Tips For Healthy Heart: कोलेस्ट्रोल पर काबू रखने के साथ-साथ ही ये भी बहुत जरूरी है कि अपनी हाइट के अनुसार अपना वजन भी मेंटेन करके रखें, क्योंकि आपके पेट का डायमीटर भी आपके दिल की सेहत को मजबूत या कमजोर बना सकता है.
Weight According To Height: अक्सर लोग ये एडवाइस देते हैं कि हार्ट हेल्थ स्ट्रॉन्ग बनानी है तो कम तेल का खाना और कम मसालेदार खाना खाना चाहिए. कुछ लोग तो स्ट्रिक्टली सिर्फ घर का ही खाना खाने की सलाह देते हैं. ये एडवाइजरी बेमानी नहीं है. क्योंकि कोलेस्ट्रॉल का ज्यादा होना वाकई दिल के लिए बहुत नुकसानदायक और कई मायनों में घातक भी है. कोलेस्ट्रोल पर काबू रखने के साथ-साथ ही ये भी बहुत जरूरी है कि अपनी हाइट के अनुसार अपना वजन भी मेंटेन करके रखें. क्योंकि आपके पेट का डायमीटर भी आपके दिल की सेहत को मजबूत या कमजोर बना सकता है. एनडीटीवी ने पेट, कोलेस्ट्रोल, शुगर और बीपी से जुड़े कई मुद्दों पर पद्मभूषम से सम्मानित कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. टीएस क्लेर से चर्चा की.
कोलेस्ट्रोल का हार्ट हेल्थ पर असर | Cholesterol Effect On Heart Health
हार्ट हेल्थ के लिए मेजर रिस्क फैक्टर
डॉ. क्लेर के मुताबिक दिल की सेहत पर असर डालने वाले फेक्टर्स में कोलेस्ट्रॉल एक बड़ा फैक्टर है. इसके अलावा डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और स्मोकिंग की आदत से भी दिल पर असर पड़ता है. इसके अलावा एक और फैक्टर जो हार्ट हेल्थ पर असर डालता है. वो है एब्डोमिनल गर्थ यानी कि पेट की मोटाई. डॉ. क्लेर के मुताबिक पेट की मोटाई से भी ज्यादा बढ़ती है तो वो हार्ट हेल्थ पर आ रहे किसी खतरे का अलार्म हो सकती है.
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दिल में ब्लॉकेज
डॉ. क्लेर के मुताबिक किसी भी अंग को ब्लड सप्लाई करने वाली आर्टरी में ब्लोकेज आ सकता है. जिस अंग को खून सप्लाई करने वाली आर्टरी में ब्लोकेज आता है, उस अंग में कोई दिक्कत आ सकती है. मसलन अगर ब्रेन की आर्टरी में ब्लोकेज आता है तो उसे सेरिब्रल आर्टरी ब्लोकेज कहते हैं. इसी तरह ये आंख, पैर किसी भी अंग की आर्टरी में ब्लोकेज आ सकता है. दिल में ब्लोकेज आता है तो उसे कॉरनरी आर्टरी डिसीज कहते हैं. दिल के मामले में दिक्कत ये है कि ब्लोकेज आने पर स्थिति जानलेवा भी हो सकती है.
कोलेस्ट्रॉल के नुकसान
डॉ. क्लेर कहते हैं कि ये एक तरह का फैट ही है. अगर गुड कोलेस्ट्रॉल है तो वो शरीर के लिए काफी हद तक जरूरी होता है. बैड कोलेस्ट्रॉल यानी कि एलडीएल कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना नुकसानदायक हो सकता है. डॉ. क्लेर के मुताबिक कोलेस्ट्रोल का बढ़ना या घटना भी जींस पर निर्भर करता है. इसे ऐसे समझ सकते हैं कि अस्सी फीसदी जींस पर डिपेंड करता है और बीस फीसदी खानपान औऱ एक्सरसाइज पर डिपेंड करता है.
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फैमिली में भी अगर कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की हिस्ट्री है तो उसे काफी हद तक खानपान, एक्सरसाइज और लाइफस्टाइल से कंट्रोल किया जा सकता है.
डॉ. क्लेर के अनुसार नई रिकमेन्डेशन के अनुसार नॉर्मल लोगों का कोलेस्ट्रॉल सौ से नीचे रहना चाहिए. जिन्हें हार्ट की बीमारी है उन लोगों का कोलेस्ट्रॉल साठ से कम होना चाहिए.
जो लोग किसी हार्ट अटैक से गुजर चुके हैं या जिनके घर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की फैमिली हिस्ट्री है, डायबिटीज, बीपी या फिर स्मोकिंग की आदत उनका कोलेस्ट्रॉल पचास से कम होना चाहिए.
डायबिटीज में हार्ट अटैक का रिस्क
जिन लोगों को डायबिटीज होती है उन लोगों में हार्ट अटैक का या किसी भी तरह की हार्ट प्रॉब्लम का खतरा अस्सी फीसदी तक होता है. इसलिए शुगर और वेट पर कंट्रोल करना बहुत जरूरी है.
हाइट के अनुसार कितना वजन होना चाहिए?
डॉ. क्लेर के मुताबिक सही वेट जानने के लिए अपनी हाइट को सेमी में नापे और उसे सौ से घटा दें. मसलन हाइट अगर 166 है तो उसे सौ से माइनस कर दें. इस अनुसार 63 से 66 के बीच वजन होना हेल्दी वेट माना जाएगा.
डॉ. क्लेर के अनुसार एब्डोमिनल गर्थ भी ये इंडिकेशन है कि हार्ट हेल्थ पर कुछ बुरा असर पड़ रहा है. एब्डोमिनल गर्थ का मतलब है कि पेट का कुल डायमीटर. डॉ. क्लेर ने बताया कि मेल्स के लिए एब्डोमिनल गर्थ 95 सेमी से सही मानी जाती है और महिलाओं के लिए एब्डोमिनल गर्थ 85 सेमी ठीक मानी गई है.
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कैसे करें दिल की हिफाजत?
डॉ. क्लेर ने कहा कि ऐसी सभी परेशानियों से बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि एक्सरसाइज को अपनी रोज की आदत में शामिल किया जाए.
डॉ. क्लेर ने कहा कि पेट अगर ज्यादा बाहर निकला है यानी एब्डोमिनल गर्थ अगर निश्चित मापदंड से ज्यादा है तो पेट से जुड़ी एक्सरसाइज करना चाहिए. उन्होंने ये भी कहा कि पेट कम करना और वजन कम करना अलग अलग चीजें हैं. एब्डोमिनल गर्थ बढ़ने पर पेट कम करने की कोशिश शुरू कर देनी चाहिए. उन्होंने कपालभाती जैसी एक्सरसाइज को करने की सलाह दी है ताकि पेट एक निश्चित दायरे में रहे और दिल के रोगों का खतरा कम हो सके.
डॉ. क्लेर के मुताबिक हार्ट हेल्थ के लिए स्मोकिंग से दूर रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि इनएक्टिव स्मोकिंग भी शरीर के लिए नुकसानदायक है. इनएक्टिव स्मोकिंग का मतलब है कि अगर कोई और स्मोक कर रहा है तो उसके साथ समय बिताने वाले लोगों को भी उससे खतरा है. इसलिए स्मोकिंग के साथ साथ इनएक्टिव स्मोकिंग भी अवॉइड करना चाहिए.
जिन लोगों को शुगर है उन की तीन महीने की एवरेज शुगर छह से सात के बीच ही रहना चाहिए.
इसी तरह ब्लड प्रेशर के लिए भी मापदंड तय हैं. डॉ. क्लेर ने बताया कि ब्लड प्रेशर की समस्या जिन लोगों को हैं उन्हें अपना ब्लड प्रेशर 130-80 के बीच ही रखना चाहिए. इसके लिए जरूरी है कि वो कम से कम नमक का सेवन करें. ताकि बीपी कंट्रोल में रख सकें.
Video: Heart Attack: युवाओं में बढ़ रहे हैं हार्ट अटैक के मामले, Cardiologist से समझिए इससे बचने के उपाय
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