शपथ में उद्धव ठाकरे नहीं आए. शरद पवार नहीं आए. उमर अब्दुल्ला भी नजर नहीं आए. झारखंड के साथ ही महाराष्ट्र में चुनाव हुए थे. वहां महायुति जीती. इस राज्य में कांग्रेस की स्थिति बेहद खराब रही. कह सकते हैं कि शरद पवार और उद्धव ठाकरे को कांग्रेस ने बड़ा नुकसान किया.
झारखंड में हेमंत सोरेन ने चौथी बार शपथ ली. शपथ के समय इंडिया गठबंधन के कई नेता मंच पर नजर आए. इनमें राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे, ममता बनर्जी, तेजस्वी यादव, केजरीवाल, उदयनिधि स्टालिन, अखिलेश यादव थे. इस तस्वीर को देखकर इंडिया गठबंधन में एकता का भ्रम पैदा होता है. लेकिन शपथ ग्रहण की तस्वीरों से कुछ और सच्चाई भी निकलकर आती है. शपथ में जो आए, वो सबको दिखे, लेकिन सवाल ये है कि कौन नहीं दिखा और उसका मतलब क्या है?
कोई और मंत्री शपथ लेता नहीं दिखा
हेमंत सोरेन ने अकेले शपथ ली. सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस जिसे मंत्री बनाना चाहती थी, वो हेमंत सोरेन को मंजूर नहीं था. जिन 16 सीटों पर कांग्रेस जीती है, वहां से मंत्रिमंडल में किसे लें, ये समस्या है. कई सीटों पर झारखंड मुक्ति मोर्चा से भी कैबिनेट में दावेदारी है और कांग्रेस की भी. ये हाल तब है जब ये जीत कांग्रेस की कम और झारखंड मुक्ति मोर्चा की ज्यादा है. झारखंड में चुनाव इंडिया गठबंधन ने जीता है, ये ऊपर से लग सकता है. लेकिन सच ये है कि झारखंड में कांग्रेस के लिए भी हेमंत सोरेन ही सहारा बने. जिस कांग्रेस ने INDIA गठबंधन का लीडर बनने की कोशिश की, वो पिछले चुनाव से एक सीट भी ज्यादा नहीं जीत पाई.
नहीं दिखे उद्धव और शरद
शपथ में उद्धव ठाकरे नहीं आए. शरद पवार नहीं आए. उमर अब्दुल्ला भी नजर नहीं आए. झारखंड के साथ ही महाराष्ट्र में चुनाव हुए थे. वहां महायुति जीती. इस राज्य में कांग्रेस की स्थिति बेहद खराब रही. कह सकते हैं कि शरद पवार और उद्धव ठाकरे को कांग्रेस ने बड़ा नुकसान किया. जिन सीटों पर राज्य में बीजेपी और कांग्रेस की सीधी लड़ाई हुई, वहां कांग्रेस फिसड्डी साबित हुई. सवाल ये है कि क्या कांग्रेस और महाराष्ट्र में उसके सहयोगियों के बीच सबकुछ सही चल रहा है?
थोड़ा और पीछे
कांग्रेस की सिर्फ सत्ता वाली यही राजनीति थी जिसके कारण INDIA गठबंधन से नीतीश कुमार अलग हो गए. वही नीतीश कुमार जिन्होंने INDIA का आइडिया दिया था. लेकिन बाद में कांग्रेस की जिद पर खरगे को इसका संयोजक बना दिया गया. नीतीश ने INDIA गठबंधन से अलग होते समय कहा भी कि कांग्रेस ने गठबंधन को मजबूत बनाने में रुची नहीं दिखाई. नीतीश के बाहर जाने का नतीजा ये हुआ कि लोकसभा चुनाव के बाद जब बीजेपी को बहुमत जुटाने लायक नंबर चाहिए था तो उसके काम आए नीतीश और नायडू.
कांग्रेस की जिद, पूरे गठबंधन को डुबा रही?
कांग्रेस का अटपटा रवैया INDIA गठबंधन के दूसरे सहयोगियों को लगातार परेशान करता है. कांग्रेस लगातार ऐसे मुद्दों को पकड़ बैठ जाती है, जिसमें वोटर की रुचि नहीं. अदाणी के खिलाफ अभियान का मुद्दा ऐसा ही मुद्दा. कई चुनावों में कांग्रेस ने इसे एक अहम मुद्दा बनाया, लेकिन इन सारी जगहों पर उसे हार मिली. लेकिन कांग्रेस कुछ सीखने को तैयार नहीं. इन दिनों कांग्रेस अदाणी पर रिश्वत के कथित मुद्दे पर संसद में गतिरोध पैदा कर रही है. इस बीच उसकी सहयोगी पार्टी टीएमसी ने इस मुद्दे से किनारा कर लिया है. टीएमसी ने कहा कि वो चाहती है कि संसद में दूसरे मुद्दे भी उठें, जनता के हित के मुद्दे उठें. अदाणी के चरित्र पर कांग्रेस सवाल उठा रही है, लेकिन INDIA गठबंधन की सहयोगी लेफ्ट ने केरल में अदाणी विड़िन्यम प्राइवेट लिमिटेड के साथ विड़िन्यम प्रोजेक्ट को पांच और बढ़ाने का करार कर लिया. साफ है कि कांग्रेस को इस मुद्दे पर उसके सहयोगियों ने ही अलग-थलग कर दिया है. शरद पवार पहले ही अदाणी के खिलाफ मुहिम पर असहमति जता चुके हैं. शायद यही सब कारण हैं कि कांग्रेस INDIA गठबंधन की कमजोर कड़ी बन गई है.
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