November 24, 2024
हरियाणा चुनाव : किन सीटों पर वोट प्रतिशत का बढ़ना या घटना डाल रहा है असर, समझें

हरियाणा चुनाव : किन सीटों पर वोट प्रतिशत का बढ़ना या घटना डाल रहा है असर, समझें​

हरियाणा में मतदान के बाद मत प्रतिशत भी एक एक महत्वपूर्म बिंदू होता है जो हार जीत के समीकरणों को बताने में मदद करता है. 1967 से लेकर 2019 तक के चुनावों को देखा जाए तो मत प्रतिशत के बढ़ने और घटने ने क्या असर डाला, इसे समझते हैं. इसमें जब 7 बार मत प्रतिशत चुनावों में बढ़ तब 5 बार सरकार बदली है और दो बार सरकार ने वापसी की है. वहीं, ऐसा 5 बार हुआ है जब मत प्रतिशत पिछले चुनाव की तुलना में गिरा, तब तीन बार सरकार बदली है और दो बार सरकार ने वापसी की है.

हरियाणा में मतदान के बाद मत प्रतिशत भी एक एक महत्वपूर्म बिंदू होता है जो हार जीत के समीकरणों को बताने में मदद करता है. 1967 से लेकर 2019 तक के चुनावों को देखा जाए तो मत प्रतिशत के बढ़ने और घटने ने क्या असर डाला, इसे समझते हैं. इसमें जब 7 बार मत प्रतिशत चुनावों में बढ़ तब 5 बार सरकार बदली है और दो बार सरकार ने वापसी की है. वहीं, ऐसा 5 बार हुआ है जब मत प्रतिशत पिछले चुनाव की तुलना में गिरा, तब तीन बार सरकार बदली है और दो बार सरकार ने वापसी की है.

Haryana election results: हरियाणा में मंगलवार को वोटों की गिनती होनी है और चुनाव परिणाम सभी के सामने होंगे. चुनाव परिणामों से पहले और वोटिंग के बीच का दौर एनालिसिस (Voting percentage changes analysis) का होता है. कौन सीएम बनेगा या फिर कौन कौन सीएम पद की रेस में हैं. एग्जिट पोल भी ऐसा ही एक अनुमान लगाने में मदद करते हैं. सही हो या गलत ये अलग बात है. जिस पार्टी को ज्यादा सीटें मिलती दिखती हैं उसके जीत के कारणों का आकलन किया जाता और जिस पार्टी को कम सीटें मिलती दिखती हैं उसके हार के कारणों की समीक्षा का दौर शुरू हो जाता है. इसे चुनाव परिणामों के साथ और गंभीरता से परखा जाता है ताकि भविष्य की रणनीति पर काम किया जा सके.

बीजेपी की सीटों का हाल

2019 के चुनाव में जहां पर बीजेपी जीती थी, वहां पर 22 सीटें ऐसी हैं जहां पर मत प्रतिशत बढ़ा है. इन सीटों में अंबाला, अंबाला सिटी, यमुनानगर, करनाल, घरौंदा, पानीपत ग्रामीण, पानीपत सिटी, गनौर, राय, हिसार, नलवा, लोहारू, भिवानी, बवानी खेरा, अटेली, नांगल चौधरी, कोसली, हाथिन, होडल, पलवल, बल्लभगढ़, फरीदाबाद सीटें शामिल हैं. वहीं, बीजेपी के पास 2019 में रहीं सीटें जिनमें इस बार मत प्रतिशत गिरा है उनमें जो सीटें शामिल हैं वह कुछ इस प्रकार है. पंचकुला, जगाधरी, थानेसर, पेहोवा, कलायत, कैथल, इंदरी, जींद, फतेहाबाद, रातिया, हांसी, नरनौल, बावल, पटौदी, गुरुग्राम, सोहना, बड़खल, टिगाऊं सीट शामिल है.

कांग्रेस की सीटों का हाल

अब बात कांग्रेस की करते हैं. 2019 की स्थिति के हिसाब से जिन कांग्रेस की सीटों पर मत प्रतिशत बढ़ा है वे 11 सीटें हैं. इसमें साधौरा, खरखौदा, कलनवाली, तोशाम, रोहतक, बहादुरगढ़, बादली, झज्जर, नूंह, फिरोजपुर झिरका, पुनहना सीटें हैं. कांग्रेस की जीतीं 2019 की सीटें जहां पर इस बार मत प्रतिशत घटा है वह करीब 20 सीटें हैं. इनमें कालका, नारायणगढ़, मुलाना, रादौर, लाडवा, असांध, इसराना, समालखा, सोनीपत, गोहाना, बरोदा, साफिदन, डबवाली, आदमपुर, गड़ी-सांपला-किलोई, कलानौर, बेरी, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, फरीदाबाद एनआईटी सीटें शामिल हैं.

कैसा रहा है मत प्रतिशत घटने-बढ़ने का असर (1967-2019 तक)
हरियाणा में मतदान के बाद मत प्रतिशत भी एक एक महत्वपूर्म बिंदू होता है जो हार जीत के समीकरणों को बताने में मदद करता है. 1967 से लेकर 2019 तक के चुनावों को देखा जाए तो मत प्रतिशत के बढ़ने और घटने ने क्या असर डाला, इसे समझते हैं. इसमें जब 7 बार मत प्रतिशत चुनावों में बढ़ तब 5 बार सरकार बदली है और दो बार सरकार ने वापसी की है. वहीं, ऐसा 5 बार हुआ है जब मत प्रतिशत पिछले चुनाव की तुलना में गिरा, तब तीन बार सरकार बदली है और दो बार सरकार ने वापसी की है.

दोनों ही प्रमुख दलों में डर क्यों

वोटिंग में मामूली गिरावट जो अभी दिख रही है, उससे दोनों ही प्रमुख दलों में डर भी है और खुशी भी. प्रमुख दल बीजेपी जहां इसे अपने पक्ष में बता रही है और वहीं कांग्रेस इसे अपने पक्ष में बता रही है. अमूमन यह कहा जाता है यदि वोट प्रतिशत यदि बढ़ा है तो लोग सरकार से नाराज़ और एंटी इनकंबेंसी एक फैक्टर होता है जो सरकार के खिलाफ जाता है. वैसे भी राज्य में बीजेपी पिछले 10 सालों से सत्ता में है और इस बार संभव है कि लोग बीजेपी से नाराज़ हों. वहीं, बीजेपी का दावा यह भी है कि वोटिंग जिन सीटों पर ज्यादा हुई है. वहां पर लोग सरकार के कामकाज से खुश हैं इसलिए मतदान ज्यादा हुआ है.

दोनों ही दलों के अपने-अपने तर्क

वहीं बात करें कांग्रेस की तो उनकी ओर से तर्क है कि लोग सरकार के कामकाज से नाखुश है और सत्ता परिवर्तन के लिए बढ़-चढ़कर मतदान कर रहे हैं. कांग्रेस पार्टी का यह भी तर्क है कि जिन सीटों पर मतदान कम हुआ है वहां पर सरकार से नाराज लोगों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया. यही कारण है कि दोनों ही दल अपने-अपने तर्कों के साथ जीत हार का दावा कर रहे हैं.

बीजेपी सरकार में मंत्री रहे लोगों की स्थिति कैसी

अब बात करते हैं उन कुछ सीटों की जहां पर मतदान का प्रतिशत बीजेपी और कांग्रेस दोनों को सता रहा है. बीजेपी सरकार में मंत्री रहे महिपाल ढांडा की पानीपत ग्रामीण सीट से बीजेपी के लिए बड़ी चिंता सामने आ रही है. इस सीट पर सबसे ज्यादा मत प्रतिशत गिरा है. आंकड़ों के हिसाब से अन्य मंत्री संजय सिंह की सीट सोहना पर केवल 0.46 प्रतिशत वोटिंग कम हुई है. गौरतलब है कि इस बार संजय सिंह को नूंह सीट से चुनाव लड़ाया गया था. इसके अलावा राज्यमंत्री रहे सुभाष सुधा की थानेसर सीट पर 2.13 प्रतिशथ कम वोटिंग हुई है. इसके साथ ही कंवरपाल गुर्जर की जगाधरी सीट पर भी वोटिंग कम हुई है. जेपी दलाल की सीट लोहारू पर ऐसा ही हाल रहा. कुछ और सीट जहां पर वोट प्रतिशत कम हुआ है उसमें पानीपत ग्रामीण, बावल, बड़खल, पिहोवा, नारनौल, सोहना, पंचकूला और कलायत सीटों पर भी मत प्रतिशत कम दिखाई दे रहा है. बीजेपी के हिसाब से देखा जाए तो सबसे ज्यादा 5.26 प्रतिशत रतिया में वोटिंग गिरी है.

कैसी रही कांग्रेस के निवर्तमान विधायकों की स्थिति

अब कुछ बात कांग्रेस के निवर्तमान विधायकों की सीटों पर कर लेते हैं. आंकड़े बताते हैं कि 31 सीटों में से 9 पर वोटिंग बढ़ी है, लेकिन इनमें झज्जर, बादली, पुन्हाना, रोहतक और कालांवाली सीटों पर वोटिंग एक प्रतिशत से भी कम बढ़ी है. हालांकि, कांग्रेस की जिन 2019 के चुनाव परिणाम के हिसाब से जिन सीटों पर वोटिंग घटी है, उसमें सबसे ज्यादा 14.5% की कमी कालका सीट पर दर्ज की गई. इसके अलावा 8.36 प्रतिशत की कमी खरखौदा सीट पर दिख रही है. सबसे बड़ी बात पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा की गढ़ी सांपला किलोई सीट पर 5.34 प्रतिशत की कम वोटिंग हुई है. हो सकता है कि कांग्रेस पार्टी के लिए यह चिंता का कारण बन जाए.

क्या था एनडीटीवी पोल ऑफ पोल्स और क्या आया परिणाम

आपको बता दें कि 2019 में एनडीटीवी के पोल ऑफ पोल्स में बीजेपी को 65 सीटें दिखाई गई थीं. कांग्रेस पार्टी को 15 सीटें और अन्य को 10 सीटें दिखाई गईं. वहीं वास्तविक परिणाम जब आया उसमें बीजेपी को 40 सीटें, कांग्रेस पार्टी को 31 सीटें, आईएनएलडी को 1 और अन्य को 18 सीटें दी गई थीं.

इस बार एनडीटीवी के पोल ऑफ पोल्स में बीजेपी को 26 , कांग्रेस+ को 55, JJP+ को 0, आईएनएलडी+ को 2, AAP को 0 और अन्य को 7 सीटें मिलने की उम्मीद जताई जा रही है. वास्तविक परिणाम कल वोटों की गिनती के बाद सामने आएंगे.

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