारकर्ता येशुआ के नाम से मशहूर थे, जो उस समय गलील में दो सबसे आम नाम हुआ करते थे. वहीं, प्राचीन अरेमिक भाषा के अनुसार, उस समय उनका पूरा नाम येशु नारजेन रहा होगा. क्योंकि पूरी बाइबल में यीशु को नाजरेथ के यीशु या ‘नाजरीन के यीशु के रूप में उल्लेखित किया गया है. क्रोएशिया में जाग्रेब विश्वविद्यालय के इतिहासकार डॉ मार्को मरीना के हवाले से कहा गया था, प्राचीन समय में अधिकांश लोगों के उपनाम नहीं हुआ करते थे और उनकी पहचान उनके पेरेंट्स, मूल स्थान और अन्य अलग-अलग नामों से होती थी.

येशु नारजेन, नाजरेथ के यीशु कैसे बने? (How did Yeshu Narazene become Jesus of Nazareth?)
अब सवाल उठता है कि अगर मसीहा का असली नाम येशु नारजेन था, तो वह यीशु मसीह कैसे बने? दरअसल, इसका जवाब पुरानी भाषा की ध्वनि का अन्य भाषाओं में ट्रांसलेट करने में छिपा है. एक्सपर्ट्स की मानें तो, जब न्यू टेस्टामेंट का ग्रीक में ट्रांसलेट हुआ तो विद्वानों ने अरेमिक नाम को मिलाने की कोशिश की, लेकिन बोलने (Sound) के दौरान बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा. इसलिए एक विकल्प चुना गया और येशुआ को ‘लेसोस’ (lesous) के रूप में लिपि में उतारा गया.

क्या है यीशु मसीह का असली नाम ? (Jesus Christ’s Real Name Revealed)
वहीं, जब नए नियम का लैटिन भाषा में अनुवाद किया गया, तो ‘लेसोस’ (lesous) को ‘लेसस’ (Lesus) किया गया. वहीं, 17वीं शताब्दी तक, जब ‘जे’ ध्वनि प्रचलन में आई तो ‘लेसस’ को ‘जीसस’ में बदल दिया गया. इसके बाद लोगों को लेसस से ज्यादा कंफर्ट जीसस लगने लगा और यही इनका आधुनिक नाम बन गया. अगर आप यीशु के नाम से आश्चर्यचकित है, तो आपको यह भी बता दें कि उनका जन्म 25 दिसंबर को नहीं हुआ था. दरअसल, पोप जूलियस प्रथम ने चौथी शताब्दी में इस तारीख को चुना था, ताकि यह बुतपरस्त सैटर्नलिया त्योहार (Pagan Saturnalia festival) और यीशू का दिन एक ही समय पर पड़े.

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