ईशा फाउंडेशन मामला: उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से शिकायतकर्ता की दोनों बेटियों से बात की है.
ईशा फाउंडेशन की जांच को लेकर मद्रास हाई कोर्ट के एक आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. सदगुरु की ओर से मुकुल रोहतगी सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए. बता दें कि मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के बाद पुलिस अधिकारियों की एक टीम ने आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव के कोयंबटूर स्थित ईशा योग केंद्र की तलाशी ली थी. अब इस मामले की अगली सुनवाई 18 अक्टूबर को होगी.
ईशा फाउंडेशन केस में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को दर्ज सभी आपराधिक मामलों का विवरण देने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि हम पुलिस को दिए गए हाई कोर्ट के निर्देशों पर रोक लगाते हैं. कोर्ट ने कहा कि ये धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे हैं और यह एक बहुत जरूरी और गंभीर मामला है. सद्गुरु हैं जो बहुत पूजनीय हैं. उनके लाखों अनुयायी हैं. उच्च न्यायालय मौखिक दावों पर ऐसी जांच शुरू नहीं कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से केस खुद को ट्रांसफर किया है.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान क्या-क्या हुआ?
क्या है पूरा मामला
कोयंबटूर के सेवानिवृत्त प्रोफेसर एस कामराज द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय की पीठ ने तमिलनाडु सरकार को आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन के खिलाफ दर्ज सभी आपराधिक मामलों का विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था. अपनी याचिका में कामराज ने आरोप लगाया कि उनकी दो बेटियों को कोयंबटूर के ईशा योग केंद्र में रहने के लिए गुमराह किया गया और फाउंडेशन ने उन्हें अपने परिवार के साथ कोई संपर्क नहीं बनाने दिया.
ईशा फाउंडेशन ने दिया यह जवाब
जवाब में, ईशा फाउंडेशन ने इस बात से इनकार किया कि वह ब्रह्मचारी बनने की वकालत करता है या लोगों से शादी करने के लिए कहता है, क्योंकि ये व्यक्तिगत पसंद हैं. फाउंडेशन ने यहां एक बयान में कहा, ‘‘ईशा फाउंडेशन की स्थापना सद्गुरु ने लोगों को योग और आध्यात्मिकता के मार्ग पर लाने के लिए की थी. हमारा मानना है कि वयस्क मनुष्यों के पास अपना रास्ता चुनने की स्वतंत्रता और समझ है.”
फाउंडेशन ने दावा किया कि याचिकाकर्ता और अन्य लोगों ने फाउंडेशन द्वारा बनाए जा रहे श्मशान घाट के बारे में जांच करने के लिए तथ्यान्वेषण समिति होने का झूठा बहाना बनाकर परिसर में जबरन घुसने की कोशिश की और उन्होंने फाउंडेशन के खिलाफ आपराधिक शिकायत भी दर्ज कराई है. उच्च न्यायालय ने पुलिस द्वारा अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने पर रोक लगा दी थी.
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