March 12, 2025
सुरंग में कैद पूरी ट्रेन! पाक में कहां कैसे हुई जाफर एक्सप्रेस हाइजैक, नक्शे से समझिए

सुरंग में कैद पूरी ट्रेन! पाक में कहां कैसे हुई जाफर एक्सप्रेस हाइजैक, नक्शे से समझिए​

अब-ए-गम बलूचिस्तान प्रांत में स्थित एक छोटा सा कस्बा है, जो क्वेटा से लगभग 70 किलोमीटर दूर है. इसी जगह पर ट्रेन को बंधक बनाया गया है.

अब-ए-गम बलूचिस्तान प्रांत में स्थित एक छोटा सा कस्बा है, जो क्वेटा से लगभग 70 किलोमीटर दूर है. इसी जगह पर ट्रेन को बंधक बनाया गया है.

पाकिस्तान में क्वेटा से पेशावर जा रही जाफर एक्सप्रेस को बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) के विद्रोहियों ने हाइजैक कर लिया है . इस ट्रेन पर सैकड़ों की संख्या में यात्री सवार हैं. एक बयान में बीएलए ने हमले की जिम्मेदारी ली है और कहा है कि उन्होंने ट्रेन से सुरक्षा बलों सहित लोगों को बंधक बना लिया है. आइए जानते हैं वो कौन सा जगह है जहां उग्रवादियों ने ट्रेन को बंधक बनाया है.

जाफ़र एक्सप्रेस ट्रेन क्वेटा से रावलपिंडी होते हुए पेशावर तक जाती है. क्वेटा रेलवे स्टेशन से ट्रेन का प्रस्थान समय सुबह 09 बजे है और यह अगले दिन शाम 7 बजे पेशावर रेलवे स्टेशन पर पहुंचती है. ट्रेन को एब-ए-गम नामक जगह पर हाइजैक कर लिया गया. मैप में देख सकते हैं वो कौन सा लोकेशन है जहां ट्रेन को बंधक बनाया गया है.

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घटना का स्थान: अब-ए-गम कहां है?
अब-ए-गम बलूचिस्तान प्रांत में स्थित एक छोटा सा कस्बा है, जो क्वेटा से लगभग 70 किलोमीटर दूर है. यह कस्बा जाफर एक्सप्रेस के रूट पर कोलपुर और माछ स्टेशनों के बाद आता है. यह क्षेत्र अपने पहाड़ी इलाकों और दुर्गम रास्तों के लिए जाना जाता है. मैप पर देखें तो अब-ए-गम क्वेटा-पेशावर रेल मार्ग पर एक महत्वपूर्ण जगह मानी जाती है.

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  • ट्रेन को एब-ए-गम नामक जगह पर हाईजैक कर लिया गया है.
  • अब-ए-गम बलूचिस्तान प्रांत में स्थित एक छोटा सा कस्बा है.
  • जाफर एक्सप्रेस पाकिस्तान क्वेटा से पेशावर तक 34 घंटे का सफर तय करती है.
  • बलूच विद्रोही पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में सक्रिय सशस्त्र समूह हैं.

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अब-ए-गम” का अर्थ फारसी में गायब पानी या खोया हुआ पानी होता है, जो संभवतः इस क्षेत्र की शुष्क जलवायु और पानी की कमी होता है. यह इलाका पहाड़ी और रेगिस्तानी इलाका माना जाता है. जाफर एक्सप्रेस का रूट, जिसमें अब-ए-गम एक स्टेशन है, बोलान दर्रे के समानांतर चलता है. बोलान नदी इस दर्रे में बहती है.

जाफर एक्सप्रेस का क्या है रुट यहां समझिए
जाफर एक्सप्रेस पाकिस्तान क्वेटा से पेशावर तक 34 घंटे का सफर तय करती है. यह ट्रेन सुबह 9 बजे क्वेटा से चलती है. अगले दिन शाम 7 बजे पेशावर कैंट स्टेशन पर पहुंचती है. अपने इस लंबे सफर में यह कुल 40 स्टेशनों पर रुकती है. इसका रूट इस प्रकार है: क्वेटा, कोलपुर, माछ, अब-ए-गम, सिबी, बख्तियाराबाद, डेरा मुराद जमाली, डेरा अल्लाह यार, जैकोबाबाद, शिकारपुर, सख्खर, रोहड़ी, पानो अकील, घोटकी, सादिकाबाद, रहीम यार खान, खानपुर, बहावलपुर, मुल्तान कैंट, खानेवाल, मियां चन्नू, चिचावतनी, साहीवाल, ओकारा, पत्तोकी, रायविण्ड, कोट लखपत, लाहौर कैंट, लाहौर जंक्शन, गुज्रांवाला, वजीराबाद जंक्शन, गुजरात, लाला मूसा जंक्शन, खारियां, झेलम, गुजर खान, रावलपिंडी, अटक सिटी जंक्शन, जहांगीरा रोड, नौशेरा जंक्शन, पेशावर सिटी और अंत में पेशावर कैंट पहुंचती है.

पाकिस्तान सरकार का क्या कहना है?
बलूचिस्तान सरकार के प्रवक्ता शाहिद रिंद ने एक बयान में कहा कि क्वेटा से पेशावर जा रही जाफर एक्सप्रेस पर पेहरो कुनरी और गदालार के बीच भीषण गोलीबारी की खबरें हैं. इस बीच, रेलवे नियंत्रक मुहम्मद काशिफ ने कहा कि नौ डिब्बों वाली इस ट्रेन में करीब 500 यात्री सवार थे. नियंत्रक के मुताबिक ट्रेन को सुरंग संख्या 8 में हथियारबंद लोगों ने रोक दिया. यात्रियों और कर्मचारियों से संपर्क करने के प्रयास किए जा रहे हैं.

कौन हैं बलूच विद्रोही?
बलूच विद्रोही पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में सक्रिय सशस्त्र समूह हैं, जो बलूच लोगों की स्वायत्तता या पूर्ण आजादी की मांग करते हैं. इनका सबसे प्रमुख संगठन बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) है. ये संगठन 2000 के दशक से सरकार और सेना के खिलाफ लगातार संघर्ष कर रहा है. बलूचिस्तान प्राकृतिक संसाधनों जैसे गैस, तांबा और सोने से समृद्ध है, लेकिन बलूच लोगों का आरोप है कि पाकिस्तान सरकार इनका शोषण करती है और उन्हें विकास से वंचित रखती है. बलूचिस्तान में विद्रोह की शुरुआत 1947 में पाकिस्तान के गठन से शुरू हुई थी. जब बलूच नेताओं ने विलय का विरोध किया था. 1948 में इस हिस्से में व्यापक स्तर पर विद्रोह हुई थी.

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बलूचिस्तान में पिछले एक साल में आतंकवादी हमलों में तेज़ी देखी गई है. नवंबर 2024 में, क्वेटा रेलवे स्टेशन पर हुए आत्मघाती विस्फोट में कम से कम 26 लोग मारे गए थे और 62 घायल हो गए थे. पिछले हफ़्ते, प्रांतीय सरकार ने हाल ही में हुए आतंकवादी हमलों और अन्य हिंसक घटनाओं को देखते हुए बलूचिस्तान में कानून और व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा की थी और स्थिति से निपटने के लिए कई फैसले किए थे.

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